बॉलीवुड में कई ऐसे स्टार्स हुए हैं जो अपनी शख्सियत से लोगों के दिलों में घर कर गए। एक्टर हो या डायरेक्टर इनमें हर किसी का नाम शुमार है। कई डायरेक्टर ऐसे हैं जिनकी फिल्में दिल को छू जाती हैं। आज हम ऐसे ही एक डायरेक्टर की बात करने जा रहे हैं जिनकी फिल्में पूरी दुनिया में छा गई। वो इकलौते डायरेक्टर रहे हैं जिन्होंने ऑस्कर अपने नाम किया। जी हां हम बात कर रहे हैं सत्यजीत रे की। भले ही आज वो हमारे बीच ना हों लेकिन उनकी फिल्में आज भी दिलों में जिंदा है। आज उनकी बर्थ एनिवर्सरी पर हम आपको उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं।
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डेब्यू फिल्म को मिले 11 अवॉर्ड
कोलकाता में जन्में सत्यजीत रे को बचपन से ही कला और संगीत का शौक था। उनके दादा उपेन्द्र किशोर राय ए फेमस डायरेक्टर और संगीतकार रहे हैं। स्कूल के समय से ही सत्यजीत रे भी फिल्मों के दीवाने हो गए थे। उन्होंने तय कर लिया था कि उन्हें फिल्ममेकर ही बनना है। इंडस्ट्री में उन्होंने ‘पाथेर पांचाली’ से कदम रखा। उनकी पहली फिल्म को कान फिल्म फेस्टिवल में 11 अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड मिले थे। देश-विदेश में उनकी फिल्मों का डंका बजता था।
ये अवॉर्ड किए नाम
वहीं भारत सरकार ने भी उनको बेहतरीन फिल्मों के लिए 32 नेशनल अवॉर्ड से नवाजा। साल 1985 में उन्हें दादा साहिब फाल्के अवॉर्ड भी मिला था। इसके साथ ही उन्हें भारत रत्न भी मिल चुका है। बता दें सत्यजीत रे पहले ऐसे इकलौते डायरेक्टर रहे हैं जिन्होंने ऑस्कर अवॉर्ड अपने नाम किया है। साल 1992 में उन्होंने ऑस्कर जीतकर देश का नाम रोशन किया।
ऑस्कर से जुड़ा यादगार किस्सा
वहीं ऑस्कर से भी उनका एक खास किस्सा जुड़ा है। जब उन्हें ऑस्कर मिलने वाला था तभी उन्हें दिल का दौरा पड़ गया था, जिसके बाद वो अस्पताल में भर्ती थे। इसके बाद ऑस्कर अवॉर्ड कमेटी खुद चलकर कोलकाता आई और सत्यजीत रे को अवॉर्ड से सम्मानित किया। आज भी उनकी फिल्में उनकी याद दिलाती हैं।
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