Monday, October 2, 2023
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Bambai Meri Jaan : कहीं रियलिस्टिक तो कहीं खौफनाक है दाऊद, इस बार नए कलेवर में नजर आया डॉन

Bambai Meri Jaan Web Series Review: कहानी दारा के बचपन से शुरु होती है, जो एक ईमानदार पुलिस ऑफिसर इस्माइल कादरी का दूसरे नंबर का बेटा है

Bambai Meri Jaan Web Series Review/Ashwani : अब तक मुंबई अंडरवर्ल्ड की कहानियों को सुनते-सुनाते, देखते-दिखाते फिल्म इंडस्ट्री को तकरीबन 50 साल होने को हैं। हाजी मस्तान जैसे किरदार को दीवार में देखा है, अमिताभ बच्चन को डॉन बने देखा है, शाहरुख खान से होते हुए ये सिलसिला, अब रनवीर सिंह तक पहुंच चुका है। वैसे बीच-बीच में राम गोपाल वर्मा ने सत्या, कंपनी और डी, जैसी फिल्में बनाई हैं, अनुराग कश्यप ने ब्लैक फ्राइडे जैसी फिल्मों के साथ अंडरवर्ल्ड की कहानियों के साथ सिल्वर स्क्रीन पर थोड़ा सच, थोड़ा फंसाना दिखाया है।

करीम लाला, हाजी मस्तान, वरदराजन मुदलियार से होता हुआ अंडरवर्ल्ड का फंसाना दाऊद, फिर छोटा राजन, छोटा शकील, हसीना पार्कर तक पहुंचता हुआ… असल में भले ही गुम हो गया हो लेकिन सच ये है कि सिनेमा के बाद जुर्म की गलियों में घूमने की ये आदत अब वेब सीरीज को भी लग चुकी है।

सीरीज में ऐसा क्या है?

वेब सीरीज के लॉन्ग फॉर्मेट का फायदा उठाने के फेर में डी कंपनी के बादशाह दाऊद की कहानी को जरा सा नाम बदलकर एक्सेल एंटरटेनमेंट में, प्राइम वीडियो पर – बंबई मेरी जान के नाम से उतार दिया है। अब इस सीरीज में ऐसा क्या है, जो पहले नहीं देखा गया, या ऐसा क्या है, जिसकी वजह से इसे देखा जाना चाहिए ? इस सवाल का जवाब, इसके 10 एपिसोड की कहानी में छिपा है, जो 1990 में मुंबई में पुलिस ऑफिसर इस्माइल कादरी के अंडरवर्ल्ड के खिलाफ खड़े होने से शुरु होता है। 1986 में दारा कादरी के मुंबई से दुबई शिफ्ट होने तक चलता है। साथ ही क्लाइमेक्स में ये सेकेंड सीजन का वायदा भी दे जाता है।

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ये है इसकी खासियत

बंबई मेरी जान की सबसे खास बात ये है कि ये फिल्मों की तरह, डॉन को हीरो बनाने के लिए ज्यादा सिनेमैटिक लिबर्टी नहीं लेता, बस किरदारों के नाम बदलता है। हुसैन जैदी की किताब डोगरी टू मुंबई पर बेस्ड मुंबई अंडरवर्ल्ड की इस कहानी में हाजी मस्तान, हाजी इकबाल कहलाता है, करीम लाला – अजीम पठान हो जाता है, वरदराजन मुदलियार – अन्ना मुदलियार के नाम से जाना जाता है, दाऊद को दारा कादरी, और हसीना को हबीबा का नाम मिल जाता है। मान्या सुर्वे को सीरीज में गन्या सुर्वे कहा गया है, जो थोड़ा अजीब तो लगता है। खैर… छोड़िए।

ऐसे शुरू होती है वेब सीरीज की कहानी

कहानी दारा के बचपन से शुरु होती है, जो एक ईमानदार पुलिस ऑफिसर इस्माइल कादरी का दूसरे नंबर का बेटा है। दारा अक्लमंद है लेकिन उसकी अक्ल अपनी अब्बू की फितरत के ठीक उलट चलती है। कहानी वही है, जो आपने पढ़ी है, सुनी है… और जरा-जरा से हिस्सों में कई फिल्मों में देखी है। बंबई मेरी जान, उन कई फिल्मों के जरा-जरा से सच को एक साथ पहली बार स्क्रौफन पर दिखाता है।

‘कहीं-कहीं तो बहुत ज्यादा खौफनाक’

सवाल ये भी है कि कैसा दिखाता है, जो जवाब है बहुत ज्यादा रियलिस्टिक…. कहीं-कहीं तो बहुत ज्यादा खौफनाक। दारा के दोस्त की शादी के तुरंत बाद, पठान के भांजों का उन पर हमला… और उनकी वशियत आपको एक बार सीरीज पर PAUSE का बटन दबाकर, थोड़ा ब्रेक लेने पर मजबूर कर देती है। फिर जब दारा, उन दोनो से अपने दोस्त और भाभी का बदला लेता है, तो ये भी ज्यादा खतरनाक है। साथ ही कुछ लम्हे तो आपको झकझोर देते हैं, जब दारा और परी होटल के एक कमरे में साथ आते हैं, और दूसरी ओर दारा का भाई एक प्रॉस्टीट्यूट के साथ होता है, इन दोनो सीन्स को…. दोनो की डी-कंपनी में हैसियत और उनके जेहनी हालात को दिखाते हैं।

जरूरत से ज्यादा खींचा गया लंबा

हांलाकि बंबई मेरी जान में कई बार लगता है कि कहानी के दारा और असल के दाऊद के जुर्मों को, उसके और उसके परिवार के साथ हुए हादसे से जस्टीफाई किया जा रहा है लेकिन फिर दारा के अब्बू इस्माइल कादरी, जो किरदार के.के.मेनन निभा रहे हैं, उनकी नाउम्मीदो वाले नरेशन से इस कमी को दूर भी करने की थोड़ी कमजोर कोशिश भी की गई है। वहीं इस सीरीज को जरूरत से ज्यादा लंबा खींचा गया है। गालियों पर कोई खास ऐतराज नहीं है, क्योंकि अंडरवर्ल्ड सीरीज में आप इसकी उम्मीद भी नहीं कर सकते लेकिन कहानी बीच-बीच में जरूरत से ज्यादा खिंचती है… हां, क्लाइमेक्स के दो एपिसोड की स्पीड और हबीबा का मुंबई की सल्तनत पर बैठने का सीन कमाल है।

बेहतरीन हैं किरदार

बंबई मेरी जान में दारा कादरी के किरदार में अविनाश तिवारी ने अपने किरदार में रहने की पूरी कोशिश की है, उनका कंपैरिजन अब तक दाऊद का किरदार निभा चुके कलाकारों के साथ होगा। मगर यकीन मानिए अविनाश हल्के नहीं पड़ेंगे। इस्माइल कादरी के किरदार में के.के. मेनन इस सीरीज की मजबूत कड़ी है। हाजी मकबूल बने सौरभ सचदेवा ने, मस्तान के किरदार को बहुत करीब से पकड़ा है। गन्या सुर्वे बने सुमित व्यास इस सीरीज की सबसे कमजोर कड़ी हैं। आप हैरान होते हैं कृतिका कामरा को हबीबा बने देख, उनकी बॉडी लैग्वेंज और एक्सप्रेशन्स शानदार हैं। दारा की मां के किरदार में निवेदिता भट्टाचार्या का काम भी बेहद शानदार है, बीवी और मां के बीच की खींच-तान को उन्होने बखूबी दिखाया है।

सीरीज को 3.5 स्टार

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