अश्विनी कुमार: धर्म और अधर्म का युद्ध मानव उत्पत्ति के प्रारंभ से भी पहले से चलता रहा है। कहते हैं कि कलियुग में राक्षस, कलि का राज है, वो जुआ, मदिरा, परस्त्रीगमन, हिंसा और स्वर्ण में बसता है। मान्यता है कि जब कलियुग अपने चरम पर होगा तब भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि कलि का वध करेंगे।
पुराण और मनोविज्ञान से जुड़ी नई कहानी
साल 2020 में रिलीज हुई असुर एक तरह से इंडियन ओटीटी स्पेस में माइथोलॉजी और साइकॉलजी को मिलाकर बनी कहानी थी, जिन्होंने लॉकडाउन के वक्त में हंगामा मचा दिया था। यूं तो माइथॉलजी से जोड़कर फिक्शन गढ़ने का चलन, नॉवेल्स और हॉलीवुड में बहुत पहले से है, लेकिन असुर से पहले कम से कम भारत में ऐसा कुछ नहीं हुआ था।
असुर के सीजन 1 में क्या था?
असुर के पहले सीजन की कहानी में बनारस के एक कर्मकाण्डी ब्राह्मण परिवार का एक बच्चा – शुभ, जिसका जन्म ऐसे ग्रह-नक्षत्रों में हुआ जो आसुरिक है। शुभ को उसके ही पिता के मर्डर करने के शक में सीबीआई ऑफिसर, धनंजय राजपूत यानि डीजे फैब्रीकेटेड सुबूतों के साथ जेल पहुंचा देते हैं।
10 साल के बाद शुभ उनकी ही पत्नी का कत्ल करके धनंजय को जेल पहुंचा देता है और फिर पूरे देश में कत्ल का ऐसा सिलसिला शुरु होता है, जिसमें एक खास ग्रह संयोग में पैदा हुए लोगों का कत्ल हो रहा है। ये लोग अच्छे हैं, देवताओं जैसा शुभ कार्य करते हैं।
शुभ जो जेल से भाग निकला है और खुद को कलियुग के राक्षस कलि का अवतार मानता है, वो अच्छे लोगों को मारकर भगवान विष्णु तक संदेश भेजना चाहता है कि वो अवतार लें। सीबीआई शुभ को पकड़ने में नाकाम साबित हो रही है। आज के डिजिटल क्रांति को अपने हक में इस्तेमाल करके शुभ सीबीआई ऑफिसर निखिल नायर की बेटी रिया और इंस्पेक्टर लोलार्क को मार देता है।
असुर 2 की कहानी
अब कहानी में ट्विस्ट आना है। निखिल और उसकी पत्नी नैना बेटी की मौत के बाद एक-दूसरे से दूर हो गए हैं। सीबीआई शुभ के मकसद को समझ नहीं पा रही है। शुभ की पहचान हो नहीं पा रही है और कत्ल होते जा रहे हैं। धनंजय भी हार मानकर धर्मशाला की एक मोनेस्ट्री में जाकर शांति की तलाश कर रहा है।
मगर शुभ रुक नहीं रहा है वो टेक्नॉलजी और डिजिटल खेल के साथ पूरे देश में डर फैला रहा है, वो लाइव टीवी पर एक साथ तीन मर्डर करता है। अब धनंजय और निखिल की पत्नी नैना जो इंटरनेट और कोडिंग में मास्टर है वो शुभ को उसी की ज़ुबान में जवाब देने की ठानते हैं।
इस सेकेंड सीजन में कलियुग के हथियार माया बनते हैं। माया यानि सोशल मीडिया, इंटरनेट। असुर का सीजन-2 एक बार डरा देता है, कि इंटरनेट, कैमरा, सोशल मीडिया कैसे इंसानियत का सबसे बड़ा दुश्मन साबित हो रहा है। असुर की ये डिजिटल वॉर, इस सेकेंड सीजन की सबसे बड़ी सीख है।
ये असुर तो इंसान है
टीम वही है ओनी सेन डायरेक्टर हैं, गौरव शुक्ला क्रिएटर और शो-रनर हैं। उनके साथ मिलकर अभिजीत और सूरज ने मिलकर इसकी कहानी, स्क्रीनप्ले और डायलॉग लिखे हैं। पहले सीजन में ये साबित हो चुका है। शुभ किस सोच के चलते ये हत्याएं कर रहा है।
इस सेकेंड सीजन में इस नए जमाने के कलि का मास्टर प्लान रिवील होता है और जैसे आप शुभ को जानने लगते हैं, वैसे-वैसे उसका किरदार कमजोर होता चला जाता है। हांलाकि मॉर्डन वर्ल्ड में कलि की ताकत और सोशल मीडिया का ऐसा इस्तेमाल एक मास्टर स्ट्रोक होना चाहिए था। मगर वहां लिखाई और डायरेक्शन दोनो कमज़ोर पड़ता है।
शुभ के किरदार के इर्द-गिर्द इतना सस्पेंस है कि आप उसके पीछे कुछ बेहद हैरान करने वाली शख़्सियत एक्सेप्ट करते हैं। मगर वहां कास्टिंग पूरी तरह से मिस-फिट है। सीजन-1 की तरह फॉरेंसिक और सीबीआई-शुभ के बीच चल रहा खेल। सीजन-2 की ताकत है, जो आपकी दिलचस्पी इस शो में बनाए रखता है।
असुर के किरदार
हर इंसान में देव और असुर दोनों बसते हैं। आप किस और झुकते हैं ये आप पर ही निर्भर करता है। सेकेंड सीजन में धनजंय राजपूत उर्फ़ डीजे बने अरशद वारसी, एक बार फिर इस शो के सबसे दमदार एक्टर साबित हुए हैं। सिनेमा के सर्किट का ये अंदाज देखकर लगता है कि हमने वाकई एक्टर्स को कितना टाइपस्ट किया है।
बरुन सोबती ने भी अपनी परफॉरमेंस में वही इंटेसिटी बनाए रखी है। रिद्धी डोगरा का कैरेक्टर इस सेकेंड सीजन का दूसरा सबसे दमदार किरदार है उनकी बैक स्टोरी का ट्रैक रिद्धी की काबिलियत को निखारता है। नैना बनी अनुप्रिया गोयनका को इस सीजन में स्पेस तो ज़्यादा मिला है, लेकिन उनके कैरेक्टर की धार कमज़ोर है।
एक टेक एक्सपर्ट दुनिया के सबसे सेक्योर सर्वर को हर बार यूं भेंद दे और उसके लिए थोड़ा और कन्विक्शन चाहिए। शुभ के किरदार की कास्टिंग सबसे मिस-फिट है। रिवर्स कैरेक्टर कास्टिंग का फॉर्मूला अभिषेक चौहान पर इस बार काम नहीं आया। हांलाकि काम उन्होंने भी अच्छा किया है। केसर भारद्वाज बने गौरव अरोड़ा का स्पेशल मेंशन जरूरी है और उनके कैरेक्टर का कन्विक्शन कमाल का है।
क्यूं देखें?
असुर ओटीटी के सब-स्टैंडर्ड कटेंट के बीच में एक कमाल की सोच पेश करती है। ये बताती है कि सोशल मीडिया के दीवानेपन में हम कंपनियों को ऐसी ताकत दे रहे हैं, जो वाकई पूरे समाज के लिए असुर साबित हो सकती है। अच्छी परफॉरमेंस से सजी इस सीरीज में बेहतरी की गुंजाइश थी, लेकिन इसके बावजूद ये बहुतों से बहुत बेहतर है। असुर को 3.5 स्टार।