Shraddha Murder Case: पूरे देश में इन दिनों श्रद्धा वॉल्कर मर्डर का चर्चा हो रहा है। देशभर के लोग आरोपी आफताब अमीन पूनावाला (Aaftab Ameen Poonawala) को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग कर रहे हैं। इस मामले पर आम लोग से लेकर नेता-अभिनेता सभी अपना बयान दे रहे हैं और आरोपी को सजा देने की बात कर रहे हैं। वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot)) ने भी श्रद्धा मर्डर केस पर बयान दिया है। लेकिन एक्ट्रेस शर्लिन चोपड़ा ने अशोक गहलोत के बयान पर नाराजगी जाहिर की है।
दरअसल, सीएम अशोक गहलोत ने न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए एक लेटेस्ट इंटरव्यू में श्रद्धा मर्डर केस (Shraddha Murder Case) को एक ‘दुर्घटना’ बताया है। सीएम गहलोत ने कहा, “यह दुर्घटना है। इसे लव जिहाद नाम दे दिया गया है, जोकि सही नहीं है। कई प्रकार के जुमले कस दिए गए हैं। आपने एक कौम और धर्म को टारगेट बना दिया है। इसके आधार पर राजनीति हो रही है।” अब शर्लिन चोपड़ा (Sherlyn Chopra) ने मीडिया संग बातचीत में सीएम गहलोत पर नाराजगी जताई है।
शर्लिन चोपड़ा ने क्या कहा?
शर्लिन चोपड़ा ने एक इंटरव्यू में कहा, “एक बहुत भयंकर और गलत हादसा हुआ। जिस बर्बरता और बेरहमी के साथ आफताब पूनावाला ने उसकी ( श्रद्धा) की हत्या की और उसके शव के 35 टुकड़े करके दिल्ली के जंगलों में ठिकाने लगाए, उसकी जितनी निंदा करो कम है। ऐसे वारदात के बारे में अगर कोई ये कहे कि, यह दुर्घटना है तो ये अनुचित होगा। खासतौर पर वह शख्स जो राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत जी हों।”
एक्ट्रेस ने आगे कहा, “मैं जानना चाहती हूं गहलोत जी से, अगर उस बेटी का नाम श्रद्धा न होकर शबनम होता तो क्या वह इस घिनौने वारदात को दुर्घटना कहते। बिल्कुल नहीं। वह बेटी के घरवालों के पास जाकर सहानुभूति दिखाते। तो फिर श्रद्धा के मामले में वह इस हत्या को दुर्घटना क्यों कह रहे हैं। क्या वह आफताब पूनावाला के इस संगीन आरोप को कम करके उन्हें क्लीन चिट देना चाह रहे हैं। आखिर क्यों।”
शर्लिन चोपड़ा ने कहा, “तुष्टीकरण की राजनीति से हमें क्या हासिल हुआ। लड़की चाहे, मुसलमान हो, ईसाई हो या फिर हिंदू हो। क्या वह इंसाफ की हकदार नहीं होती है। जब मुझे एहसास हुआ कि, इस अपराध पर गहलोत जी ने इतनी बड़ी बात कह दी तो एक बेटी होने के नाते मुझे लगा कि, मुझे इस विषय पर बात करनी चाहिए। जो उसके साथ हुआ, मैं बता नहीं सकती सोचकर भी अजीब लगता है। वह बहुत ही घिनौना था। मैं चाहती हूं कि, गहलोत जी, जरा गौर फरमाए, ऐसे वारदात को वह दुर्घटना ना कहें।”