Srikanth Review: क्या समाज में उन लोगों को कमजोर समझना सही है जिन्हें बनाने में भगवान ने कुछ कमी रह गई हो। हालांकि ये सही नहीं है, लेकिन हमारे समाज में लोगों की ये मानसिकता होती है कि किसी के शरीर के किसी अंग में कोई कमी हो तो वो एक बेचारा इंसान बन जाता है। बिना इस व्यक्ति की मर्जी जाने उसकी मदद के लिए सामने आ जाते हैं, लेकिन वो सिर्फ ऊपरी होता है, अंदरूनी नहीं। राजकुमार राव की ‘श्रीकांत’ में भी कुछ ऐसा ही दिखाया गया है। ऐसे में इस फिल्म को देखना की मायनों में सही होगा, चलो आपको ये भी बता ही देते हैं कि इस मूवी की कहानी कैसी है? आपको ये देखने जाना चाहिए या कुछ समय के इंतजार के बाद घर बैठे ओटीटी पर ही देख लेना चाहिए।
कुछ ऐसी है फिल्म की कहानी?
अब एक नजर फिल्म की कहानी पर डाल लेते हैं। दरअसल ये एक ऐसे लड़के की कहानी है तो जन्म से अंधा होता है। हमारे समाज की सोच के अनुसार बेटे के पैदा होने की खुशी में पिता खुशी से झूम उठता है। खुशी इतनी की अपने फेवरेट कृष्णमाचारी श्रीकांत के नाम पर बेटे का नाम श्रीकांत रख देता है। लेकिन जैसे ही बच्चे की मासूम सी सूरत पर निगाह पड़ी तो समझ आया कि आखिर घर में और लोग मायूस क्यों हैं। आने वाले समय में बच्चे के अंधकारमय भविष्य के बारे में सोचकर पिता ने पैदा होने के अगले दिन ही उसे दफनाने की कोशिश की। लेकिन वो कहते हैं न कि ‘जाको राखे साइयां मार सके न कोई’। ऐसा ही श्रीकांत के साथ हुआ और आज वो आपके सामने हैं।
वो 5 कारण जो फिल्म देखने के लिए कर देंगे मजबूर
1. परेशानियों का किया सामना
फिल्म में दिखाया गया है कि एक दृष्टिहीन बच्चा कैसे दुनिया के तानों और परेशानियों को सहते हुए आगे बढ़ता है और एक मुकाम हासिल करता है। बेशक रास्ते में लाख परेशानियां आएं लेकिन वो कभी हार नहीं मानता।
2. श्रीकांत बोल्ला को कैसे मिला पेरेंट्स का सपोर्ट
उन माता-पिता की मनोदशा आपको अंदर से झकझोर देगी जिनके घर में बेटा पैदा होने की खुशी तो है लेकिन उसके दृष्टिहीन होने का गम भी। लेकिन फिर भी वो अपने बच्चे का कैसे सपोर्ट करते हैं। इससे उन माता पिता को भी सीख मिलेगी जिनके ऐसे बच्चे हैं।
3. नेत्रहीन होना नहीं है अभिशाप
जरुरी नहीं कि अगर किसी में एक शारीरिक कमी हो तो वो दुनिया में जिंदा रहने के लायक नहीं है, उसे भी हक है आम लोगों की तरह इस सुंदर दुनिया में रहने का। और ये श्रीकांत ने साबित भी किया है।
4. फिल्म को देखकर नहीं होगा पछतावा
अगर आप इस फिल्म को देखेंगे तो यकीन मानिए आपको बिल्कुल भी पछतावा नहीं होगा। जी हां फिल्म की कहानी में दम है, साथ ही राजकुमार राव ने मूवी के रोल के साथ इंसाफ किया है।
5. कामयाबी के शिखर पर पहुंचने तक का सफर
श्रीकांत बोला ने ये साबित कर दिया कि आंखों में रोशनी नहीं होने से किसी की कामयाबी के रास्ते बंद नहीं हो जाते। अगर इंसान के अंदर कुछ करने की आग हो तो कोई भी कमी उसके आड़े नहीं आ सकती।