Citadel Honey Bunny Review: (Ashwani Kumar) सिटाडेल की कहानी यूं तो अमेरिकन स्टाइल में तकरीबन डेढ़ साल पहले शुरू हुई। इस कहानी में प्रियंका चोपड़ा, नाडिया बनकर और रिचर्ड मेसन के कैरेक्टर में ऐसे सिटाडेल स्पाई बनकर सामने आए जो दुनियाभर के जासूसों की एक ऐसी एजेंसी है, जो सरकारों की साजिशों को नाकाम करती है और दुनिया का संतुलन बनाए रखती है। इस एजेंसी को कोई सरकार, कोई कंपनी फंड नहीं करती। ये जासूस कंपनी को खुद चलाते हैं ताकि वो दुनिया को सुरक्षित बनाए रखें। रूसो ब्रदर्स की ये सीरीज ‘प्राइम वीडियो’ का सबसे एंबीशियस प्रोजेक्ट है, जिसे दुनिया भर के सबसे शानदार फिल्म मेकर्स ने बनाया है। खास तौर पर जो स्पाई प्रोजेक्ट्स बनाने में माहिर हैं। इस कहानी के एक्सटेंशन में ओरिजिनल सिटाडेल के सीक्वेल और प्रीक्वेल दोनो शामिल हैं।
इटैलियन वर्जन वाले सिटाडेल डियाना के बाद अब राज एंड डीके के इंडियन कनेक्शन की स्टोरी सिटाडेल हनी बनी है। ये सीरीज 6 एपिसोड की है। यकीन मानिए 1992 से लेकर 2000 तक टाइम पीरियड में सेट ये स्टोरी, राज एंड डीके के डायरेक्शन और सीता आर मेनन के साथ लिखी गई स्टोरी है। दिलचस्प ये भी है कि हर सिटाडेल स्टोरी के तार आपस में जुड़े हैं। लेकिन सिटाडेल हनी-बनी की कहानी नाडिया के बचपन, उसको सिटाडेल एजेंट बनाने की बुनियाद को बताती है। ये मुंबई की एक्शन फिल्मों में काम करने वाले एक स्टंटमैन Bunny और एक स्ट्रग्लिंग एक्ट्रेस – Honey के कनेक्शन की कहानी है, जो सिटाडेल की खिलाफत करने वाली एजेंसी का हिस्सा अपनी-अपनी मजबूरियों में बनते हैं, और एक ऐसे टेक अमाडा यानि प्रोजेक्ट तलवार को रोकने पर आमादा है, जो किसी दुनिया के किसी भी इंसान की ट्रैकिंग कर सके।
सिडाटेल की जूनी और उसके खिलाफ बाबा का ग्रुप, जिसमें हर कोई अपने आपको दुनिया को बचाने वाला बताता है, लेकिन सबके इरादे कुछ और ही हैं। उनके बीच हनी और बनी- प्रोफेसर रघु राव से अमाडा हथियाने का जुगाड़ लगाते हैं और फिर जब हनी को समझ आता है कि प्रोजेक्ट तलवार से बने अमाडा से सबका नुकसान है तो वो उसे लेकर फरार हो जाती है, वो भी तब, जब वो प्रेग्नेंट है।
8 साल तक चली इस कहानी में, सबसे ज्यादा इंटरेस्टिंग पार्ट है नन्ही नाडिया को देखना, जो अपनी मां हनी के साथ रहकर हर वक्त ‘प्ले’ मोड में रहती है, और आपको एहसास हो जाता है कि नाडिया जब बड़ी होगी, तो कितनी शानदार स्पाई एजेंट बनेगी। अनाथ बच्चों को फैमिली बनाने के नाम पर स्पाई एजेंट में बदलना और जले हुए रोस्टेड चिकन खिलाकर उनकी लॉयलटी को परखने वाला बाबा का अंदाज, आपके दिमाग में रह जाएगा। सिटाडेल की कहानी में हनी बनी के साथ चाको, लूडो जैसे कैरेक्टर उसे और दिलचस्प बनाते हैं तो केदार और शान जैसे कैरेक्टर उसमें ब्रूटालिटी लेकर आते हैं।
राज एंड डीके ने सिटाडेल हनी-बनी की कहानी को तब के बॉम्बे से लेकर नैनीताल और फिर बॅलग्रेड तक घुमाते हैं। रूसो ब्रदर्स के ओरिजिनल वर्जन को देखते हुए, इसे ज्यादा एक्शन ओरिएंटेड तो बनाते हैं, लेकिन बीच-बीच में अपने सिग्नेचर स्टाइल यानि फैमिली मैन का तड़का भी लगाते हैं, जहां ये समझ आता है कि स्पाई एजेंट्स हमेशा डिजाइनर कपड़ो में नहीं होते बल्कि हमारे बीच से आम से दिखने वाले लोग होते हैं। 6 एपिसोड वाली ये कहानी सिडाटेल के दोनों पहले वर्जन के मुकाबले स्वैंकी कम लेकिन शॉर्प ज्यादा है। इसमें माइंड गेम भी है लेकिन आप राज-डीके वाला वो ह्यूमर मिस करेंगे जिसके लिए आप इस फैमिली मैन, और फर्जी जैसी शानदार वेब सीरीज बनाने वाले मेकर्स के दीवाने हैं।
वरुण धवन के लिए सिटाडेल का बनी बनना उनकी लाइफ का एक ऐसा चेंज है जहां उनकी एक्टिंग एबिलिटी और एक्शन के उस वर्जन से रूबरू होते हैं जिसे बॉलीवुड ने अब तक एक्सप्लोर नहीं किया है। हनी के कैरेक्टर में सामंथा को देखना एक ट्रीट जैसा है। इमोशन, एक्शन और सीक्रेट सर्विस ऑपरेशन के दौरान उनका रूप बदलना देखकर आप दंग हो जाएंगे। बाबा के किरदार में के.के. मेनन को देखकर लगता है कि वो जैसे ऐसे ही कैरेक्टर्स को निभाने के लिए बने हैं। केदार उर्फ के कैरेक्टर में साकिब सलीम बेहतरीन हैं, शान बने सिकंदर खेर का काम भी अच्छा है। चाको बने शिवाकांत परिहार और लूडो बने सोहम मजूमदार – इस कहानी के मजबूत पिलर की तरह हैं। स्पेशल मेंशन मिनी नाडिया बनी कास्वी मजूमदार के लिए, जो अपने किरदार में इतनी बेहतरीन हैं कि आप उसकी मासूमियत के साथ-साथ, उसकी दिलेरी के भी दीवाने हो जाएंगे। इंटरनेशनल सिटाडेल में अपने देसी – सिटाडेल का हनी-बनी वर्जन बताता है कि कहानी अच्छी हो तो कम बजट में भी ज्यादा असर क्रिएट किया जा सकता है।