करण जौहर का रियलिटी शो ‘द ट्रेटर्स’ इस दिनों सुर्खियों में बना हुआ है। इस शो को देखने के बाद दर्शक इसकी तुलना सलमान खान के पॉपुलर शो बिग बॉस से भी कर रहे हैं। हालांकि दोनों ही रियलिटी शोज का फॉर्मेट, कंट्रोल और प्रजेंटेशन एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं। आइए जानते हैं कि किन 5 ऐसे बड़े फर्क के बारे में जो दोनों शोज के अलग बनाते हैं।
1. मेकर्स का कंट्रोल, फिक्स्ड फॉर्मेट
सलमान खान के शो ‘बिग बॉस’ में कंटेस्टेंट्स की किस्मत काफी हद तक मेकर्स के हाथ में होती है। किसे कितना दिखाना है, किसे बाहर करना है, ये सब मेकर्स तय करते हैं। वहीं, ‘The Traitors’ में फिक्स्ड फॉर्मेट है, जिसमें किसी भी हस्तक्षेप की गुंजाइश नहीं है।यहां पर कंटेस्टेंट के बीच भेदभाव नहीं देखने को मिलता है।
2. एपिसोड स्ट्रक्चर और टाइम लिमिट
‘बिग बॉस’ जहां तीन महीने या उससे ज्यादा चलता है। शो की अगर टीआरपी बढ़ती रहती थी तो इसे मेकर्स और समय के लिए बढ़ा भी देते थे। वहीं ‘द ट्रेटर्स’ केवल 10 एपिसोड तक सीमित है। इसके कारण शो में खिंचाव नहीं होता और दर्शक बोर नहीं होते
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3. एलिमिनेशन, फेयर Vs मैनिपुलेटेड
‘बिग बॉस’ में एलिमिनेशन को लेकर अकसर सवाल उठते हैं। कई बार मेकर्स पर बायस्ड होने के आरोप लगे हैं। वहीं ‘द ट्रेटर्स’ में एलिमिनेशन गेम के अंदर ही तय हो जाता है। इस शो में या तो ट्रेटर किसी को ‘मर्डर’ करता है या फिर सस्पिशन के आधार पर किसी को आउट किया जाता है।
4. होस्ट-कंटेस्टेंट कनेक्शन
सलमान खान का ‘बिग बॉस’ में कंटेस्टेंट्स से मजबूत इमोशनल एंगल कनेक्शन देखने को मिलता है। इस शो में होस्ट कंटेस्टेस्टेंट को गाइड करते हैं, डांटते हैं और तारीफ भी करते हैं। लेकिन करण जौहर ‘द ट्रेटर्स’ में केवल होस्ट की भूमिका निभा रहे हैं। उनका कंटेस्टेंट्स से कोई पर्सनल कनेक्शन नहीं दिखाया गया है।
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5. ऑडियंस की ताकत
‘बिग बॉस’ में ऑडियंस वोटिंग और सोशल मीडिया के जरिए खेल को प्रभावित कर सकती है। यह सो ऑडियंस पर ही पूरी तरह से बेस्ड रहता है। वहीं, ‘द ट्रेटर्स’ में दर्शक सिर्फ दर्शक हैं, उनके पास कंट्रोल का कोई जरिया नहीं है।
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