Freddy Review, Ashwani Kumar: कार्तिक को आपने जब से देखा है, तब से वो लवर ब्वॉय रहे हैं, अपनी पिछली फिल्म भूलभुलैया 2 में वो रूह बाबा बनकर आए हैं, बीच में नेटफ्लिक्स की सीरीज़ में कार्तिक ने तमाशा करने की कोशिश की थी, लेकिन तब बात कुछ बनी नहीं। लेकिन एक्टर वही है, जो बार-बार रूप बदले। एक ही ज़िंदगी में सैकड़ों ज़िंदगियां जी ले। लेकिन फ्रेडी बने कार्तिक को देखकर आप चौकेंगे ज़रूर।
एक साइकॉलॉजिकिली कमज़ोर इंसान, जो दूसरों के सामने झिझकता है। 30 के पास पहुंच चुका है, लेकिन लड़कियों के सामने पड़ता है, तो घिग्घी बंध जाती है, मगर वो किसी के साथ को तरसता है। उसकी घूरती आंख़ें और हकलाती ज़ुबान से लड़कियां दूर रहती हैं, भले ही वो इलाके का एक जाना-माना डेंटिस्ट है। आंटी और दादी की परछाईं के पीछे रहता है, अपने घर में अपने पेट कछुए हार्डी के साथ, टॉय वॉर प्लेन को कलर करता रहता है। शादी के लिए फ्रेडी की बेताबी देखकर, घर के पास के लड़के-लड़कियों से लेकर उस कॉफी हाउस के लोग तक फ्रेडी का मज़ाक बनाते हैं। दूसरी ओर अपने क्लिनिक में वो, उतना ही अलग है।
फ्रेडी की एक बैकस्टोरी है, कि वो ऐसा क्यों है ? उसे फिल्म में देखिएगा, बस इतना जान लीजिए कि एक शादी में फ्रेडी की मुलाकात कायनाज़ से होती है, मगर उसे तुरंत झटका भी लग जाता है क्योंकि कायनाज़ पहले ही शादीशुदा है। उसका हस्बैंड रुस्तम, कायनाज़ को मारता है। फ्रेडी को हीरो बनना है, कायनाज़ को बचाना है। लेकिन वहां एक और झटका उसका इंतज़ार कर रहा है। अपने सोल-मेट की तलाश फ्रेडी को दिल का ऐसा ज़ख़्म देती है कि अब ये अपने में खोए रहने वाला डेंटिस्ट फ्रेडी क़ातिल बन जाता है, और एक माफ़ी पाने के लिए क़ायनाज़ और उसके ब्वॉयफ्रैंड को चकरघिन्नी बना देता है।
परवीज़ शेख़ की लिखी ये कहानी आपको हैरान करने का दावा तो करती है, लेकिन बहुत ही ज़्यादा प्रेडिक्टेबल है। आपके गेस 95 परसेंट सही पड़ते हैं। डॉर्क थ्रिलर फिल्म की ये कमज़ोरी है। हांलाकि अयांका बोस की सिनेमैटोग्राफी इसे दिलचस्प बनाती रहती है। डायरेक्टर शशांका घोष ने अपने लीड कैरेक्टर पर पूरी मेहनत की है, लेकिन स्क्रीनप्ले और डायलॉग्स को बहुत ढीला छोड़ दिया है। शुक्र है कि फिल्म बहकी नहीं है।
परफॉरमेंस पर आइए, तो फ्रेडी पूरी तरह से कार्तिक आर्यन की फिल्म है। इस किरदार के लिए कार्तिक ने मेहनत भी बहुत की, अपने बाल कटवाएं, 14 किलो वज़न बढ़ाया, ताकि एक 30 के पार पहुंचते हुए डेंटिस्ट लग सकें, जो शादी को बेकरार है। कार्तिक के एक्सप्रेशन्स, उनकी बॉडी लैंग्वेज फ्रेडी से आपकी निगाहें टिकने नहीं देती। फ्रेडी के बेस्ट फ्रैंड – यानि कि उसका पालतु कछुआ – हार्डी, इस फिल्म की दूसरी सबसे बेहतर कास्टिंग है। आलया एफ़ और उनके ब्वॉयफ्रैंड के किरदार में करण पंडित को एक्टिंग की क्लासेज़ लेनी चाहिए। दोनो ही इस डॉर्क इंटेस फिल्म में जब आते है, कॉमेडी करने में जुट जाते हैं। भला हो डायरेक्टर शशांका का, कि उन्होने ज़्यादातर सीन्स कार्तिक के ही रखे हैं।
Qala Review: तृप्ति डिमरी और बाबिल की फिल्म को टिककर देखिए, क्योंकि ये ‘कला’ है
फ्रेडी इंटेंस है, डार्क है… .थोड़ी प्रेडिक्टेबल है लेकिन कार्तिक के लिए इस फिल्म को देखना ज़रूरी है। वैसे डिज़्नी हॉटस्टार पर स्ट्रीम हो गई है, वीकेंड पर देख लीजिए।
फ्रेडी को 3.5 स्टार।
और पढ़िए – Reviews से जुड़ी ख़बरें