City Of Dreams Season 3 Review: दर्शकों के बीच एक बार फिर सिटी ऑफ ड्रीम्स का सीजन 3 आ चुका है। इसके साथ ही एक बार फिर फैंस इसके तीसरे पार्ट को लेकर काफी एक्साइटेड हो गए हैं। इस सीरीज के दो सीजन जितने रोमांचक थे, तीसरी से भी उतनी ही उम्मीद लगाई जा रही है।
दमदार है इसका सीजन 3 (City Of Dreams Season 3 Review)
सिटी ऑफ ड्रीम्स से दर्शकों की जो अपेक्षाएं हैं, सीजन 3 उस पर खरा उतरता है। सीजन 3 की शुरुआत इसी ट्विस्ट के साथ होती है कि अपने इकलौते बेटे को बम ब्लास्ट में खोने के बाद पूर्णिमा टूट जाती है और सब छोड़कर कहीं चली जाती है। सीनियर इंस्पेक्टर और पूर्णिमा के साथी वसीम खान (एजाज खान) उसे बैंकॉक में खोज निकालते हैं और अमेय के निर्देश के मुताबिक उसे वापस लाता है।
फिर से मजबूर होगी पार्टी
अमेय और पूर्णिमा अतीत भूलकर हाथ मिला लेते हैं और साथ मिलकर पार्टी को मजबूत करने के लिए काम करना शुरू करते हैं। इस दौरान उनको कई मुसीबतों का सामना भी करना पड़ता है। नागेश कुकुनूर और रोहत बनावलिकर ने इस बार दो नये किरदारों को सीरीज में जोड़ा है, जिन्हें रणविजय सिंह और दिव्या सेठ ने निभाया है। वहीं सचिन पिलगांवकर का किरदार बीच-बीच में शो की जड़ता को खत्म करने का काम बखूबी करता है।
किरदारों ने बना कर रखा थ्रिल
कलाकारों के अभिनय की बात करें तो पूर्णिमा के किरदार में प्रिया बापट ने अपनी अदाकारी से शो के थ्रिल को बनाकर रखा है। बेटे की मौत के गम में डूबी मां से उनकी स्क्रीन प्रेजेंस दमदार लगती है। पिछले सीजनों में अतुल कुलकर्णी का किरदार अमेय जिस तरह से शातिर और ताकतवर बनकर उभरता है, उसकी तुलना में इस बार यह किरदार हल्का हुआ है।