Badass Ravi Kumar Movie Review: हिमेश रेशमिया हमेशा से अपनी अलग पहचान के लिए जाने जाते हैं। चाहे वो अपनी नाक से गाने की अनोखी स्टाइल हो या फिर अपने स्वैग से कल्ट फैन फॉलोइंग बनाना। गाने कंपोज करने में जब तक हिमेश रेशमिया का जादू चला तब तक सब कुछ सही था। लेकिन फिर उन्होंने फैसला किया कि वो उन्हीं गानों को गाएंगे जिन पर खुद परफॉर्म करेंगे। यही नहीं उन्होंने एक्टिंग में भी हाथ आजमाया। आप का सुरूर, कर्ज और Xpose के बाद अब 2024 में उनकी नई फिल्म ‘बैडऐस रवि कुमार’ आई है, जो वैलेंटाइन्स वीक पर रिलीज हुई है। ये फिल्म लॉजिक और मैजिक दोनों को चुनौती देती है।
फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी 80 के दशक में ओमान के मस्कट शहर से शुरू होती है। यहां भारत के सीक्रेट एजेंट्स की लिस्ट को लीक करने की योजना बन रही है। इस सौदे का मास्टरमाइंड है मस्कट का डॉन कार्लोस (प्रभुदेवा) जो इस सीक्रेट लिस्ट को एक माइक्रो रील में छिपाकर पाकिस्तान को बेचने की तैयारी में लगा है। दिल्ली में जैसे ही इस खबर से हड़कंप मचता है तो इस मिशन को थंडर इंस्पेक्टर रवि कुमार (हिमेश रेशमिया) को सौंपा जाता है।
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भरपूर ट्विस्ट
वहीं कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब लैला (कीर्ति कुल्हारी) इस माइक्रो रील को चुरा लेती है और उसे वापस देने के बदले दुनिया के सबसे कीमती हीरे की मांग करती है। इसके बाद कार्लोस की टीम रवि कुमार से इस हीरे को चुराने की डील करती है। कहानी में काफी ट्विस्ट और टर्न्स देखने को मिले। साथ ही ये दर्शकों का दिमाग घुमा देती है। कहानी में मधुबाला नाम की एक लड़की भी जुड़ी हुई है जिसके लिए रवि कुमार ने दिल का ताजमहल बनाया है। अब मूवी में रवि कुमार को हीरा चुराना है, सीक्रेट रील हासिल करनी है और पाकिस्तान के प्लान को नाकाम करना है। इसी पर पूरी कहानी है।
स्टार्स की एक्टिंग
फिल्म में हिमेश रेशमिया पूरी तरह छाए हुए हैं। वहीं उनके अलावा प्रभुदेवा (कार्लोस), कीर्ति कुल्हारी (लैला), संजय मिश्रा (राणा), जॉनी लीवर, सौरभ सचदेवा, प्रशांत नारायण, सनी लियोनी और राजेश शर्मा ने भी अपने किरदारों के हिसाब से ठीक-ठाक परफॉर्मेंस दी है।
डायरेक्शन, राइटिंग और म्यूजिक
फिल्म की कहानी गाने और लेखन सभी कुछ हिमेश रेशमिया ने किया है। फिल्म की शुरुआत में ही ये साफ कर दिया गया है कि लॉजिक नाम की चीज इसमें ढूंढना बेकार है। हर फ्रेम में हिमेश रेशमिया ही दिखते हैं और उनके सुपरहिट डायलॉग्स बंटी राठौर ने लिखे हैं। डायरेक्टर कीथ गोल्म्स ने पूरी फिल्म को इस तरह गढ़ा है कि सिर्फ हिमेश को सेंटर ऑफ अट्रैक्शन रखा जाए। फर्स्ट हाफ में रवि कुमार के किरदार को बिल्डअप किया गया है, जबकि सेकंड हाफ में हिमेश अपने गानों से ऑडियंस को एंटरटेन करते नजर आ रहे हैं।
फाइनल वर्डिक्ट
फिल्म की कहानी 80 के दशक की है। अगर आप लॉजिक की परवाह किए बिना डायलॉगबाजी, स्वैग और मसाला एंटरटेनमेंट चाहते हैं तो ये फिल्म आपके लिए बनी है। इसे 0.5 मिलता है।
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