Thursday, 6 November, 2025
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जटाधरा मूवी रिव्यू: सिनेमा में कुछ नया, कुछ अद्भुत-मिस न करें यह अनुभव!

Jatadhara Movie Review: सोनाक्षी सिन्हा और सुधीर बाबू की फिल्म 'जटाधरा' 7 नवंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है. ये फिल्म देखने जाने से पहले एक बार ये रिव्यू जरूर पढ़ें...

Jatadhara Movie Review
Jatadhara Movie Review
Movie name:जटाधारा
Director:वेंकट कल्याण और अभिषेक जायसवाल
Movie Casts:सुधीर बाबू, सोनाक्षी सिन्हा, दिव्या खोसला, शिल्पा शिरोडकर, इंदिरा कृष्णा, राजीव कणकाला, रवि प्रकाश, रोहित पाठक, झांसी, सुभालेखा सुधाकर

Jatadhara Movie Review: विज्ञान और पौराणिक कथाओं का मिलन हमेशा ही दर्शकों को आकर्षित करता है, और इस वीकेंड इस मिश्रण को बड़े परदे पर देखने का मौका मिल रहा है। फिल्म जटाधारा उसी तरह का रोमांचक प्रयोग है, जिसने दर्शकों को शुरुआती ट्रेलर से ही उत्साहित कर दिया था. निर्देशक वेंकट कल्याण और अभिषेक जायसवाल ने साहसिक कदम उठाते हुए एक ऐसी कहानी को जीवंत किया, जो आज तक भारतीय सिनेमा में बहुत कम देखने को मिली है. उन्होंने जिस तरह से विज्ञान, आध्यात्मिकता और रहस्य को जोड़कर कथा बुनी है, वह प्रशंसनीय है. फिल्म की कहानी अन्नंथा पद्मनाभ स्वामी मंदिर के रहस्यमय गलियारों में है, और मंदिर की पौराणिक धरोहर और गुप्त खजाने कहानी को और भी रोमांचक बनाते हैं.

फिल्म की कहानी पिशाच बंधन नामक एक प्राचीन और रहस्यमय अनुष्ठान के इर्द-गिर्द घूमती है. यह अनुष्ठान मृत आत्माओं को मंदिर के खजाने की रक्षा के लिए बांधने का तरीका है. कहानी में आधुनिक विज्ञान और प्राचीन विश्वासों के बीच टकराव को बड़ी खूबसूरती से दिखाया गया है. हर ट्विस्ट और मोड़ भारतीय दर्शकों के लिए परिचित और नए अनुभव दोनों का मिश्रण लाता है. सुधीर बाबू ने शिवा के किरदार में शानदार प्रदर्शन किया है. एक वैज्ञानिक मानसिकता वाला भूत शिकार करने वाला, जो अपने तर्क और विज्ञान पर विश्वास करता है, उसकी यात्रा दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर देती है. उसकी भावनाओं की गहराई और स्क्रीन पर काबू पाई गई संवेदनशीलता कहानी के लिए जान डालती है.

सोनाक्षी सिन्हा ने धन पिशाची के किरदार में पहली बार तेलुगु दर्शकों को चौंका दिया. उनका किरदार लालच और दर्द से भरी आत्मा का प्रतीक है, और उसका रूपांतरण दैवीय राक्षसी में देखने लायक है. दिव्या खोसला कुमार ने सितारा के रूप में प्रभाव छोड़ा है , जबकि शिल्पा शिरोडकर और इंदिरा कृष्णा ने अपने किरदारों में भावनात्मक गहराई भर दी ही. राजीव कनाकला, रवि प्रकाश और सुभालेखा सुदाकर जैसे सहायक कलाकारों ने कहानी को प्रामाणिक बनाने में अहम भूमिका निभाई है. साई कृष्ण कर्णे और श्याम बाबू मरीगा द्वारा लिखे गए संवाद सरल और प्रभावशाली हैं. वे केवल कहानी को आगे नहीं बढ़ाते, बल्कि दर्शकों के मन में विश्वास और डर के मिश्रण को भी गहरा करते हैं। कई संवाद आपको लंबे समय तक याद रहेंगे, और वे कहानी में आध्यात्मिकता और रहस्य को जोड़ने का काम करते हैं.

राजीव राज का संगीत और साउंड डिजाइन फिल्म की आत्मा हैं. मंत्रों की गूंज, अचानक मौन, और क्लाइमेक्स का संगीत दर्शकों को पूरी तरह से कहानी में डुबो देता है. ‘शिव स्तोत्रम’ और ‘पल्लो लटके अगेन’ जैसे गाने फिल्म में ऊर्जा और भक्ति का संगम दिखाते हैं. जटाधारा के एक्शन सीक्वेंस केवल दर्शकों को रोमांचित नहीं करते, बल्कि उनमें एक पौराणिक और आध्यात्मिक ऊर्जा भी है. मार्शल आर्ट्स और रहस्यमय शक्तियों का मिश्रण एक नया अनुभव देता है. समीर कल्याणी की सिनेमैटोग्राफी फिल्म को एक दिव्य और रहस्यमय सौंदर्य देती है। मंदिर की भव्यता, धुएँ की लहरें और झिलमिलाती रोशनी हर दृश्य को मंत्रमुग्ध कर देती है.

जी स्टूडियोज़ और प्रेरणा अरोड़ा द्वारा प्रस्तुत जटाधारा विज्ञान, विश्वास और पौराणिकता के बीच की खाई को दिखाती है और आपको सोचने पर मजबूर करती है. कलाकारों का प्रदर्शन, शानदार विजुअल्स, संगीत और साहसिक कहानी इसे एक यादगार सिनेमाई अनुभव बनाती हैं. इस वीकेंड जटाधारा देखना न भूलें- यह फिल्म आपको एक नया, रोमांचक और गहरा अनुभव देगी.

First published on: Nov 06, 2025 02:41 PM

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