Salam Bin Razzaq Passes Away: फेमस उर्दू साहित्यकार सलाम बिन रज्जाक (Salam Bin Razzaq) का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। उन्होंने 83 साल की उम्र में अपनी अंतिम सांस ली। उनका असली नाम शेख अब्दुल सलाम अब्दुर्रज्जाक था, लेकिन उन्हें उनके फेमस छंद के नाम से ही जाना जाता था। उर्दू साहित्यकार का अपने ही घर पर निधन हुआ है, ये जानकारी उनके करीबी दोस्त ने दी। रज्जाक उर्दू साहित्य के क्षेत्र में प्रसिद्ध थे, जिसने परिवार में उनकी पत्नी, बेटी, बेटा और कई पोते-पोतियां हैं। वहीं उनकी फैन फॉलोइंग भी शानदार है। ऐसे में रज्जाक चाहने वाले उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
कहां हो अंतिम संस्कार
सलाम बिन रज्जाक के यूं अचानक अलविदा कह देने से उर्दू साहित्य जगत को तगड़ा झटका लगा है। खबरों के अनुसार रज्जाक को उनके परिवार वालों, करीबियों, और दोस्तों की मौजूदगी में मुंबई के मरीन लाइन्स कब्रिस्तान में दफनाया गया। सलाम के चले जाने से परिवार वाले सदमे में हैं, वहीं उनके फैंस इस बात पर यकीन ही नहीं कर पा रहे कि अब सलाम उनके बीच नहीं रहे।
Acclaimed Urdu Litterateur Salam Bin Razzaq Passes Away At 83 In Navi Mumbai https://t.co/9t9ZUyt13K
— SUSIM C SAHANI (@c_susim) May 7, 2024
2004 में मिला था साहित्य अकादमी पुरस्कार
रज्जाक के साहित्य की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है। उन्हें उनके फेमस कहानी संग्रह ‘शिकस्त बातों के दरमियान’ के लिए साल 2004 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। रज्जाक को उनके 6 दशक के साहित्य करियर में एक नहीं अनेकों सम्मानों से नवाजा गया। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, ग़ालिब पुरस्कार, महाराष्ट्र उर्दू साहित्य अकादमी पुरस्कार के अलावा और भी कई पुरस्कार दिए गए। इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वो कितने काबिल और फेमस इंसान थे। रज्जाक की कुछ साहित्यिक कृतियों में ‘नंगी दोपहर का सिपाही’, ‘मुदब्बिर’ और ‘जिंदगी अफसाना नहीं’ शामिल हैं।
Salaams to four underrated Mumbai Urdu authors
Ali Imam Naqvi, novelist + short stories
Anwer Khan, met him at BPT. MA in Urdu and Persian
Sajid Rashid, his Ek Chotta Saa Jahanum has a short story about classmate, Dawood I
Salam Bin Razzaq, a school teacher + riot chronicler pic.twitter.com/EOI40BHYAJ
— Ramu Ramanathan (@BoodhuRamu) April 20, 2019
आम जन की कठिनाइयों को समझा
रज्जाक का जन्म साल 1941 में रायगढ़ जिले के पनवेल में हुआ था। उनके दिल में इतना मर्म था कि उन्होंने आम जन की परेशानियों और कठिनाइयों को समझा। फिर उन्हें शब्दों में पिरोया। रज्जाक की कहानियों और साहित्य में उनके आसपास के लोग ही उनके लोकप्रिय पात्र हुआ करते थे।
Salam Bin Razzaq: Apne Afsano Ke Aaine Me – سلام بن رزاق : اپنے افسانوں کے آئینے میں https://t.co/X0uLJmqvM1
— QuranWaHadith (@quranwhadith) September 15, 2017
रज्जाक के चले जाने का फैंस को है गम
अपने चहेते साहित्यकार रज्जाक के चले जाने का उनके चाहने वालों को बहुत दुख है। अब फैंस उन्हें सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा- एक बार श्री सलाम बिन रज्जाक की एक बातचीत सुनी, काश मैंने इसे रिकॉर्ड किया होता। दूसरे ने लिखा- प्रशंसित उर्दू साहित्यकार सलाम बिन रज्जाक का 83 वर्ष की आयु में नवी मुंबई में निधन हो गया जिसका हमें दुख है। इसी तरह के और भी कमेंट आए हैं।
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