12th Fail Opinion: विधु विनोद चोपड़ा (Vidhu Vinod Chopra) की फिल्म 12वीं फेल एक शानदार कहानी वाली मूवी है। विक्रांत मैसी (Vikrant Massey )(मनोज कुमार शर्मा) मेधा शंकर (Medha Shankar) (श्रद्धा जोशी) के लीड रोल वाली ये मूवी मैंने देखी तो लास्ट में अपने आंसू नहीं रोक पाई। हालांकि जब स्टार्टिंग में फिल्म देखनी शुरू की तो दिमाग में यही प्रश्न उछल कूद कर रहा था, आखिर 12वीं फेल कैसे IPS ऑफिसर बन गया? लेकिन जब मैंने फिल्म देखी तो पता चला कि सुविधाओं के अभाव में कैसे संघर्ष करते हुए चंबल का एक गरीब परिवार का लड़का IPS बन जाता है। हालांकि ऐसा नहीं है कि किसी ने मनोज की मदद न की हो।
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क्या कहता है E24 का पोल? (12th Fail Opinion)
जिंदगी में कुछ लोग ऐसे मिले जिन्होंने एक हिम्मत हार चुके लड़के को मंजिल तक पहुंचाने का रास्ता दिखाया। इस लिस्ट में वैसे तो कई नाम आ सकते हैं, लेकिन हमने 4 लोगों का नाम देकर एक पोल जारी किया जिसमें ऑडियंस ने अपनी राय दी और बताया कि कौन था IPS मनोज शर्मा की सफलता के पीछे। आइए आपको भी बताते हैं, अगर आप भी हमें अपनी राय देना चाहते हैं तो कमेंट कर दे सकते हैं।
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कैसे शुरू हुई IPS की जंग? (Opinion)
चंबल के एक गांव में जहां स्कूलों में नकल कर बच्चों को पास करवाना एक प्रथा है। इस प्रथा का हिस्सा मनोज भी बनता है जो चंबल के गांव का साधारण से परिवार का लड़का है। 10वीं में नकल कर फर्स्ट पोजिशन पाने वाला लड़का 12वीं में भी पास होने के लिए फर्रे बनाता है। लेकिन इस बार नकल नहीं चल पाती और गांव में आए नए SDM दुष्यंत सिंह अपनी ईमानदारी से सभी प्लान पर पानी फेर देता है।
ऐसे में मनोज फेल हो जाता है। लेकिन वो दुष्यंत से प्रभावित होता है और उससे पूछता है कि आप जैसा बनने के लिए क्या करना पड़ेगा। दुष्यंत का एक जवाब की कुछ ज्यादा नहीं बस चिटिंग करनी छोड़ दो, मनोज के दिलों दिमाग पर छा जाता है।
निकल पड़ा सपना पूरा करने (12th Fail Opinion)
मनोज के दिल पर ये बात लग जाती है और वो अगली बार बिना नकल करें 12वीं पास करता है लेकिन तीसरा स्थान पाता है। फिर वो निकल पड़ा IPS बनने की राह पर। सबसे पहले दादी अपनी जमा पूंजी दे मनोज का उत्साह बढ़ाती है और उसे कहती है कि वर्दी पहनकर ही वापस आना। लेकिन गांव का लड़का शहर की चकाचौंध में हड़बड़ा जाता है और स्टेशन पर उतरते ही उसका बैग खो जाता है। इसके बाद शुरू होती है असली संघर्ष की कहानी।
प्रीतम पांडे बनता है दूसरी सीढ़ी (Opinion)
स्टेशन पर भूखे-प्यासे और परेशान मनोज को प्रीतम मिलता है, जो खुद यूपीएससी की तैयारी करने के लिए दिल्ली के मुखर्जी नगर में रहता है। पांडे उसे खाना खिलाता है और ले जाता है मुखर्जी नगर जहां वो उसे गौरी भैया से मिलवाता है जो खुद UPSC की तैयारी करता है और बच्चों को भी पढ़ाता है। वो बन जाता है मनोज का गुरु। लेकिन खुद अपने आखिरी अटेंप्ट में फेल हो गौरी भैया रीस्टार्ट नाम से टी स्टॉल ओपन करता है जहां बच्चों को भी पढ़ाता है।
फिर मिलती है श्रद्धा जोशी (12th Fail Opinion)
अब मनोज को मिलती है श्रद्धा जोशी जो खुद यूपीएससी की तैयारी करने के लिए मसूरी से मुखर्जी नगर आती है। वहां उसकी मुलाकात मनोज से होती है जो पहले अच्छे दोस्त बनते हैं और फिर एक दूसरे को दिल दे बैठते हैं। श्रद्धा मनोज की पढ़ाई में काफी मदद करती है।
विपरीत परिस्थितियों में बना IPS
सुविधाएं आगे पीछे हो तो पढ़ाई करना आसान हो जाता है। लेकिन उन लोगों से पूछो जो सुविधाओं के अभाव में पढ़ते हैं और एक मुकाम हासिल करते हैं। ऐसा ही कुछ संघर्ष था मनोज कुमार का जो अपनी पढ़ाई करने के लिए लाइब्रेरी में टॉयलेट साफ करने से लेकर साफ सफाई तक करता है। आटा चक्की में आटा पीसता है और वहीं पढ़ाई करता है। साथ ही जो समय मिलता है तो चाय की दुकान में भी काम करता है। इन विपरीत परिस्थितियों में भी वो मेहनत और दोस्तों की मदद से IPS बन जाता है।
ऑडियंस की नजर में किसका है सफलता के पीछे हाथ (12th Fail Opinion)
हमने अपने E24 के फेसबुक पेज पर एक पोल जारी क्या जिसमें प्रश्न पूछा कि आपके अनुसार IPS मनोज कुमार शर्मा की सफलता के पीछे किसका है हाथ? इस सवाल का लोगों ने जवाब दिया। एक यूजर ने कहा- उसकी दादी का सबसे बड़ा सहयोग है। एक और यूजर ने लिखा- गौरी भैया का हाथ है।
एक ने लिखा प्रीतम पांडे का तो एक यूजर ने लिखा- स्वयं की मेहनत से। वहीं एक ने लिखा सभी का बराबर हाथ है। इसी तरह सैकड़ों कमेंट्स आए हैं।
अगर आप भी अपनी राय देना चाहते हैं तो कमेंट कर दे सकते हैं। ये मेरी राय है क्योंकि मुझे फिल्म ने बहुत प्रभावित किया और मेरा मानना है कि हर पेरेंट्स को ये फिल्म अपने बच्चों को दिखानी चाहिए। आप बताइए आप क्या सोचते हैं।