Javed Akhtar On Hindu Culture : बॉलीवुड के दिग्गज गीतकार जावेद अख्तर (Javed Akhtar) अक्सर अपने विवादित बयान के चलते सुर्खियों में छाए रहते हैं। राज ठाकरे की पार्टी मनसे द्वारा हाल ही में मुंबई में दीपोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। जहां पर मशहूर लेखक जावेद अख्तर और सलीम खान ने शिरकत की थी। हर मुद्दे पर अपनी राय देने वाले जावेद साहब ने इस दौरान भगवान राम-सीता के साथ हिन्दू सभ्यता पर सबके सामने अपने विचार रखे। इस बार उन्होंने कुछ ऐसा कह दिया है जिसे सुनकर हर चौंक गया है और इसी वजह से वो खबरों में छा गए हैं।
यह भी पढ़ें: ‘ये ड्रग्स लेता है…’ सरेआम जब अनुष्का शर्मा ने खोल दी थी रणबीर कपूर की पोल, सुनते ही घबरा गए थे ‘एनिमल’ एक्टर!
हिंदू संस्कृति पर बोले जावेद अख्तर (Javed Akhtar On Hindu Culture )
दीपोत्सव कार्यक्रम में जावेद अख्तर (Javed Akhtar) ने बढ़ती असहिष्णुता पर बात करते हुए कहा, ‘अगर भारत में लोकतंत्र कायम है तो इसकी वजह हिंदू संस्कृति है। यह सोचना कि हम ही सही हैं और दूसरे गलत हैं, यह हिंदू संस्कृति का हिस्सा नहीं है। हिंदू संस्कृति हमें लोकतांत्रिक मूल्य देती है, अगर भारत में लोकतंत्र कायम है तो इसकी वजह हिंदू संस्कृति है। यह सोचना कि हम ही सही हैं और दूसरे गलत हैं, यह हिंदू संस्कृति का हिस्सा नहीं है।’
भारत की विरासत सिया-राम (Javed Akhtar On Hindu Culture)
इतना ही नहीं इस दौरान फेमस गीतकार ने सीता-राम का जिक्र करते हुए कहा, ‘राम और सीता केवल हिंदू देवी-देवता नहीं हैं। यह भारत की सांस्कृतिक विरासत है। जबकि मैं नास्तिक हूं फिर भी मैं राम और सीता को इस देश की संपत्ति मानता हूं इसलिए मैं यहां आया हूं। मुझे इस बात पर गर्व है कि मैं राम और सीता की भूमि पर पैदा हुआ हूं, जब हम मर्यादा पुरुषोत्तम की बात करते हैं तो राम और सीता ही याद आते हैं। रामायण हमारी सांस्कृतिक विरासत है। यह आपकी रुचि का विषय है।’ इसके साथ ही जावेद साहब ने जय सिया राम के नारे भी लगाए।
याद किए पुराने दिन (Javed Akhtar On Hindu Culture)
सिया राम के नारे लगाने पर एक पुराना किस्सा बताते हुए जावेद साहब ने कहा, ‘मैं लखनऊ से हूं। बचपन में मैं लोगों को देखता था जो गुड मॉर्निंग कहते थे, मगर सड़क से गुजरता हुआ एक आम आदमी कहता था, ‘जय सिया राम’। सिया राम शब्द प्रेम और एकता का प्रतीक है। इसलिए सीता और राम को अलग-अलग सोचना पाप है। सिया और राम तो एक ने ही अलग किए। उसका नाम रावण था। तो जो अलग करेगा वह रावण होगा।’