Farrey Movie Review/Ashwani Kumar: कड़ी निगरानी के बीच परीक्षा में नकल करना, बिल्कुल हाई सिक्योरिटी वाले म्यूज़ियम से हीरो की चोरी करने जैसा है। वैसे भी आपने बॉलीवुड में परीक्षा में नकल करने वाली जितनी भी फिल्में देखी हैं, उसमें नकल करने की इस प्रैक्टिस को कॉमेडी के फ्लवेर में दिखाया गया है। आमिर खान की ‘जो जीता वही सिकंदर’ से लेकर, शाहरुख़ ख़ान की ‘कभी हां कभी ना’ और संजय दत्त की ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ तक.. इन सभी फिल्मों में नकल को कॉमेडी जैसे ही पेश किया गया है, लेकिन सलमान की भांजी अलीजेह की डेब्यू फिल्म में नकल को ऐसे थ्रिलर की तरह परोसा गया है। इस तरफ फिल्म देखते हुए धड़कने बढ़ी रहती हैं।
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क्यों देखनी चाहिए फिल्म (Farrey Movie Review)
‘बुधिया सिंह’ जैसी शानदार फिल्म बनाकर भी कामयाबी से दूर रहने वाले सौमेन्द्र पाढ़ी को जामतारा से मुकाम दिला दिया है और अब बैड जीनियस के इस रीमेक से इंडस्ट्री में उनको उनके हिस्से की शोहरत भी मिल जानी है। वैसे बैड जीनियस का ये अंदाज़ है, जिसमें मल्टीपल ऑप्शन सवालों के लिए चीटिंग करने की टेक्निक को ऐसे पेश किया जाता है। जैसे ‘मिशन इंपॉसिबल’ में एथन हंट किसी हाई सिक्योर्ड लॉक का कोड हैक कर रहा हो। वो तरीका कम से इंडियन वीवर्स यानि दर्शकों के लिए बिल्कुल नया है, लेकिन सच तो ये है कि मजा आएगा।
स्पैनिश ड्रामा की झलक (Farrey Movie Review)
वैसे फर्रे (Farrey) में चीटिंग कोड्स के लिए अलावा और भी बहुत कुछ हैं, जैसे क्लास डिवाइड, आगे बढ़ने के लिए किसी भी हद तक जाने की कोशिश जैसे फैक्टर्स को फिल्म में शामिल किया गया है। इसमें नेटफ्लिक्स के स्पैनिश ड्रामा ELITE और फिर उसके इंडियन वर्ज़न CLASS जैसा बहुत कुछ देखने को मिलने वाला है, लेकिन वैसे ही बेस के बाद फिल्म की कहानी का अपना ही अलग रंग है।
फर्रे की कहानी (Farrey Movie Review)
फर्रे की कहानी नियति नाम की एक लड़की की है, ज़ाहिर है कि वो अलीजेह अग्निहोत्री हैं। जल्द ही 18 साल की होने वाली नियति अनाथ है और अब उसे दूसरे ऑर्फेनेज़ में भेजा जाना है। वक्त ने नियति के साथ बेरहमी तो की है, लेकिन इसी वक्त ने उसे चालाक और अक्लमंद भी बनाया है। मौके को पकड़ना, पैसे पाने की जुगत लगाना और एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी दिमाग मिलकर नियति की नियति बदलने वाले हैं। पढ़ाई में होशियारी से उसे एक ऑल स्पॉन्सर्ड स्कॉलरशिप मिलती है, जो उसे शहर के सबसे बड़े स्कूल में ले जाता है, जहां करण जौहर की फिल्मों तरह अमीरियत बसती है।
नियति बनीं अलीजेह अग्निहोत्री (Farrey Movie Review)
पैसों को पानी समझने वाली इस जेनरेशन के बीच Winston High जैसे प्लस स्कूल में पहुंचना नियति के लिए नई दुनिया में पहुंचना और उसमें घुलने-मिलने जैसा है। नियति के साथ आकाश भी स्कॉलरशिप के साथ इस दुनिया में दाखिल हुआ है। जीनियस नियति एक बार एक अमीर क्लासमेट को पेपर में चीटिंग करा देती है और उस पर गिफ्ट्स की बारिश शुरू हो जाती है। नियति को समझ आ जाता है कि पूल पार्टी के ऑफर और फ्री आई-फोन जैसे गिफ्ट्स का ये रास्ता है। यही जल्दी से जल्दी और ज़्यादा से ज़्यादा पैसे कमाने की ट्रिक भी है। बस शुरु हो जाते हैं फर्रे.. जो इंटरनेशनल एक्जाम्स से चीटिंग के खेल तक पहुंच जाता है।
कैसी लगी एक्टिंग (Farrey Movie Review)
ज़ाहिर है अलीज़ेह की ट्रेनिंग और ग्रूमिंग अच्छी हुई है, लेकिन वो तो हर स्टार किड का होता है। मगर जैसा कॉन्फीडेंस अलीजेह ने अपने किरदार में दिखाया है, वो देखकर आप दंग हो जाएंगे कि क्या वाकई ये इस लडकी की पहली फिल्म है? ख़ामोशी और आंख़ों से कह देने की वाली काबिलियत कम से कम खान फैमिली में उनको अदाकारी में अव्वल बना गई है। आकाश के किरदार में साहिल मेहता ने भी जबरदस्त अभिनय किया है। ‘छवि’ के कैरेक्टर में प्रसन्ना बिष्ट और ‘प्रतीक’ बने ज़ेन शॉ का काम भी शानदार है।
थोड़ा ज़्यादा थ्रिलिंग बनाने के चक्कर में फर्रे का बैकग्राउंड स्कोर थोड़ा हाई ज़रूर हो गया है, लेकिन फर्रे आपको चौंकाएगी ज़रूर।
फर्रे को 3.5 स्टार।