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फिल्मों के जुनून के लिए जायदाद रखी गिरवी, रेड लाइट एरिया में नहीं मिली हीरोइन, बावर्ची को बना दिया एक्ट्रेस

Dadasaheb Phalke Death Anniversary: आज दादासाहेब फालके की डेथ एनिवर्सरी है जिन्हें 'सिनेमा के पितामह' कहा जाता है।

इमेज क्रेडिट: E 24 बॉलीवुड
Dadasaheb Phalke Death Anniversary: बॉलीवुड इंडस्ट्री में दादा साहब फाल्के को फिल्मों का जनक कहा जाता है। भारती की पहली फीचर फिल्म राजा हरिश्चंद्र की नींव साल 1910 में ही पड़ गई थी। जी हां, आज हम जो फिल्में देखते हैं उस सिनेमा की नींव दादा साहेब फाल्के ने ही रखी थी। इस दिन रिलीज हुई थी फिल्म 'द लाइफ ऑफ क्राइस्ट' को देखते हुए उन्हें राजा हरीशचंद्र बनाने का ख्याल आया। उन्हीं ही की बदौलत आज हमें सिनेमा नाम की कोई चीज मिली जो हमें एंटरटेन करती है। आज ऐसे महान इंसान की 79वीं बर्थ एनिवर्सरी है। आज ही के दिन दादा साहेब फाल्के ने इस दुनिया को अलविदा कहा था। इस खास दिन पर उन्हें याद करते हुए उनसे जुड़ी कुछ बातें जानते हैं।

कैसे बने फिल्मों के पितामह?  (Dadasaheb Phalke Death Anniversary)

फीचर फिल्म बनाने का ऐसा जुनून की परेशानियों का सामना करते हुए अपने जुनून को पूरा किया। वो शख्स कोई और नहीं हिंदी सिनेमा के पितामह कहे जाने वाले दादा साहेब फाल्के थे। लेकिन सिर्फ एक आइडिया ने फाल्के साहब को हिंदी सिनेमा का पितामह ही बना दिया। [caption id="attachment_405882" align="aligncenter" ] इमेज क्रेडिट: गूगल[/caption] यह भी पढ़ें: एक बुरी लत ने बनाया खूंखार विलेन, लोग करने लगे थे नफरत, एक्टर के पोस्टर पर मारते थे जूता

कठिन दौर से गुजरे

दादा साहेब फाल्के का जन्म 30 अप्रैल 1870 को हुआ था। कैमरामैन बनने का सपना देखने वाले फाल्के साहब के सिर पर फिल्में बनाने का ऐसा जुनून चढ़ा कि सब कुछ दाव पर लगा उन्होंने पहली हिंदी फीचर फिल्म राजा हरिशचंद्र बनाने की ठान ली। तकनीकी कमियों के चलते उन्हें बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपनी जमीन जायदाद के साथ पत्नी के गहने भी गिरवी रख दिए और फिल्म बनाने का काम चालू किया। [caption id="attachment_405883" align="aligncenter" ] इमेज क्रेडिट: गूगल[/caption]

रेड लाइट एरिया में की एक्ट्रेस की तलाश  (Dadasaheb Phalke Death Anniversary)

अब दादा साहेब फाल्के ने फिल्म राजा हरिशचंद्र के लिए हीरोइन तलाशने की सोची और निकल पड़े रेड लाइट एरिया में। हालांकि वहां उन्हें अपनी हीरोइन नहीं मिली तो ऐसे में फाल्के की नजर उनकी बावर्ची दत्तात्रेय पर पड़ी। वो देखे में अच्छी थी, फिर क्या बना डाला रसोइया को हीरोइन। यह भी पढ़ें: सोने से था बेइंतहा प्यार, सोने की इस आदत ने ले ली जान

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