Who Is Nisha Pahuja: सिनेमाजगत के सबसे बड़े ऑस्कर अवॉर्ड 2024 के नॉमिनेशस का एलान हो गया है। भारत देश से भी कई फिल्मों के नाम भेजे गए थे, लेकिन इस बार कोई भी भारतीय फिल्म बेस्ट फीचर फिल्म कैटेगरी में अपनी जगह नहीं बना पाई है। भारतीय डॉक्युमेंट्री ‘टू किल ए टाइगर’ ने बेस्ट डॉक्युमेंट्री फीचर फिल्म की कैटेगरी में नॉमिनेट में नाम आ गया है। आइए जानते है कि कौन हैं निर्देशक निशा पहुजा?
कौन हैं डॉक्युमेंट्री निर्देशक निशा पहुजा?
आपको बता दें कि डॉक्युमेंट्री ‘टू किल एक टाइगर’ की निर्देशक निशा पाहुजा भारतीय मूल की कैनेडियन फिल्ममेकर हैं। वह दिल्ली की रहने वाली है, लेकिन इस समय में वह कनाडा के टोरंटों में रहती हैं। निशा का जन्म दिल्ली में हुआ था, छोटी सी उम्र से ही वह कनाडा में रहती हैं। निशा पहुजा अपने माता-पिता के साथ 1970 के आस-पास टोरंटो चली गई थी।
यहां से की अपने फिल्मी शुरूआत
निशा पहुजा ने अपने फिल्मी करियर की शुरूआत कनाडाई जॉन वॉकर और अली काजिमी के साथ रिसर्चर के रूप में की थी। उन्होंने टू किल ए टाइगर से पहले द डॉक्युमेंट्री ‘द वर्ल्ड बीफॉर हर, बॉलीवुड बाउंड और डायमंड रोड’ जैसी पॉपुलर डॉक्युमेंट्री भी निर्देशित की है। निशा को इन फिल्मों की वजह से वाहवाही मिल चुकी है। हालाकिं निशा भारत में नहीं रहती हैं, लेकिन उनकी निर्देशित डाक्युमेंट्री टू किल एक टाइगर ने ऑस्कर की रेस में शामिल होकर देश का नाम रोशन कर दिया है। साथ ही इस फिल्म को टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 2022′ में भी दिखाया गया है। निशा पहुजा एमी अवॉर्ड के लिए भी नॉमिनेट हो चुकी हैं। इतना ही नहीं, इस फेस्टिवल में फिल्म ने सर्वश्रेष्ठ कनाडाई फीचर फिल्म के लिए एम्प्लीफाई वॉयस अवार्ड’ भी अपने नाम किया था।
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डाक्युमेंट्री टू किल एक टाइगर की कहानी
‘टू किल ए टाइगर’ 10 सितंबर 2022 को थिएटर्स में रिलीज हुई थी। इस डॉक्युमेंट्री की कहानी बहुत ही भावुक, लेकिन प्रेरणादायक है। फिल्म में पूर्वोतर भारत के एक छोटे से गांव में अपने माता-पिता के साथ रहने वाली एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म की घटना को दिखाया गया है। लड़की के साथ हुए दुष्कर्म को गांव वाले लड़की को ही जिम्मेदार ठहराते है। इसके बाद लड़की और उसका परिवार न्याय पाने के लिए बड़ा संघर्ष करता है। इस दुष्कर्म काम करने के पीछे 3 आरोपियों का हाथ होता है। 13 साल की बच्ची और उसके घरवाले आरोपियों को जेल भेजने के लिए बड़ी लड़ाई लड़ते हैं और पीड़ित परिवार की मदद के लिए एक शख्स आगे आता है। अब देखना ये दिलचस्प रहेगा कि निशा की ये डॉक्युमेंट्री ऑस्कर में इतिहास रच पाती है या नहीं।