Tax-Free Movies: विक्रांत मैसी स्टारर ‘द साबरमती रिपोर्ट’ को कई राज्यों में टैक्स फ्री कर दिया गया है। विक्रांत मैसी की यह मूवी भारत के एक ऐसे कांड पर बनी है, जिसके जख्म आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है। यह फिल्म साल 2002 के 27 फरवरी को हुए गोधरा कांड पर बेस्ड है। गोधरा कांड जिसमें साबरमती के एक कोच में कुछ लोगों ने आग लगा दी थी, जिसमें करीबन 59 कारसेवकों की मौत हुई थी। ऐसे में इस फिल्म को लेकर काफी कंट्रोवर्सी भी हो रही है, लेकिन इस बीच कुछ प्रदेश सरकारों ने मूवी को टैक्स फ्री करने का फैसला किया है, जिसमें मध्य प्रदेश से लेकर छत्तीसगढ़ तक में टैक्स मुक्त करने का ऐलान हो चुका है। चलिए आज हम आपको बताते हैं कि आखिर क्यों किसी फिल्म को टैक्स फ्री किया जाता है और इससे ऑडियंस को क्या फायदा मिलता है।
मूवी को टैक्स फ्री करने का मतलब
‘द साबरमती रिपोर्ट’ से पहले कई फिल्मों को टैक्स फ्री किया जा चुका है और अक्सर ही उन फिल्मों को राज्य सरकारें टैक्स से मुक्त करती हैं, जिसमें इतिहास के पन्नों को दोहराया जाता है। मतलब यह है कि वो फिल्में जो किसी घटना पर आधारित होते हैं या फिर इतिहास के किसी ऐसे कहानी को बताती है, जिसके बारे में लोगों को ज्यादा पता नहीं होता है। ऐसे में उन फिल्मों को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए ही राज्य सरकारें मूवीज को टैक्स फ्री कर देती हैं। जब किसी राज्य में कोई फिल्म टैक्स फ्री की जाती है तो उसका मतलब होता है कि वो प्रदेश उस फिल्म की टिकट की बिक्री पर अपने हिस्से का जीएसटी चार्ज नहीं करेगा।
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एंटरटेनमेंट टैक्स के बाद बदलाव
अब लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर एक फिल्म पर कितना टैक्स लगता है,जिसकी वजह से राज्य सरकारें उस पर से अपना हिस्सा फ्री करने का फैसला करते हैं। पहले तो फिल्मों पर राज्य सरकारें अपने मनमाने ढ़ंग से एंटरटेनमेंट टैक्स लगाती थी, लेकिन अब जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के आने के बाद अब इसमें काफी बदलाव हुआ है। अब फिल्मों पर सेंट्रल जीएसटी यानि सीजीएसटी (CGST) और स्टेट जीएसटी यानि एसजीएसटी (SGST) लगता है। हालांकि फिल्मों के टैक्स फ्री होने से मेकर्स को कोई फायदा नहीं होता है, बस ज्यादा संख्या में लोगों के मूवी देखने से मूवी के कलेक्शन में जरुरी बढ़ोत्तरी देखने को मिल जाती है।
फिल्म पर कितना टैक्स लगता है?
अब लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर एक फिल्म पर कितना टैक्स लगता है, जिसकी वजह से राज्य सरकारें उस पर से अपना हिस्सा फ्री करने का फैसला करते हैं। दरअसल, केंद्र सरकार ने साल 2018 के बाद यह फैसला किया है कि फिल्मों की टिकट पर 28 परसेंट GST लगेगा, जिसे केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बांटा जाएगा। मगर इससे ज्यादा बताया जाने के बाद अब अगर किसी थिएटर के टिकट की कीमत/एडमिशन रेट 100 रुपए से कम होती है, तो उनकी टिकट पर 12 परसेंट GST लगता है। इसके अलावा जिन थिएटरों का एडमिशन रेट 100 रुपए से ज़्यादा है, उनकी टिकट पर 18 परसेंट GST चार्ज होता है। चलिए आपको समझाते है, मान लीजिए एक फिल्म की टिकट की कीमत GST समेत 220 रुपए है और उसे वो राज्य सरकार टैक्स फ्री कर देती है। तब दर्शकों के लिए उस टिकट की कीमत महज 202 रुपये हो जाएगी। ऐसे में दर्शको को टिकट के रेट में थोड़ा फायदा मिल जाता है और वो ज्यादा संख्या में थियेटर का रुख करते हैं।
इन फिल्मों को किया गया टैक्स फ्री
अगर आप सोच रहे है कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ जैसी फिल्मों के बाद ही मूवीज के टैक्स मुक्त होने का चलन शुरू हुआ है, तो ऐसा बिल्कुल नहीं है। बता दें कि साल 1960 के दशक से फिल्मों को टैक्स फ्री किया जा रहा है, उस साल सत्येन बोस की फिल्म ‘मासूम’ को भी टैक्स फ्री किया गया था। उसके बाद ‘हकीकत’, ‘शिरडी के साईं बाबा’, ‘कुंआरा बाप’, ‘दर्द का रिश्ता’, ‘हीना’ जैसी फिल्में टैक्स फ्री हुई थीं। हालांकि 90 के दशक में यह सिलसिला कम हो गया था, मगर उसके बाद मांझी : द माउंटेन मैन, दंगल, टॉयलेट एक प्रेम कथा, नीरजा, ‘द केरल स्टोरी’ जैसी फिल्मों को टैक्स फ्री किया जा चुका है।
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