Maharani Season 3 Review/Ashwani Kumar: तीसरा सीज़न, तीसरा साल… हुमा कुरैशी को महारानी बने देखते हुए, अब तक आप महारानी के हर किरदार, उसके आगे-पीछे की कहानी, उसकी चाल, उसके एक्स्प्रेशन्स से वाकिफ़ हो चुके हैं। इसलिए महारानी के तीसरे सीज़न की कहानी को किरदार को जमाने पर खर्च करने की ज़रूरत नहीं थी, उसे एक शानदार कहानी की ज़रूरत थी। चलिए बताते है कि आखिर महारानी के तीसरे सीजन में आपको क्या नया देखने को मिला है।
कहां से शुरू हुई कहानी
वेब सीरीज़ ‘महारानी सीजन 3’ की कहानी वहीं से शुरू होती है, जहां पिछले सीज़न में ये छूटी थी। यानि रानी भारती पिछले तीन साल से अपने पति बिहार के एक्स सीएम भीमा भारती के क़त्ल के इल्ज़ाम में जेल में है। बिहार गर्वनमेंट अब रानी के प्रतिद्वंदी नवीन कुमार के हाथ में हैं। सियासत के सारे खिलाड़ी या यूं कहें कि भेड़िए अब नवीन कुमार के साथ, सत्ता का सुख भी ले रहे हैं और लड़ भी रहे हैं। दूसरी ओर रानी भारती के पॉलिटिकल एडवाइज़र मिश्रा जी बार-बार रानी को मनाने की कोशिश कर रहे हैं कि वो बेल के लिए अप्लाई करें और जमानत पर बाहर आएं।
वुमेन इंपॉरमेंट आया नजर
मगर रानी भारती जेल से बारहवीं की परीक्षा की तैयारी कर रही हैं और साथ ही गुपचुप तरीके से अपनी वो आर्मी तैयार कर रही हैं, जो महारानी सीजन 3 को वुमेन इंपॉरमेंट की तरफ लेकर जाता है। ये ट्रैक पहले तो बहुत इंट्रेस्टिंग लगता है, लेकिन इसका ओवर एक्सटेंशन – तीसरे सीज़न में कहानी की कमी से पर्दा उठा देता है। रानी भारती इस बार राजनीति की पक्की खिलाड़ी बन चुकी हैं। कहीं-कहीं विरोधियों से बदला लेने के लिए वो भी वही ख़ून-ख़राबे की राह चुनती हैं, जो इंसाफ़ और बदले की लकीर को धुंधली करती रहती है।
अगले पार्ट का मिला हिंट
इस बार महारानी के तीसरे पार्ट की कहानी रानी और नवीन कुमार की धुरी पर घूम रही है। बीच-बीच में मार्टिन इक्का बाज़ी मार ले जाते हैं, बाकी कैरेक्टर अपनी सधी हुई धुरी पर घूमते रहते हैं। इस बार कहानी के क्लाइमेक्स तक रानी भारती, राजनीति के अखाड़े के बड़े-बड़े सूरमाओं को ध्वस्त करती नज़र आती है। हांलाकि बदला पूरे होने के बाद सीरीज़ के आगे बढ़ने की गुंजाइश ख़त्म नज़र आती है, लेकिन इस महारानी में प्रधानमंत्री बनने वाली गुंजाइश की लाइन जोड़कर सुभाष कपूर थोड़ा हिंट देने की कोशिश करते दिख रहे हैं कि महारानी शायद वापस लौटे।
राजनीतिक ट्विस्ट का मिला सरप्राइज़
सीरीज़ के क्रिएटर सुभाष कपूर ने नंदन सिंह और उमाशंकर सिंह के साथ महारानी के कहानी को दिलचस्प बनाने की कोशिश तो बहुत की है, लेकिन इस बार उन्होने ट्विस्ट पर ज़्यादा पर भरोसा किया है, जहां राजनीतिक ट्विस्ट वाला सरप्राइज़ तो है, लेकिन कहानी में कहने को बहुत कुछ नहीं है। डायरेक्टर सौरभ भावे ने फिर भी सीरीज़ को दिलचस्प बनाए रखा है और सीज़न को 8 एपिसोड्स में निपटा दिया है।
एक्टिंग में दिखा दम
हुमा कुरैशी ने अपने करियर के सबसे दमदार किरदार को निभाने में इस बार भी कोई कसर छोड़ी नहीं है। अमित सियाल ने दूसरे मोर्च पर नवीन कुमार बनकर सीरीज़ में तनाव बनाए रखा है, कमाल के एक्टर हैं अमित। सोहम शाह सीरीज़ के क्लाइमेक्स में एक सीन के लिए नज़र आए हैं… चाणक्य बने मिश्रा जी के किरदार में प्रमोद पाठक का काम भी अच्छा है। राज्यपाल बने अतुल तिवारी शानदार हैं। आई ए एस ऑफिसर मार्टिन कैरेक्टर में दिव्येंदु भट्टाचार्य तो एक्टिंग का सिलेबस बनते जा रहे हैं। विनीत कुमार का काम बहुत अच्छा है, अनुजा साठे ने भी अपनी परफॉरमेंस को ढीला नहीं पड़ने दिया है।
शानदार किरदार और दमदार परफॉरमेंस के साथ महारानी का ये फिनाले देखना तो बनता है।
महारानी सीज़न 3 को 3 स्टार।
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