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Heeramandi पर उठे सवाल, को-डायरेक्टर हुई गुस्से से लाल, Vivek Agnihotri को दिया करारा जवाब

Heeramandi: The Diamond Bazaar: हीरामंडी तवायफों पर बनी वेब सीरीज है जिसे कुछ लोग पसंद कर रहे हैं तो कुछ इसपर सवाल उठा रहे हैं, ऐसे में विवेक अग्निहोत्री ने भी निशाना साधा तो को-डायरेक्टर स्नेहिल दीक्षित मेहरा ने दिया ऐसा करारा जवाब जिसने कर दी बोलती बंद...

Hiramandi

 Heeramandi: The Diamond Bazaar: संजय लीला भंसाली (Sanjay Leela Bhansali) की’हीरामंडी: द डायमंड बाजार’ (Hiramandi: The Diamond Bazaa) को लेकर ऑडियंस दो भागों में बंट गई है। एक वो जो इसकी तारीफ कर रही है और एक वो जिसे इसमें कमियां नजर आ रही है। दरअसल, विवेक रंजन अग्निहोत्री ने हाल ही में सोशल मीडिया पर इस हालिया रिलीज वेब सीरीज की आलोचना करते हुए कहा कि इस सीरीज में वेश्याओं की दशा को अच्छा दिखाया गया है, जो किसी महारानी से कम नहीं है। लेकिन असलियत में वेश्यालय मानवीय अन्याय, दर्द और पीड़ा की पहचान हैं। अब विवेक के इस बयान पर स्नेहिल दीक्षित मेहरा ने पलटवार करते हुए विवेक को जवाब दिया है। उनका सीधा कहना है कि उन्होंने ये शो देखा ही नहीं है अगर देखा होता तो ऐसा कभी न कहते। आइए जानते हैं कि स्नेहिल ने हीरामंडी के बखान में क्या कहा।

नहीं किया गया है तवायफों के महिमामंडन

स्नेहिल दीक्षित मेहरा ने नेटवर्क 18 से बातचीत करते हुए हीरामंडी के बारे में कहा कि उन्हें विश्वास है, विवेक ने शो नहीं देखा है, अगर देखा होता तो ऐसा नहीं कहते। इसमें तवायफों के महिमामंडन के बारे में कुछ नहीं है। ये शो 1920 और 1940 के दशक की पृष्ठभूमि पर आधारित है। उस समय तवायफों का बोलबाला था। स्नेहिल ने आगे कहा कि संजय लीला भंसाली द्वारा इकट्ठा किए हुए डेटा से पता चलता है कि उस समय तवायफों के साथ रानियों जैसा व्यवहार किया जाता था। ऐसे में हीरामंडी ये पुष्टि करती है कि उसने सफलतापूर्वक अपने लक्ष्य को पूरा किया है।

शो बनाने से पहले की थी जांच पड़ताल

स्नेहिल दीक्षित मेहरा ने अपनी बात को जारी रखते हुए आगे कहा कि उन्होंने शो बनाने से पहले अच्छे से जांच की थी। शोध के दौरान हमें पता चला कि उस समय तवायफें बहुत अमीर थीं, वो नवाबों से ज्यादा कर चुकाती थीं, और पढ़ाई में लिखाई में भी आगे थीं। दरअसल उस समय वैध परिवारों की लड़कियों को पर्दे में रखा जाता था। वो न तो बाहर आती जाती थीं, और न ही उन्हें तालीम लेने की अनुमति थी। वहीं तवायफें इन सब में आगे थीं, वो न तो पर्दा करती थीं, और तालीम के साथ अन्य कलाओं में भी वो आगे थीं। अगर ये कहा जाए कि वे बहुत तेज तर्रार महिलाएं थीं, समाज में वो बहुत शक्तिशाली स्थिति में थी तो कुछ गलत न होगा।

दिखा तवायफों का दर्द

ऐसा नहीं है कि तवायफों के लिए परेशानियां नहीं होती थीं। अंग्रेजों द्वारा नाचने वाली लड़कियों को तोड़ने की कोशिश की जाती थी। उनकी गरिमा को तोड़ा जाता था। उनका फायदा उठाया जाता था। ऐसे में विवेक का ये कहना की वेब सीरीज में तवायफों का महिमामंडन किया गया है कहीं से भी सही नहीं है, वो ही दिखाया गया है जो उस समय होता था।

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First published on: May 07, 2024 07:14 AM

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