आज हम एक बार फिर लौटते हैं 2022 की उस खास फिल्म की ओर, जिसने अपनी संवेदनशील कहानी और दिल को छू लेने वाले अभिनय से सबका ध्यान खींचा। तृप्ति डिमरी की इस फिल्म ने न सिर्फ क्रिटिक्स ही नहीं बल्कि दर्शकों के दिलों में भी गहरी छाप छोड़ी। आइए, जानते हैं कौनसी बातें बनती हैं कला को खास ?
तृप्ती की परफॉरमेंस का जादू
‘लैला मजनू’ के बाद लंबे गैप में तृप्ति डिमरी 2022 में आई ‘कला’ से फिर चर्चा में आईं थीं। इस फिल्म में उन्होंने एक ऐसी गायिका का रोल निभाया, जो बाहर से शोहरत की उंचाईओं पर पहुंचती है लेकिन अंदर से अकेलेपन और अपने करीबी लोगों की उम्मीदों के बोझ से टूटती जाती है। तृप्ति ने अपने हाव-भाव, आंखों की खामोशी और दर्द को इतनी सच्चाई से दिखाया कि दर्शक और क्रिटिक्स दोनों प्रभावित हुए। सबने माना कि ये उनके करियर का अब तक का सबसे पावरफुल और इमोशनल एक्टिंग परफॉरमेंस था, जिसने उन्हें इंडस्ट्री की मजबूत एक्ट्रेस के रूप में खड़ा कर दिया।
कहानी, दौर और संगीत
‘कला’ की कहानी 1940–50 के दौर में सेट है, जब भारतीय संगीत का गोल्डन पीरियड चल रहा था। निर्देशक अन्विता दत्त ने इसमें एक महत्वाकांक्षी कलाकार की जर्नी दिखाई है, जो पिता की उम्मीदों, समाज के दबाव और अपने निजी घावों से जूझती है। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी पेंटिंग जैसी खूबसूरत लगती है, हर सीन पोस्टकार्ड जैसा लगता है। अमित त्रिवेदी का म्यूजिक और साशा तिरुपति की आवाज ने कहानी को और भी असरदार बना दिया। खासकर “घोड़े पे सवार” और “शौक” जैसे गाने फिल्म को अलग पहचान देते हैं और उस दौर की फीलिंग्स को जिंदा कर देते हैं।
‘कला’ का असर और अहमियत
‘कला’ सिर्फ एक म्यूजिकल फिल्म नहीं बल्कि उस दौर की औरतों के संघर्ष को भी सामने लाती है, जब उन्हें कामयाबी के साथ-साथ ताने और दबाव भी झेलने पड़ते थे। ये कहानी एक ऐसी औरत की है जो अपनी आवाज से दुनिया जीतना चाहती है लेकिन घर में ही अनसुनी रह जाती है। तृप्ती की परफॉरमेंस ने इस दर्द को इतना असली बना दिया कि दर्शक उनका दुख महसूस करने लगे। यही वजह है कि फिल्म को ओटीटी पर खूब तारीफें मिलीं और क्रिटिक्स ने भी इसे सराहा। ‘एनिमल’ से पहले ही ‘कला’ ने कहीं न कहीं साबित कर दिया था कि तृप्ति डिमरी बॉलीवुड की अगली बड़ी स्टार बनने की पूरी काबिलियत रखती हैं।
