Devra Movie Review: Navin Singh Bhardwaj- साउथ फिल्मों का फैन भला कौन नहीं है ? हिंदी डब्ड साउथ फिल्में तो टीवी पर ब्लॉकबस्टर रही हैं। फिर थियेटर में RRR, KGF, Bahubali और Pushpa जैसी फिल्मों में उमड़ी भीड़ के बाद, ओटीटी पर भी रिपीट बिंज वॉच में साउथ की फिल्मों को प्रेफरेंस मिल रही है। इस साल वैसे भी कल्कि ने थियेटर से लेकर ओटीटी पर कोहराम मचाया, तो साउथ के सुपरस्टार जूनियर NTR जब सैफ अली खान और जाह्नवी कपूर के साथ देवरा लेकर आ रहे तो एक्साइटमेंट जबरदस्त है। आखिर कैसी है ये फिल्म इसलिए लिए पढ़िए E24 का रिव्यू
देवरा की कहानी
देवरा की कहानी की शुरुआत 1984 से होती है, जहां 4 गांव के मुखिया में से, दो मुखिया देवरा (एनटीआर जूनियर) और भैरा ( सैफ अली खान ) समुद्री जहाज पर से समान लूटते हैं और उसे पैसों के लिए तस्करी करते हैं। यहां देवरा थोड़े शांत दिमाग का होता है, मगर भैरा गर्म मिजाज का। फिर देवरा को पता चलता है कि जो चीजे वो और बाकी गांव वाले चुराते हैं, वो असल में हथियार और बम बनाने के समान है। ऐसे ही एक बम देवरा के गांव वाली बस को उड़ाने में भी इस्तेमाल हुआ है।
इस वजह से देवरा ये स्टैंड लेता है कि अब से गांव वाले किसी भी समुद्री जहाज पर लूट-पाट नहीं करेंगे। जाहिर है, भैरा बुरा मान जाता है और बाकी 3 गांव वाले देवरा को मार डालने का प्लान बनाते हैं। देवरा सब से बच कर जंगल में छिप जाता है और ऐलान करता है कि कोई भी लूट के इरादे से समुद्र में जाएगा तो देवरा उसे नहीं छोड़ेगा।
मूवी का क्लाइमैक्स
इधर 12 साल तक भैरा तैयारी करता है कि जब भी देवरा बाहर आयेगा उसे मौत मिलेगी। देवरा का बेटा वेरा ( एनटीआर जूनियर ) थोड़ा डरपोक होता है, और गांव वाले उससे उम्मीद लगाए बैठे हैं कि वो अब भैरा के प्रकोप से सबको बचाएगा। बचपन से देवरा को अपना आइडल मानने वाली थांगा ( जाह्नवी कपूर ) वेरा में उसके पिता की तरह वो साहस और हिम्मत देखना चाहती है ताकि वो उस से शादी कर पाये। मगर थांगा हताश होती है। लेकिन क्लाइमेक्स के बाद कहानी ट्विस्ट लेती है, और वो क्या है? ये जानने के लिए आपको अपने नजदीकी सिनेमाघर का रुख करना पड़ेगा।
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डायरेक्शन, राइटिंग & म्यूजिक
देवरा को लिखा और डायरेक्टर दोनो कोरतला शिवा ने किया है। महेश बाबू की फिल्म भारत अने नेनू ( डैशिंग चीफ मिनिस्टर) और रामचरण की फिल्म आचार्या के बाद अब उन्होंने देवरा की बागडोर संभाली है। मगर राइटिंग के मामले में देवरा, बहुत ज्यादा खींची हुई फिल्म है, जिसे यकीनन छोटा किया जा सकता था। पूरे 3 घंटे की फिल्म का एक्साइटमेंट फर्स्ट हाफ तक भी टिक कर नहीं रह पाता। इंटरवल तक कहानी खिंचने लगती है और ये जानकर आपकी सांस फूल जाती है कि अब तक सिर्फ कहानी का बिल्ड-अप चल रहा था। तक खींचती नजर आई है। वहीं इंटरवल से पहले बस स्टोरी बिल्डअप ही चल रहा था।
एक्शन सीक्वेंस की नहीं कमी
कोरतला शिवा ने फिल्म के दोनो मेन कैरेक्टर यानी-देवरा और भैरा पर अपनी नजरें ऐसी टिकाई हैं कि रोमांटिक ट्रैक और जाह्नवी दोनों फिल्म से गायब हो गए लगते हैं। हालांकि उन्होंने फिल्म को इंटरेस्टिंग बनाने के लिए भर भर के एक्शन और फाइट सीक्वेंस रखे हैं, जो शानदार हैं। लेकिन यहां, बाहुबली वाला ही सवाल रिपीट है कि कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा?, बस इस सवाल में किरदारों के नाम बदल जाएंगे और जवाब के लिए पार्ट-2 वाला सेम फॉर्मूला वेटिंग वाला बोर्ड दिखाएगा। देवरा के डायलॉग एवरेज हैं, जो बहुत ज्यादा असर तो नहीं छोड़ते। हालांकि फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर शानदार है, जो अनिरुद्ध ने दिया है।
एक्टिंग
डबल रोल में जूनियर एनटीआर कमाल हैं। एक्शन सीन्स बेहतरीन है और एनटीआर जूनियर ने पूरी फिल्म को अपने कंधे पर उठाने की पूरी कोशिश की है। सैफ अली खान भी, भैरा के रोल में दमदार लगे हैं, बस ऐसा लगता है कि आपने इस सैफ को पहले भी देखा है, और ये सच भी है। जाह्नवी कपूर के साथ देवरा में धोखा हुआ है, वो जितना कम प्रमोशन में दिखीं, उससे भी ज़्यादा कम फिल्म में हैं। मंझे हुए और दिग्गज कलाकार -प्रकाश राज, जरीना वहाब, मुरली शर्मा और अभिमन्यु सिंह, जब-जब स्क्रीन पर दिखे, तो असर छोड़ा है।
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फाइनल वर्डिक्ट
राजामौली की फिल्मों में काम करने वाले एक्टर्स के साथ एक बैड लक है, कि उनके लीड एक्टर्स की अगली फिल्म अब तक तो नहीं चली है। प्रभास के लिए साहो, राम चरण के लिए आचार्य और अब जूनियर एनटीआर के लिए देवरा में ये सच होता नजर आ रहा है। हालांकि अंडर वॉटर एक्शन के लिए ये फिल्म देखी जा सकती है।