Khosla Ka Ghosla: एक ऐसी फिल्म जिसमें न तो कोई बड़ा हीरो था नहीं कोई बड़ा डायरेक्टर लेकिन फिर भी फिल्म ने जबरदस्त कमाई कर रिकॉर्ड कायम किया। एक ऐसी फिल्म जिसमें बताया गया है कि दिल्ली की मिडिल क्लास फैमिली कैसी होती है।
आप सोच रहे होंगे कि ऐसी कौन सी फिल्म है तो हम आपकी उत्सुकता को खत्म करते हुए बताते हैं कि उस फिल्म का नाम ‘खोसला का घोंसला’ है। ये फिल्म साल 2006 में रिलीज हुई थी।
2 साल तक नहीं मिला था फिल्म को कोई खरीददार (Khosla Ka Ghosla)
आपको बता दें कि ‘खोसला का घोंसला’ को तैयार होने के 2 साल बाद भी कोई खरीददार नहीं मिला था। लेकिन जब फिल्म रिलीज हुई तो लोग हैरान हो गए और उनके मुंह से निकला की वाह क्या कहानी है। आज इतने साल बीत जाने के बाद भी फिल्म को देखने वालों की लिस्ट में कोई कमी नहीं आई है।
जिस फिल्म को कोई खरीदने के लिए नहीं था रिलीज होने के बाद उसे नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर ताबड़तोड़ कमाई की की सभी हैरान हो गए।
फिल्म को मिला ये पुरस्कार
पता हो कि, फिल्म ने 54वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स फंक्शन में हिंदी में बेस्ट फीचर फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता। ‘खोसला का घोसला’ जब 22 सितंबर 2006 को रिलीज हुई, तो दर्शकों और क्रिटिक्स ने इसकी भरपूर सराहना की।
बात फिल्म को बनाने में आई लागत की करें तो वो लगभग 3.75 करोड़ रुपये थी, जिसने बॉक्स ऑफिस पर 6.67 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया था।
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क्या है फिल्म की कहानी (Khosla Ka Ghosla)
जिन लोगों ने फिल्म नहीं देखी है उनकी उत्सुकता को बढ़ाने के लिए हम थोड़ी सी कहानी बता देते हैं। दरअसल फिल्म ‘खोसला का घोसला’ दिल्ली के एक मिडिल क्लास आदमी कमल किशोर खोसला (अनुपम खेर) और उनके परिवार की कहानी है, जिनकी जमीन पर एक बिल्डर खुराना (बोमन ईरानी) ने जालसाजी से कब्जा कर लिया है।
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