Aspirants season 2 review/अश्वनी कुमार: वेब सीरीज एस्पिरेंट्स का दूसरा सीजन (Aspirants Season 2) रिलीज हो गया है। TVF यानि द वायरल फीवर की वेब सीरीज में कुछ तो खास होता है, कि आप इससे जुड़ते चले जाते हैं। ‘कोटा फैक्ट्री’ ने एक बुनियाद खड़ी की, और अब ‘एस्पिरेंट्स’ इसे आगे बढ़ा रहा है। एस्पिरेंट्स के पहले सीजन का बड़ा हिस्सा दिल्ली के राजेंद्र नगर में गुजरा। दिल्ली के ये दोनों इलाके सिविल सर्विसेज (UPSC) और प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग करने वालों का गढ़ माना जाता हैं। ‘ एस्पिरेंट्स’ के सीज़न 1 और सीज़न 2 के बीच, इसके दो स्पिन ऑफ शो ‘SK सर की क्लास’ और ‘संदीप भैया’ आकर कामयाबी हासिल कर चुके हैं।
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एस्पिरेंट्स की सीजन-2 रिलीज (Aspirants season 2 review)
गौरतलब है कि एस्पिरेंट्स की सीज़न-2, यूट्यूब से बाहर निकलकर अब प्राइम वीडियो तक का सफर तय कर चुका है। जाहिर है, इस बार ऑनलाइन पढ़ाई वाले कोर्सेज के बेवजह के विज्ञापनों को किरदारों के मुंह से चमकाने वाले डायलॉग्स की जरूरत नहीं है। एस्पिरेंट्स के सीज़न-2 को ये बात पहले एपिसोड से ही बेहतर बनाने लगती है। 5 एपिसोड के इस सीजन की कमान भी डायरेक्टर अपूर्व सिंह कार्की के हाथों में हैं और उन्होने इसे उन उम्मीदों के मुताबिक बनाया भी है, जो ‘सिर्फ एक बंदा ही काफी है’ के बाद उनसे पूरी इंडस्ट्री ने लगाई है।
एस्पिरेंट्स सीजन 2 की कहानी?
एस्पिरेंट्स-2 (Aspirants Season 2) की कहानी, इसके पहले सीजन और स्पिन ऑफ वाले दोनों शो के आगे से निकलनी शुरु होती है। इसमें दिल्ली के राजेन्द्र नगर में ट्रायपॉड यानि अभिलाष, एस.के. और घूरी के बीच की दूरियों से शुरु किया जाता है। अभिलाष, यूपीएसी में अपने पांचवें और आखिरी अटेंप्ट के लिए राजेन्द्र नगर पहुंच चुका है। लेकिन पिछले सीजन में धैर्या और घूरी के साथ बढ़ी दूरियां, उसे पुराने दोस्तों से अलग रखती है। दूसरी और घूरी और एस.के अपने दोस्त से मिलने के लिए बेचैन तो हैं ही, मगर मैं सही और वो गलत वाली लकीर उनके बीच भी है।
राष्ट्रपति के लेटर का जुगाड़ (Aspirants season 2 review)
एस्पिरेंट्स-2 (Aspirants Season 2) में जिंदगी के बदले हालात के साथ सेलेब्स भी बदले हैं। अभिलाष हर वो कोशिश कर रहा है, जो उसके और यूपीएससी के बीच का फासला कम कर सके। इसके लिए राधा राजेश की पॉपुलर कोचिंग क्लास में दाखिला पाने के लिए अपने तरीके से राष्ट्रपति के लेटर का भी जुगाड़ करता है। वैसे ये सीन एस्पीरेटेंट्स-2 की बेहतरीन राइटिंग का नमूना है। अभिलाष के साथ नई साथी दीपा भी जुड़ी है और साथ ही खिंचा-खिंचा सा रुमानी अहसास भी।
रामपुर में डीएम बने
दूसरे सीजन की कहानी अभिलाष शर्मा, गुरप्रीत सिंह गूरी, श्वेतकेतु झा यानी एसके और संदीप सिंह ओहलान यानी संदीप भैया की जिंदगी के अगले पड़ाव हो दिखाती है। अभिलाष की पोस्टिंग रामपुर के डीम पद पर हो चुकी है। गुरप्रीत अपनी आर्थिक समस्याओं से घिरा है। संदीप भैया यहां असिस्टेंट लेबर कमिशनर (ALC) हैं, जो राजेन्द्र नगर में अभिलाष के मैंटोर थे। मगर रामपुर में वो उसके जूनियर हैं। यहां पर संदीप भैया मजदूरों के हक की आवाज उठा रहे हैं और फैक्ट्री मालिकों के शोषण के खिलाफ-सरकारी हथकंडे अपना रहे हैं। मामला इतना आगे बढ़ता है कि वो अभिलाष वर्सेज संदीप भैया तक जा पहुंचता है। कहानी का एक तीसरा ट्रैक भी इसमे उलझा हुआ है, जो एस.के. और घूरी मिलकर कोचिंग शुरु करना चाहते हैं।
एस्पीरेंट्स सीजन 2 में दिखा हर रंग
घूरी, जूतों की फैक्ट्री खरीदकर सरकारी टेंडर भर रहा है, लेकिन बात बन नहीं पा रही है। इसके चलते पहले IFS छोड़ चुकी धैर्या, अब अपने एनजीओ को मिलने वाले इंटरनेशनल अवॉर्ड को भी छोड़ने का फैसला कर चुकी है। घुरी, धैर्या और अभिलाष के बीच का बीता कल, फिर एस.के. की उम्मीदें और दीपा के साथ अभिलाष के रिश्ते के बीच अनचाही दूरियां हैं। एस्पीरेंट्स का सीजन-2, इस बार जैसे जिंदगी का हर रंग लिए हुए है। अभिलाष के इंटरव्यू का मॉक टेस्ट जैसे खुद के अंदर झांकने की खिड़की बन गया है। 35 से 45 मिनट के बीच के 5 एपिसोड बहुत कुछ कहते हैं और क्लाइमेक्स में संदीप भैया के बदले की कहानी वाला ट्विस्ट एक नए धमाकेदार सीजन की बुनियाद रखता है। हमारी रिकमेंडेशन है कि जल्दी इसे देख आइए….
एस्पिरेंट्स सीज़न 2 (Aspirants season 2 review) को 4 स्टार।