Shaitaan Movie Review/Navin Singh Bhardwaj: अच्छाई की बुराई पर जीत वाली बॉलीवुड में वैसे तो कई फ़िल्में बनी हैं, और इन फ़िल्मों को देखने की होड़ भी लग जाती है। बॉलीवुड में लंबे समय से हॉरर फ़िल्में बनती आयी है, 1920 से लेकर भूत तक या फिर अनुष्का शर्मा की परी से लेकर तृप्ति डिमरी की बुलबुल तक, बॉलीवुड की इन डरावनी फ़िल्मों को लोग बड़े ही चाव से देखते हैं। इस साल अजय देवगन ऐसी ही एक हॉरर थ्रिलर फ़िल्म ‘शैतान’ लेकर आए हैं। गुजराती फ़िल्म वश से प्रेरित अजय देवगन और आर. माधवन की फ़िल्म शैतान के पास काला जादू तो है, लेकिन क्या वो जादू है, जो इसे हॉरर फिल्मों की लीग में आगे लाकर खड़ा कर दे?
शैतान की कहानी
फिल्म की कहानी कबीर यानी अजय देवगन और उसके परिवार से शुरू होती है, फ़िल्म के शुरुआत में ही एक हँसता खेलता परिवार कबीर अपनी बीवी ज्योती ( ज्योतिका ) बेटी जाह्नवी ( जानकी बोड़ीवाल ) और बेटे ध्रुव ( अंगद राज ) के साथ छुट्टियों में अपने फार्म हाउस जाता हैं। फ़िल्म के ट्रेलर को अगर आपने देखा है, तो आपको समझ में आ जाएगा कि शुरुआत में जो हैप्पी मोमेंट दिखाये जा रहे हैं, उसके बाद ही ट्रेजेडी शुरू होगी। कबीर अपने परिवार के साथ ढाबे में खाना खाने रुकता है, जहाँ उसकी मुलाक़ात वनराज ( आर॰ माधवन ) से होती है। बातों-बातों में वनराज जाह्नवी को एक लड्डू खिला देता है, जिसके बाद जाह्नवी वनराज के वश में हो जाती है। कहानी में आगे कबीर अपनी फ़ैमिली के साथ अपने फ़ार्म हाउस पहुँच जाता है, ज्योती को वनराज उसके दरवाज़े पर दिखता है जिसके फ़िल्में में आगे क्या होता है? ये जानने के लिए आपको थियेटर का रुख़ करना होगा।
कहां लगी फिल्म में कमी?
डायरेक्शन और राइटिंग : चिल्लर पार्टी, क्वीन और सुपर 30 जैसी फ़िल्मों का डायरेक्शन करने के बाद अब विकास बहल ने शैतान के डायरेक्शन की कमान संभाली है। डायरेक्शन के मामले में विकास की मेहनत तो दिखती है, लेकिन कहानी पर कमज़ोर पकड़ उनके काम की सबसे बड़ी ख़ामी है। फ़िल्म की कहानी को लिखा है आमील कियान ख़ान और कृष्णदेव याग्निक ने। आपको बता दें कि गुजराती फ़िल्म वश को भी कृष्णदेव याग्निक ने लिखा और डायरेक्ट किया था, और अब उन्होंने गुजराती फ़िल्म वश से शैतान को थोड़ा अलग करने की कोशिश की है।
फिल्म का माइनस पॉइंट
कहानी की बात की जाये तो फ़िल्म के फर्स्ट हाफ में जहां इंटरवल तक स्टोरी बिल्ट-अप होती नज़र आई है, वही सेकंड हाफ में कहानी पेस पकड़ने की कोशिश भी करती है। मगर सब कुछ करने के बाद भी ये आपको बोर करने लगती है। डायरेक्टर विकास बहल ने अमित ने बेहतरीन ऐक्टर्स के साथ फ़िल्म को संभालने की कोशिश की तो पूरी की है, लेकिन स्टोरी की ख़ामियों ने उनका काम बहुत मुश्किल कर दिया। कई-कई जगह पर लंबे चल रहे सीन्स बोर भी करेंगे, जैसे फ़िल्म की शुरुआत में ही चल रहा ज़रूरत से ज़्यादा – हैप्पी मोमेंट, तो कही घर के अंदर वनराज के वश में आ चुकी जाह्नवी का लंबे समय तक डांस करते रहना. हॉरर थ्रिलर के नाम पर डर बिलकुल ना लगना – ये सब फ़िल्म का माइनस पॉइंट है।
कैसी है स्टार्स की एक्टिंग
हॉरर जॉनर की फिल्म शैतान में अजय देवगन और आर. माधवन के अलावा ज्योतिका का होना फ़िल्म को मजबूत बनाता है। माधवन की एक्टिंग और एक्सप्रेशन तो शानदार है, वहीं फ़िल्म में अजय देवगन की बेटी का किरदार करने वाली जानकी बोड़ीवाल ने कमाल का काम किया है। जानकी ने अपनी दमदार एक्टिंग के सामने सभी दिग्गज स्टार्स को फीका कर दिया है और लोगों को उनका काम बहुत पसंद आ रहा है। वहीं, ज्योतिका एक लंबे अर्से के बाद हिन्दी फ़िल्म में वापस आयी है और उन्होने एक माँ के किरदार को बखूबी से निभाया है।
फिल्म में है टेक्निकल्स कमी
फ़िल्म की एडिटिंग पर थोड़ा और काम करने की ज़रूरत शुरुआत से ही लगने लग गई थी और इसके लिए ज़िम्मेदार संदीप फ़्रांसिस को ठहराया जा सकता है। मगर सच तो ये है कि 2 घंटे 2 मिनट की फ़िल्म को शायद संदीप और एडिट नहीं कर पाए, वरना फ़िल्म और छोटी हो जाती। एक हॉरर फ़िल्म में जान तब आती है जब फ़िल्म का बैकग्रोड स्कोर मज़बूत हो, और इस डिपॉर्टमेंट में अमित त्रिवेदी का काम बहुत अच्छा है। ओवरऑल बेहतरीन कलाकारों और मज़बूत म्यूज़िक के साथ ठीक-ठाक कहानी के ज़रिये पहली बार आर. माधवन और अजय देवगन बड़े पर्दे पर एक साथ नज़र आ रहे है। स्टारकास्ट की कमाल की एक्टिंग के लिए ये एक बार तो फ़िल्म देखी जा सकती है।
शैतान को 2.5 स्टार।
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