अक्सर नवाब परिवारों को लेकर लोगों के मन में ऐश-ओ-आराम भरी और आसान जिंदगी की छवि होती है। लेकिन सोहा अली खान ने अपने पिता मंसूर अली खान पटौदी की जिंदगी के संघर्षों का जिक्र करते हुए बताया कि शोहरत और रुतबे के पीछे गहरी मुश्किलें भी छिपी थीं। पिता की कम उम्र में मृत्यु, जमीन-जायदाद का भारी नुकसान और एक हादसे में आंख खोना। इन सबके बावजूद पटौदी साहब ने भारतीय क्रिकेट में वो मुकाम बनाया, जो आज भी प्रेरणा देता है।
सोहा अली खान ने हाल ही में अपने पिता और पूर्व भारतीय कप्तान मंसूर अली खान पटौदी के बारे में जो बातें साझा की. उन्होंने यह साबित कर दिया कि शोहरत और संपन्नता के बावजूद इंसान को कई बड़े संघर्षों से गुजरना पड़ सकता है.
बचपन में पिता का निधन और जायदाद का नुकसान
सोहा ने द क्विंट के इंटरव्यू में बताया कि उनके पिता ने कम उम्र से ही कठिनाइयों का सामना किया। जब वे केवल 11 साल के थे, तभी उनके पिता इफ्तिखार अली खान पटौदी का निधन हो गया। इस घटना ने उनके जीवन में बड़ा खालीपन छोड़ दिया। इसके अलावा परिवार को अपनी कई जमीनें और पुश्तैनी मकान भी गंवाने पड़े। यानी कि राजशाही परिवार से ताल्लुक होने के बाद भी टाइगर पटौदी को जीवन की बुनियादी चुनौतियों का सामना करना पड़ा.
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कार हादसे ने छीनी एक आंख की रोशनी
सोहा ने बताया कि साल 1961 में एक सड़क दुर्घटना के दौरान उनकी दाईं आंख बुरी तरह घायल हो गई। विंडस्क्रीन के टुकड़े उनकी आंख में घुस गए और उनकी आंख की रोशनी प्रभावित हो गई। किसी भी क्रिकेटर के लिए यह सबसे बड़ा झटका हो सकता था, लेकिन मंसूर अली खान ने हार नहीं मानी। उन्होंने ना सिर्फ खेलना जारी रखा, बल्कि भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे युवा कप्तानों में से एक बनकर इतिहास रचा।

सोहा ने पिता के जीवन से लिया सबक
सोहा ने कहा कि उनके पिता ने जितने नुकसान देखे, उतनी ही मजबूती से खड़े भी रहे. जमीन-जायदाद छिनने से, आंख खोने से और पिता के जल्दी गुजर जाने से उनकी हिम्मत नहीं टूटी। सोहा मानती हैं कि यही गुण उन्हें और सैफ को अपने पिता से मिला की असली पहचान संपत्ति या शोहरत से नहीं, बल्कि इंसान की सोच और मजबूती से बनती है।
मां शर्मिला टैगोर को पैसे कमाना पसंद है- सोहा अली खान
सोहा अली खान ने आगे मां को लेकर भी बात की और कहा कि वह आज उन्हें प्रेरित करती हैं. एक्ट्रेस बनने के बाद उन्होंने अपनी मां की लगभग फिल्में देखी और तभी उन्हें समझ आया कि वह सिर्फ एक शानदार अदाकारा ही नहीं, बल्कि कितनी बहुमुखी हैं, अंग्रेज़ी, हिंदी और बांग्ला तीनों में काम करने की क्षमता रखने वाली एक बेहतरीन एक्ट्रेस हैं. उनकी मेहनत करने की आदत ने उन्हें काफी प्रभावित किया है.
इसी बात-चीत को आगे बढ़ाते हुए सोहा कहती हैं, ‘असल में, आज 80 साल की उम्र में भी उनकी एक फिल्म पिछले साल और एक इस साल रिलीज़ हुई है. उन्हें अब भी काम करना अच्छा लगता है और अपनी कमाई से खुशी मिलती है. मुझे लगता है, उनकी असली खुशी उनकी आजादी में है, पैसे को लेकर भी उनमें उत्साह बना रहता है.’
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