Indian Police Force Review/Ashwani Kumar: जब रोहित शेट्टी ने सिंहम, सिम्बा और सूर्यवंशी जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों के बाद ओटीटी पर अपने कॉप यूनीवर्स को बढ़ाने का ऐलान किया, तो लगा कि ओटीटी की छूट का शेट्टी साहब फायदा उठाएंगे और कुछ ऐसा पेश करेंगे कि जो उनकी पुलिस वाली दमदार पुलिस वाली फिल्मों से आगे बढ़कर होगा। टीज़र, ट्रेलर, बड़ी स्टार कास्ट और बड़े बजट के साथ रोहित शेट्टी ने ऐसा ईशारा भी दिया। लेकिन मुश्किल ये है कि इतने बड़े तामझाम को जुटाने के पहले या बाद में भी रोहित शेट्टी ने कहानी की ओर पलटकर भी नहीं देखा।
पहली नजर में कैसी लगी सीरीज
इस सीरीज़ को देखकर आप सबसे पहले जो कहते हैं या कहेंगे, वो है – ‘मतलब कुछ भी ?’ दिल्ली के बाटला हाउस में ब्लॉस्ट की जगहों के नाम बदल-बदलकर दिखाने की कोशिश के लिए रोहित शेट्टी ने इंडिया गेट, नॉर्थ ब्लॉक – साउथ ब्लॉक, और करोल बाग में लगे हनुमान जी की मुर्ति के पास कुछ सीन्स शूट कर लिए और बाकी चांदनी चौक और बाटला हाउस के इलाके को मुंबई में डिज़ाइन कर लिया। सेट डिज़ाइन इतना बुरा कि दिल्ली पुलिस भी बुरा मान जाए।
क्या है कहानी (Indian Police Force Review)
खैर कहानी पर आते है, तो दिल्ली में सीरियल ब्लास्ट हुए और स्पेशल सेल के ऑफिसर्स की ड्रेस मे रोहित शेट्टी के हीरोज़ ने स्लो मोशन में एंट्री मारी। ब्लास्ट के बाद आतंकियों को पकड़ने के लिए चांदनी चौक जैसे इलाके में स्पेशल सेल पहुंचती है और आतंकियों पर अटैक करने से पहले स्पेशल सेल लिखी जैकेट पहनती है। लेकिन इस जैकेट को पहनने के बाद जब टेरेरिस्टों की गोली उनके सीने को भेदती तो पता चलता है, अरे ये बुलेट पुफ्र जैकेट नहीं, बल्कि स्पेशल सेल के लोगों की पहचान आतंकियों को कराने के लिए पहनाई गई जैकेट है। खैर स्पेशल टीम के हेड बने विवेक ओबेरॉय ब्लास्ट के मास्टर माइंड को सामने पकड़ने के बाद, इसलिए छोड़कर सीने पर गोली खा लेता है क्योंकि उसने बच्चे की गर्दन पकड़ रखी थी, वो भी बिना हथियार के। खैर, छोड़िए ये सब….क्योंकि गलतियां गिनाने लगेंगे, तो आप कहेंगे तो 7 एपिसोड पर 20 पेज लिख जाएंगे।
कैसी लगी एक्टिंग (Indian Police Force Review)
इस सीरीज़ को सबसे ज़्यादा प्रमोट करने वाले विवेक ओबेरॉय, बेचारे दूसरे एपिसोड में ही मारे जाते हैं। बाकी पूरे सीज़न में बस उनका नाम है। श्वेता तिवारी ने इमोशनल होने की जितनी कोशिशें की, वो रोहित शेट्टी ने फिल्म के विलेन, मास्टर माइंड टेरेरिस्ट हैदर उर्फ़ ज़रार की लव स्टोरी को सेट करने में खर्च कर दी। टेरेरिस्ट सीरीज़ के हीरो सिद्धार्थ मल्होत्रा से ज़्यादा रोमांटिक है, वो गाने-गाता है… और विलेन तो कहीं से नहीं दिखता, ब्लास्ट करने के बाद भी नहीं… बाकी कमी, शेट्टी साहब ने उसके टेरेरिस्ट बनने की वजह दिखाने में खर्च कर दी। कि….. क्योंकि….. इसलिए……… वो टेरेरिस्ट बना। ये समझ नहीं आता कि रोहित शेट्टी ने 7 में से ढाई एपिसोड टेरेरिस्ट की बैकग्राउंड और लव-स्टोरी में खर्च कर दिए। डेढ़ एपिसोड कबीर बने सिद्धार्थ मल्होत्रा को देश भक्त मुसलमान और उन्हे टेररिस्ट को ये समझाने-सिखाने में लगा दिए कि कुछ मुसलमानों की वजह से सब पर उंगली उठती है। बाकी टाइम एक्शन, कार चेज़, अपनी फेवरिट शूटिंग लोकेशन गोवा को सेट करने में लगा दिए।
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फीकी लगी कहानी (Indian Police Force Review)
ऐसे केसेज़ में पुलिस, स्पेशल सेल, एंटी टेरेरिस्ट स्कॉव्यड कैसे काम करता है इस पर उन्होने ज़रा भी मेहनत नहीं की। पुलिस हेडक्वॉर्ट्स के नाम पर एक होटल की लॉबी और एक कमरे में लगे टीवी स्क्रीन्स से काम चला लिया गया। बाकी पुलिस हायरार्की, उनके बैज के बारे में रिसर्च करने के बारे में तो सोचिए नहीं। डीसीपी कबीर मलिक बने सिद्धार्थ मल्होत्रा, अपनी चीफ़ तारा शेट्टी बनी शिल्पा शेट्टी से बोलते हैं कि अपनी बायोग्राफ़ी में वो उन्हे सिंहम या सूर्यवंशी जैसा टाइटल दें और ऑपरेशन के दौरान बोलते हैं कि उन्होने सुना है कि शेट्टियों को गोल्ड बहुत पसंद होता है। इंडियन पुलिस फोर्स में एक्शन और स्लो-मोशन सीन्स पर जितना काम किया गया है, उसका 10 परसेंट भी डायलॉग्स, कैरेक्टर और कहानी पर काम किया जाता, तो इतने बजट में कुछ बहुत शानदार बनता।
प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हुई सीरीज
सिद्धार्थ मल्होत्रा का सिंघम और सूर्यवंशी जैसा बनने का सपना रोहित शेट्टी ने तोड़ दिया है। शिल्पा से उन्होंने एक्शन तो खूब करवाया, लेकिन गुजरात एटीएस की चीफ़ को डीसीपी के पीछे खड़ा कर दिया। ज्वाइंट सीपी विक्रम बने विवेक ओबेरॉय के साथ तो सरासर ना-इंसाफ़ी हुई है, पहले एक बच्चे को बचाने के लिए उनके हाथ में बम पकड़ा दिया गया, और फिर दूसरे बच्चे को बचाने के लिए बिना बुलेट प्रुफ़ जैकेट के सीने में गोली ठुकवा दी। शरद केलकर भी इस हैवी ड्यूटी सीरीज़ के झांसे में फंस गए। बाकि निकितिन धीर ने बॉडी खूब दिखाई है।
प्राइम वीडियो ने पैसे खर्च कर दिए, इसका मतलब ये नहीं कि आप अपना टाइम भी इन 7 एपिसोड पर खर्च करें। बाकी आपकी मर्ज़ी।
इंडियन पुलिस फोर्स को 2.5 स्टार।