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Criminal Justice Season 3 review: पंकज त्रिपाठी का दम निकालोगे क्या ?, ‘क्रिमिनल जस्टिस’ के तीसरे सीजन को देखकर पूछेंगे

क्रिमिनल जस्टिस का थर्ड सीजन आया है। ज़ाहिर है पंकज त्रिपाठी ने इसके पिछले दो सीजन्स से जो समां बांधा है, उसके चलते तीसरे सीजन के लिए बेकरारी तो है ही। और वैसे भी ये बीबीसी स्टूडियोज़ की हिट सीरीज़ है, जिसे अप्लॉज एंटरटेनमेंट ने अडाप्ट किया है।   यहाँ पढ़िए – मलाइका अरोड़ा ने लॉन्च किया […]

क्रिमिनल जस्टिस का थर्ड सीजन आया है। ज़ाहिर है पंकज त्रिपाठी ने इसके पिछले दो सीजन्स से जो समां बांधा है, उसके चलते तीसरे सीजन के लिए बेकरारी तो है ही। और वैसे भी ये बीबीसी स्टूडियोज़ की हिट सीरीज़ है, जिसे अप्लॉज एंटरटेनमेंट ने अडाप्ट किया है।   यहाँ पढ़िए - मलाइका अरोड़ा ने लॉन्च किया ग्लोबल ब्रांड, इन सितारों ने की शिरकत क्रिमिनल जस्टिस का पहला सीजन, विक्रांत मैसी के साथ था, जिसे दो डायरेक्टर्स, तिग्मांशु धुलिया और विशाल ने डायरेक्ट किया था। पहला सीजन क्रिमिनल जस्टिस का सबसे स्ट्रांग सीजन था, जिसे आदित्य शर्मा को बेगुनाह साबित करने के लिए, अचानक एडवोकेट माधव मिश्रा को इतना बड़ा केस मिल जाता है कि टूंट-पुजिया चक्करों से उसे निजात मिल जाती है।   सेकेंड सीजन यानि क्रिमिनल जस्टिस बिहाइंड क्लोज़्ड डोर में एक बड़े नामी एडवोकेट, बिक्रम चंद्रा के क़त्ल के बाद, जब उसकी पत्नी, अनुराधा चंद्रा को इस मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो कोई भी बड़ा वकील इस केस को लेने को तैयार नहीं होता। अनुराधा का ये केस, घूमते-घूमते एडवोकेट माधव मिश्रा के पास पहुंचता है। सेकेंड सीज़न की कहानी बहुत दिलचस्प थी, जिसे लिखा था अपूर्व असरानी ने और डायरेक्ट किया था, रोहन सिप्पी ने। अब तीसरे सीजन में माधव मिश्रा के अंदर कॉन्फीडेंस आ चुका है, बड़े केस रिफरेंसेज़ के सहारे माधव के घर तक पहुंचने लगे हैं, जहां उनकी पत्नी अपना ब्यूटी पार्लर भी चलाने लगी हैं। माधव के साले साहब, उनके असिस्टेंट बन गए हैं। इस थर्ड सीजन की कहानी शुरु होती है एक चाइल्ड सुपरस्टार – ज़ारा की मौत से, इस मौत का सीधा शक़ उसके सौतेले भाई मुकुल के उपर जाता है। वजह कि मुकुल ड्रग्स लेता है, गुस्सैल है, ज़ारा से नफ़रत करता है, ज़ारा की कामयाबी से चिढ़ता है। ज़ारा, नवीन की बेटी है, मुकुल अवन्तिका का बेटा है। नवीन और अवन्तिका ने चार साल पहले शादी की है। बेटी के स्टारडम से घर का खर्च चलता है, ऐसे में ज़ारा की मौत नवीन और अवन्तिका के रिश्तों का भी इम्तिहान लेती है। ज़ारा की मौत के बाद उसकी मां अवन्तिका, जिसे नवीन पैसे देने से मना कर देता है...। मजबूरी में, पैसों की कमी के चलते, एडवोकेट माधव मिश्रा तक पहुंचती है। फिर माधव मिश्रा की इन्वेस्टीगेशन शुरु होती है, क्रिमिनल जस्टिस के फॉर्मेट पर चलती ये कहानी मुकुल के पास्ट के बारे में बात करती है कि कैसे वो एक मुश्किल बचपन से गुजरा है। अपने मम्मी-पापा के डिवोर्स और झगड़ों ने उसे कैसे अकेला बनाया। नई फैमिली में मिली बहन ज़ारा की कामयाबी ने कैसे उसे अपने ही परिवार में अनदेखा कर दिया और वो ड्रग्स, एंगर इश्यूज़ का शिकार हो गया। क्रिमिनल जस्टिस अधूरा सच की कहानी, सोशल मीडिया पर ट्रॉलिंग, मीडिया ट्रायल और पब्लिक आउटरेज जैसे बेहद ज़रूरी मुद्दे उठाती है। और एक ज़रूरी बात बताती है कि ‘अदालत न्याय करती है। न्याय बदलाव के लिए होता है, बदले के लिए नहीं। जबकि लोग न्याय की मांग के बहाने बदला चाहते हैं’। अब आते हैं स्टोरी के ट्रीटमेंट पर, क्रिमिनल जस्टिस अधूरा सच की कहानी बहुत कुछ कहने की कोशिश करती है और वो भी एक साथ। ये इस सीरीज़ की सबसे बड़ी कमज़ोरी है। नीयत सही होने के बाद भी, शो की रफ्तार बहुत कम है। 8 एपिसोड वाले क्रिमिनल जस्टिस के इस तीसरे सीजन के एपिसोड बहुत लंबे लगने लगते हैं। डायरेक्टर रोहित सिप्पी के हाथ से ये शो फिसलता सा लगता है। सिनेमैटोग्राफी, बैकग्राउंड स्कोर जैसे टेक्निकल डिपार्टमेंट भी इस बार ढीले हैं। पंकज त्रिपाठी, इस दौर के सबसे बेहतरीन एक्टर हैं। उनका काम सभी को पसंद है, वो नैचुरल होते हैं। मगर सिर्फ़ पंकज त्रिपाठी के भरोसे पूरा शो चलाना मुमकिन नहीं है। मुश्किल ये भी है कि इस बार माधव मिश्रा और पंकज त्रिपाठी के किरदार की लाइन ब्लर हो गई है। माधव बनने की जगह, कई बार सीरीज़ में पंकज त्रिपाठी नज़र आने लगते हैं। स्वस्तिका मुखर्जी और पुरब कोहली जैसे दमदार एक्टर्स भी इस बार चूक गए हैं। श्वेता बासू प्रसाद ने कोशिश बहुत की है कि वो अलग दिखें, लेकिन एक मुकाम पर आते-आते उनकी चमक भी फीकी पड़ती है। सबसे गलत कास्टिंग है बच्चों की, जिनसे आप बिल्कुल रिलेट नहीं करते।   यहाँ पढ़िए - 'लाल सिंह चड्ढा' पर मंडराया खतरा, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ने भी खींचे हाथ! क्रिमिनल जस्टिस से उम्मीदें ज़्यादा थी, इसलिए नाउम्मीदी भी ज़्यादा है। लेकिन ओटीटी पर थोक के भाव आती वेब सीरीज़ की भीड़ में, फिर भी ये सीरीज़ देखी जा सकती है। क्रिमिनल जस्टिस – अधूरा सच को 2.5 स्टार।       यहाँ पढ़िए - बॉलीवुड से  जुड़ी ख़बरें    Click Here -  News 24 APP अभी download करे

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