सुभाष के. झा
अनुष्का शर्मा की होम प्रोडक्शन फिल्म ‘फिल्लौरी’ को रिलीज हुए आज 8 साल हो चुके हैं। इस मौके पर चर्चित फिल्म क्रिटिक सुभाष के. झा ने फिल्म को लेकर अपनी राय शेयर की है। उन्होंने फिल्म की कहानी, डायरेक्शन और खामियों के बारे में खुलकर चर्चा की है। वहीं, इस मौके पर फिल्म के मुख्य अभिनेता दिलजीत दोसांझ ने भी अपने एक्सपीरियंस को शेयर किया है। आइए जानते हैं क्रिटिक के जारिए कि यह फिल्म फ्लॉप क्यों हुई थी।
फिल्म की कहानी और डायरेक्शन पर उठे सवाल
फिल्म ‘फिल्लौरी’ एक अनोखी कहानी पर आधारित थी। इसमें अनुष्का शर्मा ने एक भूतनी शशि का रोल निभाया था जो अपनी 98 साल पुरानी प्रेम कहानी का अधूरा अंत खोज रही होती है। फिल्म दो अलग-अलग समय में चलती है, एक तो वर्तमान और दूसरा बीते समय का पंजाब। हालांकि, फिल्म को लेकर सुभाष के. झा का कहना है कि यह ना तो पूरी तरह रोमांटिक, कॉमेडी है और ना ही ऐतिहासिक कहानी इसमें नजर आती है। इस फिल्म से उम्मीद थी कि इसे और अच्छी तरह से प्रस्तुत किया जाए लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
क्या बेहतर हो सकता था?
फिल्म की कहानी और डायरेक्शन पर अपनी राय देते हुए सुभाष ने कहा की रोमांस और इतिहास को मिक्स करके अच्छी तरह से नहीं दिखाया गया। हालांकि, इसमें म्यूजिक और पॉइटिक एलिमेंट को शामिल करने की कोशिश की गई, लेकिन वे खास प्रभाव नहीं छोड़ पाए। खासतौर पर उन्होंने फिल्म की धीमी गति को इसकी सबसे बड़ी कमजोरी बताया। उनके मुताबिक यदि फिल्म की गति बेहतर होती, तो यह और भी प्रभावशाली बन सकती थी। लेकिन कुल मिलाकर, झा के अनुसार फिल्म को अगर और अच्छे से बनाया जाता तो ये बढ़िया चल सकती थी और दर्शकों को भी पसंद आती।
कैसी थी अनुष्का और दिलजीत की एक्टिंग
अनुष्का शर्मा ने फिल्म में एक खूबसूरत भूत का रोल निभाया था। लेकिन उनकी परफॉर्मेंस में ‘ऐ दिल है मुश्किल’ के उनके किरदार की झलक नजर आई। वहीं, दिलजीत दोसांझ ने एक कवि की भूमिका निभाई, लेकिन उनकी परफॉर्मेंस को झा ने “आत्मविश्वासी लेकिन साधारण” बताया। इसके अलावा, फिल्म में सूरज शर्मा और मेहरीन पीरजादा की जोड़ी भी थी। सूरज शर्मा की एक्टिंग को सराहा गया, लेकिन उन्हें अच्छी स्क्रिप्ट और संवाद नहीं मिले।
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दिलजीत दोसांझ का कैसा रहा एक्सपीरियंस
फिल्म के 8 साल पूरे होने पर दिलजीत दोसांझ ने अपने अनुभव के बारे में शेयर किया। उन्होंने कहा, “जब अनुष्का जी ने मुझे यह फिल्म ऑफर की, तो मैं इसे करने को लेकर थोड़ा कंफ्यूज था। लेकिन जब मैंने फिल्म का क्लाइमेक्स सुना तो मैं पूरी तरह से इसे करने के लिए तैयार हो गया। यह कहानी इतनी बेहतरीन थी कि मुझे लगा कि काश मैंने इसे खुद प्रोड्यूस किया होता।”
फिल्म की कुछ खास बातें
हालांकि, फिल्म में कुछ सकारात्मक पहलू भी थे। खासकर, पुराने दौर की ऐतिहासिक झलकियां काफी दिलचस्प थीं। ग्रामोफोन डिस्क का पहली बार आना और फिल्म के कैरेक्टर की उस पर प्रतिक्रिया को खूबसूरती से फिल्माया गया।
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