Manivannan Death Anniversary: तमिल सिनेमा के एक्टर और डायरेक्टर एसएस मणिवन्नन की आज 11वीं डेथ एनिवर्सरी है। 15 जून 2013 को 59 की उम्र में कार्डियक अरेस्ट के कारण मणिवन्नन की अचानक मौत हो गई थी, जिसने तमिल सिनेमा को सदमे में डाल दिया था। चलिए, मणिवन्नन की डेथ एनिवर्सरी पर उनके सिनेमाई करियर की कुछ खास बातों के बारे में जानते हैं।
कहा जाता था किंग ऑफ सटायर
तमिल सिनेमा में मणिवन्नन को क्रांतिकारी निर्देशक के रूप में पहचाना जाता था। कोयंबटूर जिले के सुलूर में जन्मे मणिवन्नन ने कई हिट फिल्में दी हैं। मणिवन्नन को आखिरी बार उनके निर्देशन में बनी 50वीं फिल्म ‘नागराज चोलन एमए, एमएलए’ में देखा गया था, ये फिल्म तमिल राजनीतिक-व्यंग्य पर आधारित थी। इस फिल्म के रिलीज होने के कुछ समय बाद ही इनका निधन हो गया था। अपने व्यंगात्मक लहजे के लिए मशहूर मणिवन्नन ने बतौर निर्देशक और अभिनेता के तौर पर कई हिट फिल्में दी। चाहे कॉमेडी रोल हो, सहायक किरदार हो या खलनायक की भूमिका, उन्होंने हर क्षेत्र में बेहतरीन काम किया। मणिवन्नन की सबसे यादगार फिल्में मुधलवन, संगमम और उल्लाथाई अल्लिथा हैं, जिसमें इन्होंने शानदार अभिनय किया। उन्होंने 400 से अधिक तमिल फिल्मों में काम किया। इनकी निर्देशित की हुई कुछ मशहूर फिल्में हैं – ‘पुधु मणिथन’, ‘चिन्ना थम्बी पेरिया थम्बी’ और ‘जल्ली कट्टू’ शामिल है।
शराबी की भूमिका के कारण लगा शराबी का तमगा
एक कैरेक्टर एक्टर के रूप में मणिवन्नन ने लाखों दिलों पर राज किया। ज्यादातर फिल्मों में उन्होंने हीरो के चाचा या पिता की भूमिका निभाई। वे बेहद अच्छे कॉमेडियन में से एक माने जाते थे। इतना ही नहीं, कई फिल्मों में शराबी की भूमिका बखूबी निभाने के कारण लोगों की आम धारणा यह थी कि मणिवन्नन असल जिंदगी में भी शराबी ही हैं, जबकि असल में ये सच नहीं था। ये उनके एक्टिंग का हुनर था।
उन्होंने अपने शोबिज करियर की शुरुआत एक लेखक के तौर पर की थी। उन्होंने ‘टिक टिक टिक’ और ‘कथल ओवियम’ जैसे कई प्रोजेक्ट्स के लिए डायलॉग लिखे थे।
राजनीति में रहे सक्रिय
मणिवन्नन तमिल ईलम के कट्टर समर्थक थे और वे कई बार डीएमके और एमडीएमके का समर्थन करते हुए राजनीति में सक्रिय रहे, लेकिन अपने अंतिम दिनों में उन्होंने सीमन की नाम तमिलझर पार्टी का पूरा समर्थन किया।
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