फेमस राई नर्तक पद्मश्री रामसहाय पांडे का 97 साल की उम्र में निधन हो गया है। पिछले कई दिनों से वह बीमार चल रहे थे लंबे समय से उनका निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। बता दें कि साल 2022 में उन्हें राई नृत्य में योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। इसके साथ ही उन्होंने दुनिया के कई देशों में राई नृत्य की प्रस्तुतियां दी थी।
राई को बनाया पहचान की धुन
राम सहाय पांडे ने मृदंग की लय पर प्रस्तुत होने वाले पारंपरिक राई लोकनृत्य को नई पहचान दिलाई। करीब 60 सालों तक उन्होंने इस डांस को सहेजा, संवारा और लोगों तक पहुंचाया। उनके योगदान से राई बुंदेलखंड के गांवों से निकलकर देश-दुनिया में पहचानी जाने लगी।
सूत्रों के मुताबिक राम सहाय पांडे ने राई लोकनृत्य की 100 से ज्यादा प्रस्तुतियां 18 देशों में दीं हैं। वे भारत की सांस्कृतिक विरासत को अंतरराष्ट्रीय मंचों तक ले जाने वाले कलाकारों में से एक थे।
2022 में मिला पद्मश्री सम्मान
सरकार ने उनके योगदान के लिए साल 2022 में उन्हें देश का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्मश्री’ दिया। इससे पहले भी उन्हें कई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पुरस्कारों से नवाजा जा चुका था।
बुंदेलखंड के गौरव, लोकनृत्य राई को वैश्विक पहचान दिलाने वाले लोक कलाकार पद्मश्री श्री रामसहाय पांडे जी का निधन मध्यप्रदेश और कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।
लोक कला एवं संस्कृति को समर्पित आपका सम्पूर्ण जीवन हमें सदैव प्रेरित करता रहेगा। परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना है कि… pic.twitter.com/rzu9Lg1blL
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) April 8, 2025
मुख्यमंत्री ने जताया शोक
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने राम सहाय पांडे के निधन पर शोक जताते हुए कहा, “राम सहाय पांडे जी ने विपरीत परिस्थितियों में भी लोकनृत्य की राह नहीं छोड़ी। उन्होंने धारा के विपरीत चलकर बुंदेलखंड की राई को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।”
परिवार और फैंस के बीच पसरा मातम
राम सहाय पांडे के निधन के बाद उनकी पत्नी और एक बेटे घर में रह गए हैं। उनके जाने से कोलोककला जगत में शोक की लहर दौड़ रही है। कला प्रेमियों, शिष्यों और प्रशंसकों ने उन्हें नम आंखों से विदाई दी है।
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