दो साल पहले नेटफ्क्लिस पर SHE का पहला सीज़न आया था। मुंबई पुलिस की कॉन्स्टेबल भूमिका उर्फ़ भूमि की वो कहानी दिखाई, जिसमें वो अपने लोअर मिडिल क्लास ज़िंदगी में पति के साथ बिगड़े रिश्ते, बहन के साथ तकरार और मां की ज़िम्मेदारी लेकर चल रही है। पुलिस कॉन्स्टेबल के तौर पर सड़कों पर लगने वाली पोस्टिंग के बीच उसे अंडरकवर बनने का मौका मिलता है और वो प्रॉस्टीट्यूट बनकर ड्रग लॉर्ड नायक के गैंग के ख़ास मेंबर सत्या के करीब हो जाती है।
फर्स्ट सीज़न का एंड होता है सत्या की मौत के साथ और नायक की गिरफ्त में भूमि के साथ। सेकेंड सीज़न की कहानी यही से शुरु होती है।
नेटफ्क्लिस की SHE के साथ इम्तियाज़ अली जैसा बड़ा नाम जुड़ा है। बतौर प्रोड्यूसर और क्रिएटर इम्तियाज़ अली के पास ये बड़ी ज़िम्मेदारी थी कि वो ओटीटी पर कुछ नया पेश करें। हांलाकि SHE के पहले सीज़न में बात कुछ बनी नहीं। भूमि के कैरेक्टर ने सेकेंड सीज़न में थोड़ी रफ्तार पकड़ी है। अपने पति के हाथ अपना रिश्ता और फ्लैट दोनो गवां चुकी भूमि यहां नायक के करीब आती है, उसका भरोसा जीतती है और नायक के साथ उसके रिश्ते करवट लेना शुरु करते हैं। भूमि अब दोहरी ज़िंदगी जी रही है, वो कश्मकश में है। नायक के साथ मिली उसकी आज़ादी, उसकी ताकत और आत्मविश्वास उसे इसे दुनिया में रहने के लिए खींचता है। पुलिस अंडरकवर के तौर पर भूमि नायक के ड्रग ऑपरेशन को ख़त्म भी करना चाहती है।
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इस बीच नायक की कहानी की बैक स्टोरी भी चलती है, जिसमें पता चलता कि नायक इतना बेरहम क्यों है ?अपनी दोहरी ज़िंदगी के दो राहे पर भूमि नायक, जैसा बनती जा रही है, जहां उसके रिश्ते दांव पर हैं और वो अपनी खुशी को पहचान नहीं पा रही है। SHE सीजन 2, भूमि के नज़रिए ये इस कहानी को दिखाने का दावा करती है। मगर मुश्किल ये है कि 8 एपिसोड की इस सीरीज़ में इसके इर्द-गिर्द ओटीटी पर भीड़ जुटाने का पूरा फॉर्मुला लपेट दिया गया है।
नेटफ्लिक्स जैसा ब्रैंड, इम्तियाज़ जैसा नाम, ज़ाहिर है टेक्निकल फ्रंड पर भूमि बहुत स्ट्रांग है। लेकिन इस सीरीज़ में भूमि को खुद से पहचान कराने के नाम पर सेक्स सीन्स की भरमार है। एक बार तो लगता है अदिति पोहांकर की इस सीरीज़ को नेटफ्लिक्स की एक्ट्रा हॉट, सेमी पॉर्न सीरीज़ डॉर्क डिज़ायर की तर्ज़ पर बनाया गया है। भूमि के अंदर बदलाव को दिखाने के लिए भी सेक्स सीन्स का ही सहारा लिया गया है। नतीजा कहानी से ज़्यादा वक्त इन सीन्स को इरोटिक बनाने में ज़्यादा वक्त लगाया है। नायक के किरदार में एक बात बहुत खटकती है कि इतना बड़ा ड्रग लॉर्ड, जो पूरे हिंदुस्तान में अपना ऑपरेशन चला रहा है, जिसकी एक भी तस्वीर पुलिस पूरी मशक्कत करने के बाद भी नहीं जुटा पाई, वो सारा वक्त अपने कम्प्यूटर पर मैसेज को ट्रैक करने और ऑर्डर देने में क्यों लगता है, फिर बाकी वक्त भूमि पर ?
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SHE 2, वुमेन सेंट्रिक तो है लेकिन वुमेन इम्पॉवरमेंट की कहानी नहीं कहती। मुंबई की बस्तियों में प्रॉस्टीट्यूट्स की ज़िंदगी सुधारने के नाम पर, ड्रग ऑपरेशन में उनकी सल्तनत का चुनना, गले से उतरता नहीं। कहानी के तौर पर, किरदारों को गढ़ने के तौर पर SHE 2 लड़खड़ाती है, रूकती है। मगर ओटीटी की ऑडियंस, जो मोबाइल को आंख़ों करीब रखकर, ईयरफोन को कानों से लगाकर देखने वाली ऑडियंस है, वो इन खामियों की परवाह नहीं करते। उनके लिए SHE 2 में सब कुछ है।
SHE 2 को 2.5 स्टार।
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