अश्वनी कुमार: एक इंटरनेशनल नॉवेल, फिर उस पर बनी एक शानदार ब्रिटिश टीवी सीरीज़, जिसे दुनिया भर में खूब वाहवाही मिली और उसके बाद उसका इंडियन एडॉप्टेशन हो, तो यकीन मानिए कि ज़िम्मेदारी तो बढ़ती ही है, ख़तरा बहुत बढ़ जाता है। डायरेक्टर के हाथों से ज़रा भी कहानी फिसली तो समझ लीजिए, बहुत ही भयंकर बेइजज़्ती होती है। मगर, डिज़्नी हॉटस्टार की 7 एपिसोड वाली सीरीज़ ‘द नाइट मैनेजर’ने दिखा दिया और साथ में सिखा दिया कि इंटरनेशनल कहानियों का हिंदी एडॉप्टेशन आख़िर कैसे होना चाहिए।
इंटेसिटी से भरी है सीरीज (The Night Manager 2)
जॉन ले कैरे कि सेम नाम वाली किताब और इसी नाम के साथ बनी ब्रिटिश सीरीज़ और जब श्रीधर राघवन ने हिंदी के स्क्रीनप्ले में गढ़ा, तो उन्होने पठान और वॉर जैसी इंटेसिटी इसमें डाल दी, जो बिल्कुल तलवार की धार की तरह तीखी और रफ्तार में बुलेट ट्रेन को पीछे छोड़ दे।
वैसे ‘द नाइट मैनेजर’ के पहले पॉर्ट के नाम पर, जब डिज़्नी हॉटस्टार ने इसके सिर्फ़ चार एपिसोड रिलीज़ किए थे, तो गुस्सा तो बहुत आया था, जैसे किसी से डिनर करते समय, स्टार्टर तो रख दिया हो और बाद में मेन कोर्स छिपा दिया। अब जब इस सीरीज़ के सेकेंड पार्ट वाले 3 एपिसोड रिलीज़ हुए है, तो लगता है कि ये इंतज़ार अच्छा ही था।
पांचवें एपिसोड तक इस कहानी में इंडियन नेवी का एक्स लेफ्टीनेंट शान शेन गुप्ता, अब रॉ के अंडरकवर के तौर पर इंटरनेशनल ऑर्म्स डीलर शैली रूंग्टा का भरोसा पूरी तरह से जीत चुका है। शैली, जो यूं तो एक बिजनेस टाइकून है, लेकिन असल में एग्रीकल्चरल इक्वीपमेंट के नाम पर वो बेहद ख़तरनाक हथियारों की तस्करी करता है।
माइंड गेम्स ने उड़ाए होश
शान को शैली, अपने ऑर्म्स ऑपरेशन का सीईओ बना देता है, जिसमें सारी डोर उसके हाथों में है, शान सिर्फ़ एक कठपुतली है। शान की नई पहचान अब कैप्टन अभिमन्यू है। शान के इस कवर्ट मिशन में, वो शैली की गर्लफ्रैंड कावेरी के बहुत नज़दीक आ गया है, और ये नज़दीकियां इस पूरे ऑपरेशन को और भी मुश्किल बना रही हैं। रॉ की में शान के ऑपरेशन को लीड कर रही रॉ की लीपिका को सिस्टम के अंदर से चुनौतियां मिल रही हैं, जिसमें रॉ का एक सीनियर ऑफिसर, मोल बनकर शैली तक हर ख़बर पर पहुंचा रहा है।
शॉन और शैली के बीच माइंड गेम जारी है। जिसमें शैली रुंग्टा की वहशीयत दिखती है। एक अनजाने रेगिस्तान के बीच, जब शैली, म्यांमार के ऑर्म्स बॉयर्स के सामने अपने ख़तरनाक हथियारों की नुमाइश करता है, तो आप दहल जाएंगे। प्यार, धोखे, साजिश के बीच ये कहानी और थ्रिलिंग होती चली जाती है, जहां आपको भले ही पता हो क्लाइमेक्स क्या होगा…. मगर आप अंदाज़ा भी नहीं लगा पाएंगे कि ये कैसे होगा?
बनाकर रखी जबरदस्त पकड़
डायरेक्टर डुओ संदीप मोदी और प्रियंका घोष ने इस सीरीज़ पर एक लम्हे के लिए भी अपनी पकड़ ढीली नहीं की है, और 5वें से 7वें एपिसोड तक कहानी को इतना टाइट करके रखा है, कि आपके लिए ये पार्ट-2 बीच में छोड़कर उठना बेहद मुश्किल हो जाएगा। श्री-लंका, ढाका, दुबई और इंडिया की सबसे शानदार लोकेशन्स, डिज़ाइनर कॉस्ट्यूम, बेहतरीन सिनेमैटोग्राफ़ी और शानदार बैकग्राउंड स्कोर के साथ ‘द नाइट मैनेजर’ एक इंटरनेशनल शो जैसा एक्सपीरियंस देता है।
द नाइट मैनेजर की एक सबसे बड़ी खूबी इसकी कास्टिंग भी है, जहां हर कैरेक्टर अपने किरदार को निभाता हुआ नहीं, बल्कि बिल्कुल किरदार ही लिखता है। इस सीरीज़ पूरी तरह से शैली रुंग्टा बने अनिल कपूर के शख़्सियत के इर्द-गिर्द घुमती है और आप 66 साल के अनिल झकास कपूर को देखकर, हैरान रह जाएंगे, कि इतना ख़तरनाकर और इतना डिलिशियस विलेन आपने शायद ही पहले देखा हो।
स्टार्स की जबरदस्त एक्टिंग
इस सीरीज़ की दूसरी सबसे बड़ी हाईलाइट हैं लीपिका सहगल बनीं तिलोत्तमा सोम। एक प्रेग्नेंट रॉ ऑफिशियल बनीं तिलोत्तमा के एक्सप्रेशन्स ही देखना, अपने आपमें तर्जुबा है। शान सेन गुप्ता बनें, आदित्य रॉय कपूर को देखकर आप सोचने पर मजबूर हो जाएंगे, कि अगर डायरेक्टर अच्छा मिले, तो ये एक्टर क्या नहीं कर सकता है, बहुत ही शानदार परफॉरमेंस। सोभिता धुलिपाला इस पार्ट में बेहद ख़ूबसूरत तो लगी ही हैं, साथ ही इमोशनल हिस्से को भी उन्होने बेहद खूबी से निभाया है। सास्वत चैटर्जी और प्रशान्त नारायण ने इस सेकेंड पार्ट को और भी इंटेंस बनायए रखा है।
द नाइट मैनेजर, थ्रिलिंग है, सस्पेंस से भरा है और सही मायनों में ये इंडियन इंटरनेशनल सीरीज़ है। 3.5 स्टार।