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कैफे में बर्तन धोए, नौकरी को धक्के खाए, संघर्षशील है TV की बहू का केंद्रीय मंत्री बनने का सफर

Smriti irani struggle story: केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का सफर संघर्ष भरा रहा है। वो संघर्ष करने से कभी पीछे नहीं हटीं। फिर चाहे उन्हें कैफे में बर्तन धोने पड़े हों, नौकरी के लिए लंबी लाइन में लगना पड़ा हो। उन्होंने साबित कर दिया कि मेहनत का कोई दूसरा विकल्प नहीं होता।

Smriti zubin irani
Smriti zubin irani

Smriti irani struggle story: हमारे यहां एक कहावत मशहूर है ‘कल किसने देखा है।’ ये कहावत केंद्रीय मंत्री स्मृति मंत्री के ऊपर बिल्कुल सटीक बैठती है, किसे पता था कि तुलसी बनकर घर-घर पॉपुलर हुईं टीवी एक्ट्रेस स्मृति ईरानी कभी केंद्र में बैठकर महिला और बाल विकास मंत्रालय संभालेंगी। स्मृति जुबिन ईरानी ने इस बात साबित कर दिया कि मेहनत का कोई दूसरा विकल्प नहीं होता। इंसान को अपनी मंजिल के तरफ बढ़ते रहना चाहिए। आज स्मृति ईरानी 48 साल की हो गई हैं। स्मृति ने जीवन के 48 साल में कभी हार नहीं मानी।

कैफे में किया वेट्रेस का काम

स्मृति ईरानी ने कई इंटरव्यू में बताया है वो संघर्ष करने से कभी पीछे नहीं हटीं। फिर चाहे उन्हें कैफे में बर्तन धोने पड़े हों, नौकरी के लिए लंबी लाइन में लगना पड़ा हो या फिर टीवी सेलेब होने के बाद भी पार्टी के आम कार्यकर्ता की तरह भूखे रहना पड़ा हो, पैदल चलना पड़ा हो। स्मृति ने वेट्रेस तक का काम किया हैं। उन्होंने ही एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्होंने दिल्ली को फुटपाथ से भी देखा है और आज संसद भवन से भी देख रही हैं।

मिस इंडिया बनने मुंबई गईं, इस शो से हुईं मशहूर

साल 1998 में स्मृति ईरानी पिता से पैसे उधार लेकर मुंबई गईं, मिस इंडिया का ऑडिशन दिया, जिसमें वो सिलेक्ट हो गईं। फाइनल तक जगह बनाई, हालांकि वो शो जीत नहीं पाईं। इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी, पिता के पैसे वापस करने के लिए काम की तलाश करती रहीं। कुछ बनने की चाह में ऑडिशन देती रहीं। इसी दौरान उन्हें एक्टिंग में सबसे बड़ा ब्रेक मिला। एकता कपूर के सीरियल क्योंकि सास भी कभी बहू थी में लीड रोल में कास्ट किया गया। इस रोल से वो घर घर फेमस हुईं।

बीजेपी महिला उपाध्यक्ष से बनीं केंद्रीय मंत्री

टीवी पर फेमस होने के बाद साल 2003 में स्मृति ने भाजपा जॉइन कर ली। उन्हें 2004 में पार्टी ने महिला विंग का उपाध्यक्ष बनाया। वो साल 2010 में महिला विंग की अध्यक्ष बनीं। इसके बाद राष्ट्रीय सचिव और फिर साल 2014 के लोकसभा चुनाव में जाना माना चेहरा होने के कारण पार्टी ने उन्हें राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी से टिकट दिया। हालांकि, 2014 में वो अमेठी से हार गईं, लेकिन पांच साल बाद जब वो दोबारा उसी सीट से चुनावी मैदान में उतरीं तो कांग्रेस को उनके गढ़ में हराने में कामयाब रहीं। पार्टी ने स्मृति पर विश्वास दिखाया और कैबिनेट में जगह दी।

First published on: Mar 23, 2024 11:27 PM

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