Vicky Vidya Ka Woh Wala Video Review/ Siddhant Mohan: अंग्रेजी में एक कहावत है :- Don’t Judge A Book By Its Cover और हिंदुस्तान की फितरत में है कि हममें विदेशी चीजो को लेकर कुछ ज़्यादा ही क्रेज रहता है। और जब बात हो western culture के adaptation की हो, तो कूल बनने का मौका हम कैसे छोड़ सकते हैं। बस, विक्की और विद्या भी – इसी वेस्टर्न कल्चर के ट्रेंड से इंफ्लूएंस होते है और रिकॉर्ड हो जाता है – ‘विक्की और विद्या का वो वाला वीडियो’।
‘विक्की और विद्या का वो वाला वीडियो’ की कहानी शुरू होती है ऋषिकेश से, उस ऋषिकेश से , जो 1997 में उत्तर प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था, और कहानी उसी वक्त से शुरू होती है। राजकुमार राव अक्का “विक्की” शहर के बेस्ट मेहंदी आर्टिस्ट हैं। इनकी पॉपुलैरिटी का अंदाजा आप इसी बात से लगा लेंगे कि दुल्हन किसी की भी हो , पर मेहंदी सिर्फ विक्की की होती है। अब इतने बड़े आर्टिस्ट को दूर-दूर से बुलावे आते रहते है। ऐसे में विक्की को अपने प्यार, विद्या यानि कि तृप्ति डिमरी की सगाई, जो किसी और से होने जा रही है। मेहंदी लगाने की बारी आती है, तो विक्की ने जो जबरदस्त ड्रामा क्रिएट किया, कि लाफ्टर और ड्रामे की सारी दीवारें टूट जाती हैं।
‘विक्की और विद्या का वो वाला वीडियो’ कहानी
विद्या की सगाई टूट जाती है और मोहल्ले की लड़की की लाज रखने के खातिर विक्की और विद्या का सामूहिक विवाह हो जाता है। अब हर मिडल क्लास फैमिली की तरह यह भी हनीमून के 2 ऑप्शन हैं। पहला पेरेंट्स फ्रेंडली – माता वैष्णो देवी। दूसरा कपल च्वाइस – देसी सुंदर टिकाऊ और इंटरनेशन फीलिंग वाला डेस्टिनेशन, गोवा। घर पर झूट बोल कर विकी और विद्या गोवा जाते हैं, और वहां वो वाला वीडियो रिकॉर्ड करते हैं। ये वाला वीडियो लेकर ऋषिकेश आते हैं, और घर में हुई चोरी में, वो डीवीडी प्लेयर भी चोरी हो जाता है, तो खोज शुरू होती है – दर्द भरे गानों की। कंफ्यूज होने की जरूरत नहीं, क्योंकि DVD का नाम यही है “दर्द भरे गाने”। इस तलाश में कई ऐसे कैरेक्टर रोल्स सामने आते हैं, जिन्हे देखकर मजा आ जाता है। फिल्म में चंदा रानी बनी मल्लिका शेरावत की एंट्री Fine Wine की तरह है। इस पूरे खोजबीन के दौरान कॉमेडी के साथ, प्राइवेसी और पोर्नोग्राफी जैसे सेंसिटिव इश्यू भी आते हैं, और होता है – एक बड़ा खुलासा।
‘विक्की और विद्या का वो वाला वीडियो’ में क्या है खास ?
सबसे खास बात जो इस फिल्म में है, वो है इसकी राइटिंग और डायरेक्शन। डायरेक्टर-राइटर राज शांडिल्य ने अपना कमाल ऐसा दिखाया है, कि एक सीधी-साधी स्टोरी में आपको एंटरटेनमेंट और अवेयरनेस दोनो मिलती है। ढाई घंटे की इस फिल्म में कई ऐसे मोमेंट्स आएंगे, जब आप थियेटर में बैठे-बैठे जोरों से हंसेगे। चटपटे चुटकुलों को बेहतरीन तरीके से फिल्म में इस्तेमाल किया गया है। और हाँ, स्त्री लवर्स के लिए एक डुप्लीकेट स्त्री का भी जुगाड़ किया गया है। फिल्म में पॉपकॉर्न री-फीलिंग और बाथरूम यूज करने का सही मौका आपको सेकंड हॉफ में मिलेगा। क्योंकि फिल्म का फर्स्ट हाफ काफी इंप्रेसिव और एंगेजिंग है, तो सेकंड हॉफ आपको थोड़ा स्ट्रेच्ड लगता है। क्योंकि इसमें मल्टीपल इमोशंस का कॉकटेल है, जिसे डाइजेस्ट करने में एक्स्ट्रा एफर्ट लगेगा।
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स्पेशल नोट: अगर 1-2 गाने कम होते, बजट घटता और फिल्म की रफ्तार भी बढ़ती
विक्की बनकर हर बार छा जाने वाले राजकुमार राव की कॉमिक टाइमिंग कमाल है, उनकी बॉडी लैंग्वेज और थोड़े डबल मीनिंग पंचेज पर मजा आता है। विद्या बनी तृप्ति डिमरी का कैरेक्टर अच्छे तरीके से लिखा गया है, और उनकी टाइमिंग भी जबरदस्त है। राजकुमार और तृप्ति की केमिस्ट्री भी स्पार्क जैसी है। चंदा बनी मल्लिका शेरावत की अदाएं दिखाती हैं, और आपको मजा आता है। विजयराज के साथ मल्लिका का इश्क, 90’s के रिस्ट्रिक्टेड प्यार की तरह पेश किया गया है। दोनो का काम अच्छा है। अर्चना पूरन सिंह की कॉमिक टाइमिंग भी अच्छी है। हां, एक बात है कि ये 100 फीसदी शुद्ध पारिवारिक फिल्म नहीं है, इसे दोस्तों के साथ देखिए, पार्टनर के साथ देखिए। बड़े और छोटों के साथ देखेंगे, तो डबल मीनिंग जोक्स बहुत खटकेंगे।