Good Luck Jerry Review: ‘जेरी’ बनी जाह्नवी कपूर की डार्क कॉमेडी ने रंग जमा दिया
साउथ की ज़बरदस्त फिल्मों का हिंदी रीमेक होता है, तो उम्मीद कम ही होती है कि कोई कमाल होगा। गुड लक जेरी का ट्रेलर तो अच्छा था, लेकिन वो क्या है ना कि दिल में अजीब से बेचैनी होती है। जब शाहिद कपूर की जर्सी जैसी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कुछ नहीं कर पाई, तो लेडी सुपरस्टार नयनतारा की सुपरहिट फिल्म ‘कोलामावू कोकिला’ की रीमेक गुड लक जेरी क्या ही कर लेगी ?
अगर आप ये सोच रहे हैं, तो गलतफ़हमी में हैं। पहली तो गुड लक जेरी थियेटर में नहीं, डिज़नी हॉटस्टार पर रिलीज़ हुई है और दूसरी ये फिल्म बहुत ही शानदार है। मतलब डार्क कॉमेडी को लिखना और दिखाना बहुत मुश्किल होता है। 2018 में साउथ के सुपरहिट डायरेक्टर नेल्सन ने इस कहानी को लिखा था, इस नयनतारा को लीड लेकर डायरेक्टर किया था, तो बेसिक कहानी तो वही है। बस किरदार, लोकेशन और थोड़ी सिचुएशन बदल गई है। हिंदी में गुड लक जेरी का स्क्रीनप्ले लिखा है पंकज मट्टा ने, जिसे लोकेशन से हिसाब से पंजाबी का अच्छा फ्लेवर दिया गया है।
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अब गुड लक जेरी की कहानी सुन लीजिए, एक बच्ची है, जो बचपन में बिहार से परिवार के साथ पंजाब आती है। एक हादसे में पापा की मौत के बाद मां, वेज मोमोज़ बेचकर बेटियों को बड़ा करती है। जेरी उर्फ़ जया कुमारी, अपनी इस लोअर मिडिल क्लास लाइफ़ से निकलने के लिए सारे तिकड़म लगाना चाहती है, वो मसाज पार्लर में काम करती है, इस पर मां और बेटी के बीच जमकर बहस भी होती है, लेकिन इस फैमिली में बहुत प्यार है। वैसे सरबती देवी और उनकी दोनो बेटियो से भी प्यार करने वालों की कमीं नहीं। पड़ोस वाले अंकल से लेकर, जेरी और चेरी के आशिक तो घर में घुसे पड़े हैं।
मगर इस बीच कहानी में ट्विस्ट आता है, मम्मी सरबती देवी को लंग कैंसर हो जाता है। पैसों की तंगी और हालात जेरी को ड्रग्स सिंडिकेट के अंदर तक पहुंचा देते हैं। और जब जेरी उनसे बाहर निकलना चाहती है, तो फिर शुरु होती है भागमभाग, ख़ून-ख़राबा और ट्विस्ट पर ट्विस्ट।
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गुड लक जेरी का ट्रेलर आपको वाकई सिर्फ़ ट्रेलर ही दिखाता है, इसका असली मज़ा तो पिक्चर देखने में ही आता है। वैसे अगर नयनतारा की ‘कोलामावू कोकिला’ देखी है, तो फिर आपको अंदाज़ा होगा कि क्लाइमेक्स में क्या होने वाला है... लेकिन पंकज मट्टा ने कई सिचुएशन बदल दी है, इसलिए फिल्म उसी रास्ते पर चलते हुए भी अलग लगने लगती है।
डायरेक्टर सिद्धार्थ सेन गुप्ता की भले ही ये पहली फिल्म हो, लेकिन इससे पहले आपने उनका काम आपने बालिका वधु से होते हुए वेब सीरीज़ अनदेखी, ये काली-काली आंख़ें देखकर हैरान हो चुके हैं। यकीन मानिए गुड लक जेरी के किरदारों को जिस तरह से सिद्धार्थ ने डेवलप किया है, मज़ा आ जाएगा। सिनेमैटोग्राफ़ी और बैकग्राउंड स्कोर और गानों ने इस डॉर्क कॉमेडी को और इंट्रेस्टिंग बनाया है। बस क्लाइमेक्स में अचानक झटके मारने के साथ, थोड़ा ये भी समझा देते कि जेरी ने ड्रग्स को गायब करने का प्लान एक्जेक्यूट कैसे किया, तो ये एकदम परफेक्ट हो जाता है।
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परफॉरमेंस पर आइए, तो ये गुड लक जेरी बेहतरीन परफॉरमेंसेज़ से भरी है, लेकिन इस फिल्म पूरी तरह से जाह्नवी कपूर के कंधों पर चलती है। जाह्नवी हर फिल्म के साथ निखरती जा रही हैं। जेरी के किरदार में उनके बिहारी एक्सेंट में भी आप बहुत ज़्यादा मीन-मेख नहीं निकाल सकते। मां सरबती के किरदार में मीता वशिष्ठ शानदार हैं। पड़ोसी नीरज सूद तो बस कमाल ही हैं। दीपक डोबरियाल तो जिस किरदार में ढलते कुछ नया ही कर देते हैं। सुशांत और सौरभ सचदेव का काम भी बेहतरीन हैं।
तो इस हफ्ते, वक्त निकालिए.... थियेटर की जगह होम थियेटर से काम चलाइए और गुड लक जेरी देख डालिए।
गुड लक जेरी को 3.5 स्टार।
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