Kadak Singh Review: पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi) वो नाम है जो बी-टाउन में अपने सरल स्वभाव और दमदार एक्टिंग के लिए जाने जाते हैं। नेचर से सॉफ्ट एक्टर की कड़क सिंह आज ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर रिलीज हो गई है। हर किरदार में फिट बैठने वाले एक्टर की इस फिल्म का फॉर्मेट थोड़ा हटके है, जो एक थ्रिलर फिल्म है। एक तरफ फिल्म में कत्ल की गुत्थी सुलझाने की जद्दोजहद चलती है, तो वहीं सामने बैठी ऑडियंस भी अपने दिमाग से इसी उधेड़बुन में रहती है कि आखिर हुआ क्या होगा। पिंक और लॉस्ट जैसी फिल्मों से नाम कमा चुके राइटर डायरेक्टर अनिरुद्ध रॉय चौधरी की कड़क सिंह बेहद ही इंटरेस्टिंग फिल्म है। डायरेक्टर ने पुराने फॉर्मेट को तोड़, उस इंसान से ये गुत्थी सुलझाने की कोशिश की है जो सुसाइड की कोशिश के बाद अपनी याददाश्त खो चुका है।
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क्या है फिल्म की कहानी? (Kadak Singh Review)
बात फिल्म की कहानी की करें तो कड़क सिंह उलझी हुई कहानियों की है, जिसमें एक बाप है, जो बीवी की मौत के बाद बच्चों के सामने अपना प्यार जता नहीं पाता। डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल क्राइम में काम करने वाले ए.के.श्रीवास्तव अपने काम को लेकर जुनूनी है। उसके बच्चे उसे सख़्त मिजाज के चलते उसे कड़क सिंह बुलाते हैं। बेटा, मां की मौत और पिता की सख्ती के बीच बहक रहा है।
वहीं बेटी अपने भाई को नशे के चंगुल से निकालने की जद्दोजहद में अकेले ही जुटी हुई है। इसी बीच बेटी साक्षी को अपना कड़क सिंह बाप, एक शेडी होटल में एक लड़की के साथ दिखता है… और बाप शर्मिंदगी से सुसाइड की कोशिश करता है।
खोई याददाश्त को वापस लाने की एक कोशिश
अब शुरू होती है असली कहानी, जब आईसीयू वार्ड में ए.के.श्रीवास्तव की याददाश्त जा चुकी है। बेटी साक्षी उसे उनके बीच की तल्खी की वजह याद दिलाने की कोशिश करती है, गर्लफ्रेंड नैना उसे उनके बीच की करीबियां याद दिलाना चाहती है। दूसरी तरफ डिपार्टमेंट का बॉस उसे याद दिलाना चाहता है एक चिट-फंड घोटाले का केस, जिसके चलते उसी डिपार्टमेंट का एक और साथी सुसाइड कर चुका है। इस केस में इल्ज़ामों की सुई, सुसाइड की कोशिश कर चुके श्रीवास्तव के ऊपर घूमती है।
कैसी है फिल्म? (Kadak Singh Review)
पंकज त्रिपाठी की शानदार एक्टिंग का लोग लोहा मानते हैं। ओटीटी पर रिलीज हुई कड़क सिंह को अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। कहानी की बात करें तो ये अच्छी है, जो ऑडियंस को दिसंबर की सर्दी में रजाई में घुसकर पूरी फिल्म देखने को मजबूर कर देगी। कहानी में इमोशनल ड्रामे और एक्शन की छौंक का सहारा नहीं लिया है। बल्कि एक ऐसा जाल बुना है, जिसे सुलझाने की जद्दोजहद होती है। 2 घंटे 7 मिनट की ये फिल्म ना लंबी है, ना बहुत तेज रफ्तार।
किरदारों में डूबे एक्टर
बात किरदारों की करें तो लीड रोल में पंकज त्रिपाठी हैं, जिन्होंने न तो मिर्जापुर के कालीन भैया वाली भूमिका निभाई है। न ही हालिया रिलीज फुकरे 3 के पंडित जी वाली गंभीर भूमिका। निभाया है तो एक ऐसा किरदार जो एकदम कड़क नजर आता है। अपने रोल में पंकज ने जान डाल दी है।
साक्षी बनी संजना सांघी फिल्म दर फिल्म निखर रही हैं, जिन्होंने फिल्म में पंकज त्रिपाठी की बेटी का रोल अदा किया है। वहीं दूसरी तरफ जया अहसान ने पंकज त्रिपाठी की गर्लफ्रेंड नैना का रोल अदा किया है। फिल्म को 3.5 स्टार की रेटिंग मिली है।
- कड़क सिंह को 3.5 स्टार।