Fukrey 3 Movie Review / Ashwani Kumar: दिल्ली के बैकबेंचर्स की कहानी फुकरे 2013 से 2023 तक अपने तीसरे पड़ाव पर पहुंच चुकी है। एमसीडी स्कूल के बैक-बेंचर्स, यानि हनी, चुचा, लाली और इस फेर में बार-बार फंसते जफर भाई की कहानी…. चूचा के आड़े-टेढ़े सपनों से उनका उतना ही बेहूदा मतलब निकालकर – लॉटरी जीतने से लेकर, 2017 में चूचा के डेजा-चू, यानि फ्यूचर देखने की कला से होते हुए…. अब यूरीन और पसीने से पेट्रोल बनने तक अजीब-ओ-गरीब आईडिया से पहुंच चुका है।
मजेदार (Fukrey 3 Movie Review)
हर कहानी में मतलब तलाशते, हर डॉयलॉग में वजन तलाशते, हर किरदार में स्वैग तलाशने वाली ऑडियंस को, इन सारी बातों को सिरे से नकारने वाली – फुकरे की कहानी में हर बार स्वाद आता है। फुकरों की ये कहानी, दिल्ली के छोले-भटूरे जैसी है, जिसमें हेल्थ बिगड़ने की पूरी-पूरी संभावना के साथ, स्वाद की पूरी गारंटी मिलती है।
यह भी पढ़ें : दिल तोड़ देगी लता मंगेशकर की ये लव स्टोरी!, प्रिंस से हुआ प्यार फिर भी क्यों नहीं की शादी ?
क्या है फिल्म की कहानी (Fukrey 3 Movie Review)
फुकरे-3 की शुरुआत होती है, ओपनिंग क्रेडिट सॉन्ग के साथ, जिसमें आपको फास्ट फॉरवर्ड में हनी, चूचा, लाली, भोली, जुफर और पंडित जी के अब तक की फुकरापंती का फ्लैशबैक दिखाया जाता है। जहां चीफ-मिनिस्टर की फुकरों के लिए खुलवाई गई इलेक्ट्रॉनिक शॉप अब आउटडेटेड हो गई है। भोली को पॉलिटिक्स का ऐसा चस्का लगा है कि अब वो जल-संसाधन मंत्री बनने के लिए दिल्ली के जल माफिया से हाथ मिला बैठी है। और फुकरे, पंडित जी के साथ मिलकर भोली के लिए चुनाव प्रचार में जुटे हैं।
चूचा ने अपना गांधी जी रास्ता (Fukrey 3 Movie Review)
मगर इस प्रचार के दौरान सुलभ शौचालय के उद्घाटन में चूचा कुछ ऐसा चमत्कार कर बैठता है, कि भोली के सामने – चूचा को उतारने का फैसला हो जाता है। फुकरों की अजीब-ओ-गरीब किस्मत की तरह, इस बार उनकी कहानी अफ्रीका पहुंचती है… जिसके पीछे चूचा का लॉजिक है कि समाज सुधार करने की शुरुआत करने से पहले गांधी जी की तरह एक बार अफ्रीका तो आना जरूरी था।
बेहतरीन किया प्रदर्शन
ये कहानी चूचा के पेट्रोली चमत्कार से होते हुए, भोली पंजाबन को दुल्हन बनाने से लेकर… पानी बचाने के मैसेज के मोड़ से गुजरते हुए… चुचियापा तक पहुंचती है। और ढाई घंटे की इस फुकरा राईड में, आप हंस-हंसकर लोट-पोट होते रहते हैं। फुकरे 3 की सबसे खास बात है, इतनी बेहूदा स्टोरी सोचकर, उसे इतना दिलचस्प तरीके से दिखाना कि आप हंसते-हंसते देखे और रोलर-कोस्टर राइड में बैठकर – बिना सोचे समझे थियेटर से फ्रेश होकर निकलना। राइटर विपुल विग की राइटिंग फुकरे से लेकर फुकरे 3 तक कमाल है, और इस बार तो विपुल ने ऐसे कॉमिक ब्लॉक्स लिखे हैं कि आपके पेट में दर्द हो जाएगा।
स्टार ने की कमल की एक्टिंग
परफॉरमेंस वाइज – इस बार भी फुकरों की टीम में चूचा का चूचिपाया अव्वल आया है। वरुण शर्मा की कॉमिक टाइमिंग जानदार-शानदार और बेमिसाल है। हनी भाई – फुकरों की अड़बंगी टीम के सबसे समझदार मेंबर हैं, और उनके दिल दहला देने वाले कॉन्क्लूजन कमाल हैं। पुलकित ने भी कमाल काम किया है। लाली की चाय की रेसिपी वाले कॉमिक ब्लॉक पर आपके पेट में हंसते-हंसते बल पड़ने की पूरी गारंटी है, मनजोत का काम बेहतरीन है। पंडित जी बने पंकज त्रिपाठी के एक्सप्रेशन्स पर, आपका हंस-हंस कर बुरा हाल होना तय है। भोली पंजाबन बनी ऋचा चढ्ढा ने 10 साल बाद भी अपने कैरेक्टर को एक सेकेंड के लिए भी हिलने नहीं दिया है।