एक ही दिन में थियेटर में दो अलग-अलग मिजाज़ की फिल्में रिलीज़ हुई हैं। पहली रॉकेट्री, जो आसमान छू रही है, तो दूसरी राष्ट्र कवच ओम, जो पाताल में अपने लिए चुल्लु भर पानी तलाश रही है।
कमाल ये है कि ओम, जिसका नाम बदलकर राष्ट्र कवच किया गया, जिसकी मॉर्केटिंग टीम इसे ओम द बैटल विद इन के नाम से ट्रेंड कराने के फेर में है, बिल्कुल ऐसा कन्फ्यूज़न इस फिल्म के हीरो और उनकी इस फिल्म की कहानी में है। इसके हीरो, आदित्य रॉय कपूर, जो कामयाब एक रोमांटिक हीरो के तौर पर रहे हैं, ज़्यादातर वो सेकेंड हीरो फिल्मों में कास्ट होते हैं, बनना वो चाहते हैं सिनेमा के एक्शन स्टार चाहते हैं, दिखाते वो सिल्वेस्टर स्टैलोन वाली बॉडी हैं। राष्ट्र कवच ओम की कहानी लिखी भी गई है उनके इस सपने को पूरा करने के लिए, जिसमें जब ओम बने आदित्य रॉय कपूर की एंट्री आर्मी हैलीकॉप्टर पर होती है, वो हज़ारों फीट आसमान में उड़ते हैलीकॉप्टर के डैक पर खड़े होंते हैं और मज़ाल है कि उनका एक भी बाल हवा में उड़कर बिगड़ जाए। अगले सीन में वो हैलीकॉप्टर से जम्प करके समंदर के बीचो-बीच पानी में कूदते हैं और पानी को ज़मीन बनाकर वो एक शिप पर आ जाते हैं। जितना कमाल ये सीन है, उतनी ही कमाल की कहानी है यानि किसी एक सिचुएशन का दूसरे से कोई लेना-देना नहीं है।
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प्वाइंट वाइज़ इस फिल्म की खूबी को समझिए –
1 – न्यूक्लियर हमले से बचने के लिए एक रक्षा कवच बनाए जाने का आईडिया आता है, ये रक्षा कवच जो न्यूक्लियर मिसाइल को डिफ्यूज कर सकता है, वो एक सूटकेस में आ जाता है।
2 – इस फिल्म में 80 के दौर की फिल्मों का मसाला है, जिसमें एक साइंटिस्ट पिता है, जिस पर देशद्रोही होने का इल्ज़ाम है।
3 -एक बेटा है, जो अपने पिता को किसी भी क़ीमत पर बेदाग़ साबित करना चाहता है।
4 -एक चाचा है, जो बाप बनकर बेटे को पालता है साथ ही एक लाचार मां है, जो सब कुछ खो देती है।
5 -एक हीरो है, जो अपनी फर्ज़ी टैन्ड बॉडी को दिखाने के लिए, क्लाइमेक्स में शर्ट फड़वाता है और जंजीर से उड़ते हेलीकॉप्टर को बर्बाद कर देता है।
6 – हीरो की एक साथी कम गर्लफ्रैंड कम जासूस कम डॉक्टर है, जो अपना काम छोड़कर सब कुछ करती है।
7 – एक डायरेक्टर है, जो फिल्म की कहानी बनाने की जगह, अपने एक्शन सिनेमैटोग्राफी की शो रील बना रहा है।
6- एक प्रोड्यूसर है, जो इससे पहले हीरोपंती-2 में ऐसा ही कमाल कर चुका है।
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अब ये सब सुनने के बाद भी कुछ बचा है, तो जान लीजिए, ना कहानी है, ना डायरेक्शन है। हीरो की हीरोगिरी दिखाने के लिए फिल्म बनाई गई है, वो भी अचछे से किया नहीं गया है। आदित्य रॉय कपूर को बैठकर ये सोचना चाहिए कि उन्हे आख़िर करना क्या है। आशुतोष राणा, जैकी श्रॉफ़ और प्रकाश राज जैसे एक्टर इस सर्कस में जोकर क्यों बने हैं, ये रिसर्च की बात है। संजना सांघी इस फिल्म के लिए पूरी तरह से मिस कास्ट है।
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राष्ट्र कवच ओम से बचकर रहिए, ये फिल्म आपके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकती है।
राष्ट्र कवच ओम को 1.5 स्टार।
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