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‘हिंदी सिनेमा में नहीं मिला सम्मान…’ Lata Mangeshkar ने Manna Dey को लेकर कही ये बात

मन्ना डे की 1 मई को बर्थ एनिवर्सरी होती है, आज के दिन उनका जन्म साल 1919 में कोलकाता में हुआ था। चलिए जानते हैं कि मन्ना डे के बारे में स्वर कोकिला लता मंगेशकर क्या मानना था।

Manna Dey and Lata Mageshkar
Manna Dey Lata Mageshkar

(Report By: Subhash K Jha): सुरों के उस्ताद प्रभोद चंद्र डे, जिन्हें दुनिया मन्ना डे के नाम से जानती है। मन्ना डे की 1 मई को बर्थ एनिवर्सरी होती है, आज के दिन उनका जन्म साल 1919 में कोलकाता में हुआ था। मन्ना डे ने हिंदी संगीत जगत को कई सदाबाहर और यादगार गाने दिए हैं और उनके गाने आज भी लोगों के बीच जिंदा हैं। मन्ना डे के हिट गानों की लंबी फेहरिस्त है, जिसमें “लागा चुनरी में दाग”,”ए मेरी जोहरा जबीं”, “कसमे वादे प्यार वफ़ा”, “पूछो न कैसे मैंने रैन बिताई” और “जिंदगी कैसी है पहेली” शामिल हैं। चलिए आज मन्ना डे की बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर जानते हैं कि संगीत जगत की ‘स्वर कोकिला’ लता मंगेशकर उनको खुद से बेहतर क्यों मानती थीं?

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मन्ना डे के बारे में लता मंगेशकर की राय

एक पुराने इंटरव्यू में लता मंगेशकर ने सुभाष कुमार झा से मन्ना डे के बारे में खुलकर बात की थी। उस दौरान उन्होंने कहा था, ‘ऐसा कुछ भी नहीं था जो मन्ना डे न कर सकें। वो अपने क्लासिकल गानों के लिए मशहूर थे। लेकिन मुझे उनके कॉमेडी गाने भी बहुत पसंद थे, खास तौर पर ‘पड़ोसन’ में ‘एक चतुर नार करके श्रृंगार’ मेरा सबसे पसंदीदा है। जब भी मैं उदास होती हूं, तो मैं ‘एक चतुर नार करके श्रृंगार’ में मन्ना डे और किशोर दा को सुनती। इस गाने में वे हंसी से लोटपोट हो गए।’

हिंदी जगत में नहीं मिला सम्मान

लता मंगेशकर ने बताया था कि मन्ना डे के साथ मिलकर उन्होंने  ‘बलमा मोरा आचरा महके रे’ और ‘कान्हा बोले ना’ दो शानदार गाने गाए थे। इन दोनों ही गानों में सबसे अजीब बात ये थी कि इन दोनों ही गानों में उन्हें संगीत सीखाना था।  स्वर कोकिला उर्फ लता मंगेशकर को लगता है कि हिंदी फिल्म उद्योग में मन्ना डे को वो सम्मान नहीं मिला है, जिसके वो लायक थे। उन्होंने कहा था, ‘बंगाल सिनेमा में मन्ना डे के टेलेंट को खास कवरेज मिली। लेकिन हिंदी सिनेमा में उन्हें वह सम्मान नहीं मिला, जो मिलना चाहिए था। इस बात का मन्ना डे को हमेशा शिकवा रहा।’

 लता मंगेशकर के लिए चुनौती थे 2 गानें

इस दौरान लता मंगेशकर ने मन्ना डे के साथ गाए गानों के बारें में जिक्र करते हुए कहा, ‘जब भी मैंने उनके साथ गाया तो मुझे जोश में रहना पड़ा। हमारे कई गाने एक साथ हैं, जिसमें ये रात भीगी भीगी (चोरी चोरी), प्यार हुआ इकरार हुआ (श्री 420), सोच के ये गगन झूमे (ज्योति), झूमता मौसम (उजाला), दिल की ग्यारह खोल दो (रात और दिन), धरती अंबर नींद से जगे (चैताली) शामिल हैं। लेकिन गाने ऐसो रे पापी बिछुआ (मधुमती) और चुनरी संभाल गोरी (बहारों के सपने) मन्नादा के साथ गाने में मुझे बहुत मजा आया, मगर मेरे लिए ये दो गाने एक चुनौती थे।’

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First published on: May 01, 2025 06:21 PM

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