Dilip Kumar: हिन्दी सिनेमा में दिलीप कुमार सबसे फेमस और बेहतरीन एक्टर में से एक थे। एक्टर का 98 साल की उम्र में निधन हो गया था। इनके निधन का कारण लंबे समय से चल रही बीमारी बताई गई। दिलीप के जाने के बाद इंडस्ट्री में मातम छा गया और शोक की लहर दौड़ गई थी। हिन्दी सिनेमा में दिलीप कुमार को आज भी फैंस रोल मॉडल की तरह फॉलो करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि इंडियन सिनेमा को दिलीप कुमार ने एक से बढ़कर एक फिल्में दी हैं। कुछ खास फिल्मों की वजह से उनको ट्रेजडी किंग भी कहा जानें लगा था। इसके बाद वो डिप्रेशन में भी चले गए थे।
दिलीप कुमार की एक्टिंग ने दर्शकों की रियल लाइफ पर डाला असर
दिलीप कुमार की एक्टिंग में ऐसी इमोशनल डेफ्त रहती थी जो कैरेक्टर में जान डाल देती थी। दिलीप अपने कैरेक्टर को इतनी शिद्दत से पेश करते थे कि उनकी एक्टिंग एकदम रियल लगने लगती थी। वो किसी भी इंसान के इमोशन और स्ट्रगल को बड़े ही इफेक्टिव तरीके से स्क्रीन पर पेश करते थे। दिलीप कुमार की सेंसिटिव और दुखभरे रोल की एक्टिंग ने दर्शकों के रियल लाइफ को भी इफेक्ट किया।
इन फिल्मों की वजह से दिलीप कुमार को मिला था ‘ट्रेजडी किंग’ का दर्जा
दिलीप कुमार की फिल्मों में कई ऐसे एक्ट्स थे जिन्होंने उन्हें ‘ट्रेजडी किंग’ का दर्जा दिला दिया। देवदास (1955): इस फिल्म में उन्होंने एक शराबी प्रेमी का रोल निभाया था। इसमें अपनी प्रेमिका से बिछड़ने के बाद खुद को बर्बाद कर लेते है। दिलीप कुमार ने देवदास के दर्द और खोए हुए प्यार को इतनी खूबसूरती से पेश किया कि इनका ये रोल अमर हो गया।
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मुगल-ए-आजम (1960): फिल्म में सलीम के किरदार में दिलीप कुमार का प्यार और विद्रोह दोनों ही बहुत ही खतरनाक थे। अनारकली के लिए उनकी दीवानगी और बाद में उनका सैक्रिफाइस फैंस को झकझोर कर रख देता है। अमर (1954): इस फिल्म में उनके किरदार ने एक कठिन और दर्द भरी कहानी को दर्शाया है। अंधिकाल (1948): इस फिल्म में भी उनके दर्द और लाइफ के स्ट्रगल की कहानी है जो दर्शकों को रुलाने में कामयाब रही है।
डिप्रेशन से उभरने के लिए डॉक्टर्स ने दी थी ये सलाह
दिलीप कुमार की फिल्मों में दुखद अंत और डीपली इमोशनल कहानियों की वजह से उन्हें ट्रेजडी किंग का खिताब मिला। दिलीप कुमार की एक्टिंग ने सिर्फ पर्दे पर नहीं बल्कि दर्शकों के रियल लाइफ में भी गहरा प्रभाव छोड़ा। दिलीप कुमार ने एक इंटरव्यू में कहा था कि लगातार ट्रेजडी वाले किरदार निभाने का असर उनके मेंटल हेल्थ पर भी पड़ा। कुछ समय के लिए एक्टर डिप्रेशन का शिकार हो गए थे। डॉक्टरों ने उन्हें हल्के-फुल्के और हंसने वाले रोल करने की सलाह दी, जिसके बाद उन्होंने ‘कोहिनूर’ और ‘राम और श्याम’ जैसी फिल्मों में हल्के और मजेदार किरदार निभाए।
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