Main Ladega Movie Review (अश्वनी कुमार) : मैं लड़ेगा… नाम सुना है, इस फिल्म का… ट्रेलर देखा है… या फिर इसे किसने लिखा, किसने बनाया, कौन एक्टर है… कुछ खबर है? नहीं ना? दरअसल ये किसी स्टार, या स्टार सन, या किसी बड़े प्रोड्यूसर या किसी बड़े प्रोडक्शन हाउस की फिल्म नहीं है। मैं लड़ेगा की कहानी है जिद की और इसके बनने की भी कहानी है जिद की।
जब एक पी.आर. कंपनी का एक्जेक्यूटिव थोड़ा सहमें हुए लहजे में पूछता है कि सर एक फिल्म है – मैं लड़ेगा और आप उसका रिव्यू करेंगे, तो इस अनसुनी, अनजानी फिल्म का ट्रेलर देखकर ही आपको अहसास हो जाता है कि स्टार सिस्टम के पीछे भागते हुए हम भूल जाते हैं कि कमाल की फिल्म, कमाल की एक्टिंग पर किसी बड़े प्रोडक्शन हाउस और किसी स्टार किड का कॉपीराइट नहीं है।
मैं लड़ेगा कहानी को लिखने वाले, इसे को-प्रोड्यूस करने वाले और इसमें एक्ट करने वाले आकाश प्रताप सिंह, जिन्होंने मैं लड़ेगा में अपने नाम के किरदार को निभाया है, वो इतना शानदार है कि उनकी बात होनी चाहिए, उनकी तारीफ होनी चाहिए… उनकी जिद के तालियां बजनी चाहिए।
मैं लड़ेगा, एक छोटे से शहर में रहने वाले आकाश की कहानी है, जो अपने गुस्सैल, शराबी और बात-बात उसकी मां की बेरहमी से पिटाई करने वाले बाप से दूर जाना चाहता है। एक डरा बच्चा, जो अपनी मां और छोटे भाई को बाप की बेरहमी से दूर निकालने की जिद लिए बैठा है… और उसकी मां, अपने बेटे को, बाप के डर से दूर निकालकर, एक बेहतर जिंदगी देने के लिए आर्मी स्कूल और आर्मी के शहीदों के बच्चों के लिए बने हॉस्टल में एडमिशन करवा देती है। यहां बॉक्सिंग के कॉम्पिटशन में गोल्ड मेडल जीतकर, इनाम के पैसों से मां और छोटे भाई को शराबी और गुस्सैल बाप के घर निकालने की उम्मीद जगती है… और वो फिर उस राह पर निकल पड़ता है, जो नामुमकिन से भी ज्यादा मुश्किल है।
ये फिल्म और इसकी कहानी में ऐसा कुछ नहीं है, जो आपने पहले कभी देखा या सुना नहीं है। अखबारों में ऐसी कहानियां छपती हैं, लेकिन स्क्रीन पर स्कूल-कॉलेज, कैंपस और कॉम्पीटशन की जो कहानियां – स्टूडेंट ऑफ द ईयर के तौर पर आपको दिखाई जाती है, ये उनसे बिल्कुल जुदा है। मैं लड़ेगा, टूटी हुई जिंदगी के बीच लड़ने और जीतने की कहानी है।
12 साल से फिल्म इंडस्ट्री में बिना किसी गॉडफादर या बड़े प्रोडक्शन हाउस के सहारे, आकाश प्रताप सिंह ने अपनी इस फिल्म की कहानी, इसका स्क्रीनप्ले और डायलॉग खुद लिखे हैं। उनकी अपनी कहानी भी बहुत कुछ इस कहानी से मिलती-जुलती है। डायरेक्टर गौरव राणा ने इस कहानी को कम बजट और बड़े स्टार… और भारी-भरकम एंट्री सीन्स के बोझ से लादा नहीं है, बल्कि आकाश के बेबसी, उसकी मजबूरी और उसकी जिद को बहने दिया है। बैकग्राउंड स्कोर फिल्म का बेहतरीन है, हांलाकि गानों पर बहुत काम करने की गुंजाइश थी… । फिल्म की सिनेमैटोग्राफी और लोकेशन्स रीयल हैं और सपोर्टिंग कास्ट का सेलेक्शन और परफॉरमेंस बहुत असरदार।
मैं लड़ेगा जैसी कहानियां और फिल्में… स्टारडम के प्लेटफॉर्म पर चढ़कर, बड़े-बड़े प्रमोशन की होर्डिंग पर सजकर नहीं खिलती… ये तारीफों से फलती-फुलती हैं। इसे देखिए और रिकमेंड कीजिए।
‘मैं लड़ेगा’ को 3.5 स्टार।
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