Vinod Khanna Birth Anniversary: आज बॉलीवुड के दिवंगत एक्टर विनोद खन्ना की बर्थ एनिवर्सरी है। इस मौके पर उनकी लाइफ की सक्सेस से लेकर सन्यासी बनने तक की कहानी पर एक नजर डालना तो बनता है। दरअसल विनोद खन्ना इंडस्ट्री के उन स्टार्स में शामिल थे जिन्होंने अपनी लाइफ में एक से बढ़कर एक उतार-चढ़ाव देखे। उनकी रियल लाइफ ही किसी रील लाइफ से कम नहीं थी जिसमें उस जमाने के हर दूसरे शख्स को दिलचस्पी थी आइए जानते हैं क्यों-
विनोद खन्ना बर्थ एनिवर्सरी स्पेशल (Vinod Khanna Birth Anniversary)
बॉलीवुड के डैशिंग एक्टर विनोद खन्ना की जिंदगी की शुरुआत पाकिस्तान के पेशावर से हुई जहां एक पंजाबी परिवार में उनका जन्म हुआ। बटवारे के बाद उनका परिवार भारत आ गया और वो लोग दिल्ली शिफ्ट हो गए। मुंबई के सिडेनहैम कॉलेज से कॉमर्स में ग्रेजुएशन करने के बाद एक्टर ने एक्टिंग में अपना करियर बनाने की ठानी और उनका ये फैसला बिल्कुल सटीक बैठा। 1968 में ‘मन का मीत’ से एक्टिंग करियर की शुरुआत करने वाले विनोद खन्ना को कभी पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा।
सबकुछ छोड़ ओशो के पास पहुंचे एक्टर
इंडस्ट्री को उन्होंने एक से बढ़कर एक हिट फिल्में दीं जिसमें ‘आन मिलो सजना’, ‘पूरब और पश्चिम’, ‘मेरा गांव मेरा देश’, ‘एलान’, ‘सच्चा झूठा’ और ‘मस्ताना’ जैसी फिल्मों में अपनी जबरदस्त एक्टिंग से उनका नाम रातों-रात फैंस के सिर चढ़कर बोलने लगा था फिर वो वक्त आया जिसने रातों-रात सबकुछ बदल कर रख दिया। एक्टर ने फैसला किया कि अब वो ग्लैमर वर्ल्ड और परिवार को त्याग कर ओशो के आश्रम में जिंदगी बिताएंगे। फिर क्या था करियर और संसार को त्याग कर एक्टर अमेरिका में ओशो के आश्रम में रहने लगे। लग्जरी लाइफ को छोड़ विनोद खन्ना ओशो के आश्रम वो काम कर रहे थे जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। माली से लेकर टॉयलेट साफ करने तक एक सुपरस्टार ने वो सब किया जो वहां मौजूद हर आम शख्स कर रहा था।
इंडस्ट्री में की वापसी
हालांकि वक्त पलटा और पूरे 5 साल एक्टर ने वापसी करने की सोची। वो वापस आए और एक बार फिर इंडस्ट्री में छा गए। सत्यमेव जयते, इंसाफ वो फिल्में जैसी फिल्में उनका इंडस्ट्री में रिटर्न गिफ्त था। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि बॉलीवुड में लौटना उनके लिए आसान था, लेकिन ओशो को छोड़ने का फैसला बेहद मुश्किल था।