Bappi Lahiri Birth Anniversary: बॉलीवुड के डिस्को किंग कहे जाने वाले बप्पी लहरी आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं। मगर सिंगर अपने शानदार गानों के जरिए (Bappi Lahiri Birth Anniversary) आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं। 80 और 90 के दशक को अपनी आवाज से दुनिया को दीवाना बनाने वाले बप्पी लहरी 15 फरवरी को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था।
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बचपन से था संगीत से नाता (Bappi Lahiri Birth Anniversary)
27 नवंबर, 1952 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में जन्मे बप्पी लहरी का असली नाम आलोकेश लहरी था। बचपन से ही उनकी रुचि संगीत में थी। उनके पिता अपरेश लहरी बंगाली गायक थे, जबकि मां वनसरी लहरी संगीतकार और गायिका थीं।
बंग्ला फिल्म से की करियर की शुरुआत
बतौर संगीतकार उन्होंने अपने करियर की शुरुआती सन् 1972 में रिलीज बंग्ला फिल्म ‘दादू’ से की, लेकिन फिल्म टिकट खिड़की पर नाकामयाब साबित हुई। अपने सपनों को साकार करने के लिए उन्होंने मुंबई का रुख किया। साल 1973 में रिलीज फिल्म ‘नन्हा शिकारी’ बतौर संगीतकार उनके करियर की पहली हिंदी फिल्म थी, लेकिन दुर्भाग्य से यह फिल्म भी टिकट खिड़की पर नकार दी गई।
‘जख्मी’ से मिली पहचान
बप्पी लहरी की किस्मत का सितारा साल 1975 में रिलीज फिल्म ‘जख्मी’ से चमका। सुनील दत्त, आशा पारेख, रीना रॉय और राकेश रौशन की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म में ‘आओ तुम्हे चांद पे ले जाएं’ और ‘जलता है जिया मेरा भीगी भीगी रातो में’ जैसे गीत लोकप्रिय हुए लेकिन ‘जख्मी दिलों का बदला चुकाने’ आज भी होली गीतों में विशिष्ट स्थान रखता है।
इस गंभीर बीमारी से जूझ से रहे थे बप्पी दा
69 साल की उम्र में बप्पी लहरी कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। डॉक्टर्स की माने तो, उनकी मौत की वजह जो बीमारी बनी उसका नाम है ओएसए यानी ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया,जिसे ओएसए के नाम से जाना जाता है। ये नींद से संबंधित ब्रीदिंग डिसऑर्डर है।
क्या है ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया?
ये बीमारी आमतौर पर ज्यादा वजन होने के कारण होती है। ओएसए से शरीर में बीपी और स्ट्रोक की समस्याएं हो जाती हैं। इस बीमारी को अगर आसान भाषा में कहें तो स्लीप एपनिया में सोते समय फेफड़ों में हवा का प्रवाह रुक जाता है जिससे सांस लेने में परेशानी होती है।