Smriti Irani Amethi Lok Sabha Results: घर घर में तुलसी बनकर छाने वाली टीवी एक्ट्रेस स्मृति ईरानी के समर्थकों के लिए बुरी खबर है। अमेठी लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद और उम्मीदवार स्मृति ईरानी हार गई हैं। यूपी की हाईप्रोफाइल सीट से स्मृति की हार काफी शॉकिंग है और उन्हें हराने वाले कांग्रेस उम्मीदार किशोरी लाल पहली बार चुनावी मैदान में उतरे थे। स्मृति की हार के साथ ही कांग्रेस को अपना गढ़ एक बार फिर वापस मिल गया है और इस बात से कांग्रेस के समर्थक बेहद खुश हैं। चलिए बताते है, स्मृति ईरानी की हार के वो पांच अहम कारण जिनकी वजह से उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा।
भारी मतों से हारी स्मृति ईरानी
अमेठी को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता है और इस गढ़ पर काबिज होने के लिए खुद स्मृति ईरानी को एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ा था। मगर लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी के हाथ से अमेठी की सीट निकल गई है। कांग्रेस उम्मीदवार किशोरीलाल ने मौजूदा सांसद स्मृति ईरानी को 1 लाख से अधिक वोटों से करारी शिकस्त दी है।
स्मृति ईरानी की हार के 5 कारण —
नहीं चली मोदी लहर
यूपी की कई सीटों पर मोदी लहर इस बार काम नहीं आई है और उन्हीं में स्मृति ईरानी की अमेठी सीट का नाम भी शामिल है। जहां मोदी की लहर का असर देखने को नहीं मिला। स्मृति इस बार यहां से लोकसभा चुनाव हार गई हैं।
लोकल मुद्दों से चुकी स्मृति
इसके अलावा स्मृति ईरानी की हार का एक सबसे बड़ा कारण बना है, उनका अमेठी की जनता के मुद्दों से चूकना। जी हां, चुनाव जीतने के बाद से स्मृति ईरानी अक्सर ही नेशनल मुद्दों पर बात और बयानबाजी करती नजर आई हैं। उन्हें प्रदेश के लोकल मुद्दों पर लोगों ने कम ही सुना है और इस वजह से इस बार जनता ने उन्हें नकार दिया है।
कांग्रेस की रणनीति
अमेठी को वापस हासिल करने के लिए इस बार कांग्रेस ने अपने सबसे करीबी किशारीलाल को चुनावी मैदान में उतारा। किशोरीलाल पिछले लंबे समय से कांग्रेस के साथ हैं और लोगों के बीच भी उनकी इमेज साफ सुथरी है। इस का अंदाजा वोटों की गिनती से भी लगाया जा सकता है कि उन्होंने अमेठी से वर्तमान सांसद को 1 लाख वोटों से हराया है।
विवादों में रही स्मृति ईरानी
स्मृति ईरानी जब से राजनीति में आई हैं, वो अपने बयानों को लेकर अक्सर ही विवादों में घिरी रहती हैं। साल 2019 में भी अपनी जीत के बाद एक्ट्रेस ने राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा था, ‘कौन कहता है आसमाँ में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों…’ इसके अलावा भी स्मृति अक्सर ही विवादित बयानों की वजह से खबरों में रही। मगर उनका रुझान इस बार अमेठी की तरफ थोड़ा कम देखने को मिला। इसका फायदा कांग्रेस ने साफ तौर पर उठाया है।
प्रियंका गांधी का पैतरा
प्रियंका गांधी ने इस बार उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट पर भाई और मां का बदला लेने के लिए ऐसा पैतरा आजमाया, जिसके आगे स्मृति ईरानी चारों खाने चित हो गईं। किशोरीलाल को प्रियंका गांधी ने जमकर सपोर्ट करती नजर आई, उन्होंने एक बार फिर अमेठी की जनता का भरोसा जीत लिया। प्रियंका की रणनीति ने ही स्मृति को अमेठी से बाहर का रास्ता दिखाया है।
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