12th Fail Review: फैंस का इंतजार खत्म करते हुए अब जल्द ही 12वीं फेल (12th Fail Review) फिल्म बॉक्स ऑफिस पर दस्तक देने जा रही है। इस फिल्म में एक रियल आईपीएस ऑफिसर की वो फिल्मी कहानी है जिसे फिल्मकार विधु विनोद चोपड़ा (Vidhu Vinod Chopra) ने फिल्म का रूप देकर सिनेमा को तोहफा दिया है। राइटर अनुराग पाठक की लिखी हुई ,आईपीएस मनोज शर्मा की बायोग्राफी में विक्रांत मैसी (Vikrant Massey) ने जमीनी हिरोगिरी दिखाई है।
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विक्रांत मैसी का है शानदार रोल (12th Fail Review)
कहानी मनोज की है, जिसे विक्रांत मैसी ने नहीं निभाया बल्कि जिया है, मनोज जो शुरुआत में होने वाले 12th फेल हैं और अंत में वह स्वयं के संघर्ष से अधिकारी और इन पहले और आखिरी सीन्स के बीच में है मनोज का संघर्ष जो की मानसिक है,आर्थिक है और सामाजिक तो है ही। कहानी मध्यप्रदेश के मुरैना जिले के एक गांव बिलग्राम से पनपती है, यही पर मनोज फेल होता है सामूहिक नकल भरोसे पास होने के फेरे में जहां पर शिक्षा के मामले में सरकारी सिस्टम तो पहले से ही फेल रहती है।
परीक्षा के दौरान केंद्र पर अचानक पड़ा छापा सब कुछ बदल कर रख देता है। छापे में गाइड छीन ली जाती है ,नकल की पर्चियां जब्त कर ली जाती है। यही पर मनोज का अपने इंस्पिरेशन एसडीएम दुष्यंत सिंह का पहला एक तरफा परिचय होता है। मनोज अफसर के रौब और रुतबे से काफी प्रभावित होता है
उसूलों पर आधारित है कहानी
कुछ समय बाद 12th का रिजल्ट आता है और मनोज 12th फेल हो जाता है। जिसके बाद वो मानसिक तनाव का भार ढोता है। सरकारी विभाग में नौकरी पेशा क्रांतिकारी व अपने उसूलो से किसी भी सूरत में समझौता न करने वाले पिता। वहीं सीमित साधनों में घर को चलाने की क्षमता रखने वाली मां की कहानी जो रसोई व्यवस्था से लेकर अर्थव्यवस्था तक का जिम्मा उठा लेने का दम रखती हैं। पिता के रोल के साथ हरीश खन्ना ने अपनी जिम्मेदारी निभाई तो वही मां के किरदार में एक्ट्रेस गीता अग्रवाल आपको सिर्फ चूल्हा फूंकते हुए नहीं बल्कि अपनी एक्टिंग से कहानी में जान फूंकते हुए नजर आएंगी।
ऐसे जलती है एसडीएम बनने की चिंगारी
इनका 12th फेल बेटा मनोज जब अपने भाई के साथ मिलकर गांव में टेम्पू चलाकर गुजारा करना चाहता है तो गांव में गुडांगर्दी के माहौल से ये स्कीम भी फेल हो जाती है और यहां पर पहली बार मनोज के अंदर एक ऐसी चिंगारी जलती है जिसके बाद वो एसडीएम दुष्यंत सिंह जैसा अफसर बनने की चाह में एक बार फिर पढ़ाई की तरफ रुख करता है। मनोज का जुझारु वयक्तित्व मुरैना से ग्वालियर तक का सफर करता है।
वहा से दिल्ली के मुखर्जी नगर का ग्वालियर में मनोज के संघर्ष का एक ऐसा बेस तैयार हुआ जिस बेस ने मनोज को मुखर्जी नगर तक जिन्दा रखा। ग्वालियर से लेकर दिल्ली तक मनोज हर तरह की ऐसी परिस्थिति से गुजरा, जहां उसके पास एक ही विकल्प बचता की वापस मुरैना चला जाय पर मनोज ठहरा कहानी का नायक उसका लक्ष्य के प्रति समर्पण उसकी आर्थिक तंगी ,मानसिक तनाव पर हावी हो जाता है। पढ़ाई की भुख,पेट की भूख और अनजान शहर में एक छत के लिए यह किरदार लाइब्रेरी में टॉयलेट साफ करने से लेकर चक्की में आटा पीसते हुए पीसता है।
प्रीतम पांडे के किरदार में खूब जचे अनंत जोशी (12th Fail Review)
मनोज को ग्वालियर से मुखर्जी नगर तक ले जाने वाले साथी प्रीतम पांडे का किरदार इस सीरियस स्टोरी में सिचुएशन ह्युमर भरता है। पांडे के रोल में अनंत जोशी खुब जंचे हैं जन्नत ने मुखर्जी नगर के हाई कंपीटिटिव माहौल में ऑडियंस को सांस लेने की फुर्सत दी है। क्योंकि पाडेंय के लिए यूपीएससी वो थोपा हुआ सपना है जिसे वो देखना तक नहीं चाहता। वहीं मुखर्जी नगर में मनोज को पहले और आखिरी मेंटर मिलते हैं गौरी भैया ..इनके रिस्टार्ट के आइडिया और सपोर्ट से हिन्दी मीडियम वाले मनोज संघर्ष करना शुरू करते हैं। गौरी भैया के रोल में ओटीटी स्टार अंशुमान पुष्कर ने दमदार एक्टिंग की है।
ऐसे शुरू होती है दिमाग की परीक्षा के साथ दिल की परीक्षा
अब शुरू होता है एक नया चैप्टर, जहां मनोज अभी तक मानसिक और आर्थिक संघर्ष कर रहे थे, वहीं अब दिल की परीक्षा की घड़ी भी आ जाती है। मनोज को अब दिल की परीक्षा भी सताने लगती है क्योंकि हीरो को तो नहीं पर कहानी को यहां उसकी नायिका ‘श्रद्धा मिल जाती है ।’ श्रद्दा का खूबसूरत,सुलझा हुए कैरेक्टर मेधा शंकर ने साफ शीशे की तरह स्क्रीन पर उतारा है। विक्रांत की ऑनस्क्रीन बेटर हाफ एक बेटर को एक्टर बन मेधा ने अपनी अलग छाप छोड़ी है।
क्यों देखें फिल्म ?
गांव से लेकर शहर तक फिल्म के लोकेशन रेकी में अच्छी-खासी मेहनत की गई है। मध्य प्रदेश के गांव से लेकर,दिल्ली के मुखर्जी नगर,मसूरी के रियल लोकेशन पर शूट की गई ये फिल्म सिचुएशन को दिखाती नहीं बल्कि फील कराती है। यूपीएससी एग्जाम के लिए फेमस मेटोंर विकास दिव्यकृति ने अपना रोल निभाकर रियल क्लासरूम को और रियल बनाया है। सिनेमैटोग्राफी कमाल की है। कैमरा मूवमेंट सिन्स में चल रहे उथल-पुथल का एहसास कराता है। बैकग्राउंड म्यूजिक में अटल बिहारी की कविता और विक्रांत के फेस के एक्सप्रेशन रोंगटे खड़े करते हैं। किताब से इस कहानी को स्क्रीन पर उतारने में जस्टिस हुआ है।
कहां फेल होती है 12TH फेल (12th Fail Review)
अगर फिल्म के वीक पॉइंट की बात करें तो म्यूजिक में 12Th फेल पास नहीं हो पाई है। एक खूबसूरत लव स्टोरी और इंस्पिरेशनल जर्नी में म्यूजिक को लेकर काफी एक्सपेरिमेंटल किया जा सकता था। लिरिक्स हो या फिर म्यूजिक सिचुएशन के हिसाब से कमी महसूस कराती है।
कन्कलूजन (12th Fail Review)
फिल्म मेकिंग में अपने गोल्डन जुबली पूरी होने के करीब …फिल्मकार विधु विनोद चोपड़ा के 45 सालों में इन सिनेमा सेलिब्रेट करने के लिए बेहतरीन क्रिएशन है। स्टारडम वाले किसी बड़े स्टार की फिल्म नहीं है जहां भीड़ बेतुके डायलॅाग पर भी सीटियां बजाएं लेकिन टीवी,ओटीटी लीड और फिल्मों में सपोर्टिंग रोल से बटोरे गए अनुभव लिए विक्रांत मैसी का डेडीकेशन है। स्टुडेंट से लेकर हर उम्र के लोग को ये फिल्म एक बार जरुर देखनी चाहिए। हीरो किसी अलग फिक्शनल वर्ल्ड से नहीं है,वो आपके,हमारे बीच से है…कहानी सच्ची है,कलाकार और कलाकारी उम्दा है।
12th फेल को 3 .5 स्टार।