Tuesday, 21 October, 2025
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Thamma Review: मैजिक, माइथोलॉजी और हॉरर का मजेदार मिक्स है ‘Thamma’, पढ़ें रिव्यू

Thamma Review: आयुष्मान खुराना और रश्मिका मंदाना की फिल्म 'थामा' सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. मूवी देखने जाने से पहले ये रिव्यू जरूर पढ़ें…

Thamma Review
Thamma Review
Movie name:Thamma
Director:आदित्य सरपोतदार
Movie Casts:आयुष्मान खुराना, रश्मिका मंदाना, नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी, परेश रावल, सत्यराज, फैज़ल मलिक, गीता अग्रवाल, रचित सिंह

Thamma Review: आयुष्मान खुराना के फैन्स उन्हें एक बिलकुल नए अंदाज़ में देखने के लिए काफी समय से इंतज़ार कर रहे थे और अब उनका ये इंतज़ार फिल्म थामा के साथ खत्म हो चुका है. इस फिल्म में आयुष्मान बिलकुल नए अंदाज में नजर आये हैं और वह भी अब इस मैडॉक हॉरर यूनिवर्स का हिस्सा बन गए हैं.

फैंटेसी से भरपूर है चैप्टर

मैडॉक फिल्म्स ने जो हॉरर-कॉमेडी की दुनिया स्त्री से शुरू की थी, अब वो एक बड़े, जुड़ी हुई कहानियों वाले ब्रह्मांड में बदल चुकी है और थामा इस यूनिवर्स का अब तक का सबसे इमोशनल और फैंटेसी से भरपूर चैप्टर है.

फिल्म की कहानी हमें ले जाती है एक ऐसे जंगल में, जहां पुरानी कहानियां अब भी सांस ले रही हैं. यह जंगल सिर्फ पेड़ों और परछाइयों का नहीं, बल्कि पुरातन शक्तियों और टूटे हुए वादों का गवाह है.

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कैसी है फिल्म की कहानी?

थामा नाम सुनते ही लगता है कि ये कहानी किसी एक पात्र पर केंद्रित होगी, लेकिन असल में ये फिल्म एक पूरी दुनिया खड़ी करती है, जिसमें रहस्य, रिवाज, श्राप और बलिदान की कहानियां साथ चलती हैं. ये सिर्फ हॉरर नहीं है. यह फिल्म उस जज़्बे की बात करती है जब कोई अपने अपनों को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार होता है. डर और हंसी के बीच का संतुलन इतना सहज है कि हर दृश्य से आप जुड़ जाते हैं.

आयुष्मान खुराना की एक्टिंग

आयुष्मान खुराना ने इस बार एक ऐसा किरदार निभाया है जो उनके करियर का शायद सबसे अलग रोल है एक छोटे शहर का पत्रकार, जो अपनी जिंदगी में बहुत कुछ खो चुका है, लेकिन जब अंधेरा उसके दरवाज़े पर दस्तक देता है, तो वो सबसे बड़ा योद्धा बनकर सामने आता है. रश्मिका मंदाना का किरदार न सॉफ्ट है, न ही ओवरड्रामैटिक, वो मजबूत भी हैं और बेहद संवेदनशील भी. उनका अभिनय बहुत ही प्राकृतिक और प्रभावशाली है.

हॉरर यूनिवर्स का भविष्य

फिल्म के दूसरे भाग में जो आलोक और भेड़िया (वरुण धवन) के बीच का टकराव है, वो सिर्फ एक लड़ाई नहीं, बल्कि इस हॉरर यूनिवर्स के भविष्य की दिशा तय करने वाला मोड़ है. इस लड़ाई के साथ साथ कई रहस्य भी जुड़ गए हैं. दोनों के बीच की खामोश नफ़रत और छुपा हुआ जुड़ाव एक बड़े राज़ की ओर इशारा करता है, जो शायद आगे चलकर इस यूनिवर्स को और गहराई देगा.

जब आप सोचते हैं कि अब सब कुछ सामने आ चुका है, तभी होता है “सर कटा” का भयावह और चौंकाने वाला री-एंट्री सीन. स्त्री से जुड़ा ये किरदार इस बार और भी ज्यादा खतरनाक लगता है. यह क्लू देता है कि स्त्री 2 और थामा के बीच गहरा नाता है, और जल्द ही इस यूनिवर्स में एक भारी टकराव होने वाला है.

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नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी का किरदार

इसके साथ साथ फिल्म के सहकलाकारों ने बहुत ख़ूबसूरती के साथ फिल्म को आगे बढ़ाया है. परेश रावल ने अपने संवादों और कमाल की एक्टिंग से फिल्म को हल्का-फुल्का बनाया है. नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी का किरदार गहरा और रहस्यमयी है. उनकी आँखें और आवाज़ ही काफी हैं डर जगाने के लिए. उनका रोल छोटा लग सकता है, लेकिन भविष्य में ये किरदार बहुत अहम बनने वाला है. सत्यराज उर्फ़ “हैंड ऑफ गॉड” एल्विस के किरदार में इस बार सिर्फ कॉमेडी नहीं, बल्कि एक बड़ा खुलासा भी है, वो एक छिपे हुए कनेक्शन की ओर इशारा करते हैं जो आलोक और भेड़िया को जोड़ता है.

नोरा का कैमियो छोटा है लेकिन भावनात्मक रूप से बहुत असरदार है. उनका सीन स्त्री से जुड़ता है और ऐसा लगता है जैसे उनके पास इस यूनिवर्स की चाबी है. उनका किरदार सिर्फ एक स्पेशल अपीयरेंस नहीं, बल्कि आगामी फिल्मों की नींव हो सकता है.

फिल्म के गाने

जहां ज़्यादातर फिल्मों में गाने कहानी की रफ़्तार को तोड़ते हैं, वहीं थामा में हर गाना किसी किरदार की भावना या कहानी के मोड़ को दिखाता है. कोई भी ट्रैक जबरदस्ती नहीं लगता, हर गीत का मकसद है, और यही फिल्म को खास बनाता है.

फिल्म का डायरेक्शन

आदित्य सरपोतदार ने अपने निर्देशन में संतुलन का कमाल दिखाया है. हॉरर, इमोशन, और कॉमिक टोन को कभी भी एक-दूसरे पर हावी नहीं होने दिया. वो हर फ्रेम में यूनिवर्स की झलकियाँ छोड़ते हैं, जो फैंस को और भी उत्साहित करती हैं.

दिनेश विजन, जो इस पूरे हॉरर यूनिवर्स के निर्माता हैं, उनकी ये कोशिश कि भारतीय लोक कथाओं और डर को बड़े पर्दे पर एक यूनिवर्स के रूप में पेश किया जाए, वाकई में तारीफ के काबिल है.

फाइनल वर्डिक्ट

अगर आप स्त्री और भेड़िया के फैन हैं, ये फिल्म आपको बहुत आगे ले जाएगी. अगर आप कुछ नया, अलग और हिंदी सिनेमा में विश्व-स्तरीय हॉरर-फैंटेसी देखना चाहते हैं, इस फिल्म को मिस मत कीजिए और अगर आपको इमोशन, रहस्य, थ्रिल और लोककथाओं से बना एक सिनेमाई अनुभव चाहिए, तो थामा आपकी लिस्ट में सबसे ऊपर होनी चाहिए. ये फिल्म दिखाती है कि डर सिर्फ डराने के लिए नहीं होता, वो दिल को छू भी सकता है.

First published on: Oct 21, 2025 10:00 AM

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