Khakee: The Bihar Chapter, Ashwani Kumar: सत्य कहानियों पर आधारित अपराध कथा का चलन, अब मैगज़ीन में नहीं, बल्कि ओटीटी पर चल पड़ा है। आईपीएस ऑफिसर नवनीत सिकेरा के मुज्ज़फरनगर के कारनामों पर एम एक्स प्लेयर ने भौकाल के एक नहीं बल्कि दो-दो सीज़न भुनाए, तो नेटफ्लिक्स में यही ज़िम्मेदारी डायरेक्टर-प्रोड्यूसर नीरज पांडे के छाते में डायरेक्टर भव धुलिया को दे दी। वैसे भी भव, बिल्कुल इसी मिजाज़ की रंगबाज़ सीरीज़ को ज़ी5 के लिए बना चुके हैं। इस बार प्लेटफॉर्म थोड़ा बड़ा है, और कहानी ज़्यादा असली। नेटफ्लिक्स की खाकी – बिहार चैप्टर की कहानी आईपीएस ऑफिसर अमित लोढ़ा की किताब पर बेस्ड है। उसे वेबसीरीज़ के काबिल बनाने की ज़िम्मेदारी खुद नीरज पांडे ने ले ली, जो अ वेडनेसडे, स्पेशल 26, बेबी और अय्यारी के ज़रिए नाम चमका चुके हैं और ओटीटी की दुनिया में स्पेशल ऑप्स के दोनो सीज़न से इस प्लेटफॉर्म में भी अपनी महारत हासिल कर चुके हैं।
खैर खाकी पर आइए, तो 7 एपिसोड वाले खाकी – बिहार चैप्टर की हेडलाइन ही बताती है कि ये सीरीज़ का पहला चैप्टर है। अलग-अलग चैप्टर, अलग-अलग स्टेट्स से आने बाकी हैं। पहले चैप्टर के लिए आईपीएस ऑफिसर अमित लोढ़ा के बिहार पोस्टिंग के दौरान चंदन महतो नाम के एक ऐसे अपराधी की कहानी है, जो ट्रक ड्राइवरी के दौरान पेट्रोल चोरी करते-करते, अपराधी की सीढ़ियां चढ़ता हुआ बिहार के सबसे कुख़्यात अपराधियों में शामिल हो गया। चोटी अपराध में जातीय समीकरण को समेटते खाकी की कहानी में नीरज पांडे ने इसे ज़मीनी बनाने की कोशिश की है और यकीन मानिए यही खाकी की खूबी है।
राजस्थान बेस्ड के एक आईपीएस ऑफिसर का पहली पोस्टिंग की दौरान ही बिहार आना और यहां मैं की बजाय हम का मतलब समझना, अपराध कथा के साथ-साथ तब के बिहार से लेकर अब के बिहार में राजनीति और अपराध का गठजोड़, जाति के हिसाब से बंटे हुए गांव और उनके साथ सिस्टम और सरकार का रवैया, लालू और नीतिश कुमार तक के रिफरेंस से दिखते और दिखाए जाते किरदार खाकी को असलियत के करीब रखते हैं।
लेकिन खाक़ी- द बिहार चैप्टर की खामी भी है, वो ये कि इस सीरीज़ के दोनो मुख्य किरदारों के बीच, कहानी और डायरेक्टर एक अजीब सा कंपैरिजन करते रहते हैं। आईपीएस अमित लोढ़ा और चंदन महतो के बीच चूहे-बिल्ली के खेल के साथ, ये कंपैरिज़न तो अखरता है। दूसरी खामी ये है खाकी में बहुत सारी पैरेलल स्टोरी चलती है, जैसे चंदन महतो के खास साथी च्यवनप्रास साहू, खाकी के नरेटर और आईपीएस अमित लोढ़ा के साथी एसएचओ रंजन कुमार, अमित लोढ़ा के बॉस, पुलिस फोर्स में राजनीति के प्रतीक आईजी मुक्तेश्वर चौबे, अमित लोढ़ा की पत्नी तनू, च्यवनप्राश की बीवी मीता देवी और ऐसे बहुत सारे किरदार, जिनकी कहानी पनप ही नहीं पाई, क्योंकि राइटर-डायरेक्टर का पूरा फोकस सिर्फ़ चंदन महतो और अमित लोढ़ा के उपर ही टिका रहा, ऐसे में दूसरे किरदार ब्लर होते रहें।
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हां, इसके बावजूद खाकी बोर नहीं करती, बिहार के अपराध और राजनीति के गठजोड़ को समझाती है और बाकी एक्शन है ही। गालियां भी थोड़ी बहुत है, जो अब ओटीटी पर सर्वमान्य है।
परफॉरमेंस पर आइए, तो खाकी का खिताब चंदन महतो का किरदार करने वाले अविनाश तिवारी के सिर पर बांधिए। गंदे दांत, बिखरे हुए बाल और बिल्कुल मजदूरों से कपड़े पहनने वाला ये किरदार, बहुत रियलिस्टिक है। काम तो आईपीएस अमित लोढ़ा के किरदार में करण टैकर ने भी खूब किया है, लेकिन शुरुआत से लेकर सस्पेंशन तक, और फिर चंदन महतो की गिरफ्तारी तक मजाल है उनकी शेव, थोड़ी भी बढ़ गई हो। ये बड़ा अजीब लगता है। आईपीएस ऑफिसर की पत्नी तनू के किरदार में निकिता दत्ता को जगह तो बहुत नहीं मिली है, लेकिन गिनती के सीन्स में ही उन्होने अपना कमाल दिखा दिया है। एसएचओ रंजन कुमार बने अभिमन्यू सिंह ने अपने किरदार को एक सेकेंड के लिए फिसलने नहीं दिया है। आशुतोष राणा और अनूप सोनी तो है हीं शानदार अभिनेता, हर सीन को उठा देने वाले। रवि किशन ने भी बाहुबली के किरदार में जान फूंक दी है। च्यवनप्राश साहू के किरदार में जतिन शर्मा जमे हैं, और उनकी पत्नी मीता देवी के किरदार में ऐश्वर्या सुष्मिता, खाकी की सबसे बड़ी खोज।
खाकी देखिए, बिहार की राजनीति और अपराध को समझने के लिए। एंटरटेनमेंट पूरा है, सीरीज़ अच्छी है और 7 एपिसोड भारी नहीं लगते।
खाकी – द बिहार चैप्टर को 3 स्टार।
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