Junaid Khan Maharaj Controversy: लगता है बॉलीवुड फिल्मों पर जैसे ग्रहण चल रहा है। जी हां, हाल ही में अन्नू कपूर अभिनीत फिल्म ‘हमारे बारह’ की रिलीज पर रोक लगा दी गई। हालांकि 7 जून को मुंबई हाई कोर्ट की तरफ से दो डायलॉग हटाकर इस फिल्म को रिलीज के लिए हरी झंडी दे दी गई थी, लेकिन जब मेकर्स ने फिल्म को 14 जून को रिलीज करने की घोषणा के साथ फिल्म का ट्रेलर रिलीज किया तो एक बार फिर ये फिल्म कटघरे में है और इस पर अगला फैसला आने तक रोक लगाई गई है। ‘हमारे बारह’ के अलावा अब आमिर खान के बेटे जुनैद खान की डेब्यू फिल्म ‘महाराज’ की रिलीज पर भी रोक लगाने की मांग की जा रही है। ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर यह फिल्म 14 जून को रिलीज होनी थी, लेकिन ये फिल्म भी सवालों के कटघरे में है। चलिए जानते हैं, क्या है पूरा मामला, क्यों फिल्म पर लगाई गई रोक और क्यों ये फिल्म है कंट्रोवर्सी में।
गुजरात हाई कोर्ट ने रिलीज पर लगाई रोक
आमिर खान के बेटे जुनैद खान की डेब्यू फिल्म ‘महाराज’ पर गुजरात हाई कोर्ट ने एक याचिका के बाद रोक लगा दी गई है। यह याचिका हिंदू समुदाय द्वारा दी गई थी, जिसमें दावा किया गया था यह फिल्म हिंसा भड़का सकती है। इस फिल्म में जुनैद खान के अलावा जयदीप अहलावत भी हैं और फिल्म का निर्देशन सिद्धार्थ पी.मल्होत्रा कर रहे हैं।
क्या है विवाद
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस फिल्म के खिलाफ भगवान कृष्ण के भक्तों और वल्लभाचार्य के अनुयायियों द्वारा अदालत में एक याचिका दर्ज की गई थी। याचिका में कहा गया कि यह फिल्म 1862 के महाराज मानहानि केस के इर्द-गिर्द घूमती प्रतीत हो रही है, जो सामाजिक व्यवस्था में दरार पैदा करने का कारण बन सकती है। ऐसे में संप्रदाय के अनुयायियों के खिलाफ हिंसा भड़क सकती है। याचिका में ये भी कहा गया कि फिल्म में भगवान कृष्ण के साथ-साथ उनके भक्ति गीतों और भजनों के खिलाफ गंभीर रूप से कई निंदनीय बयान दिए गए हैं। साथ ये भी कहा गया कि फिल्म के ट्रेलर में सभी बातें नहीं दिखाई गईं जिससे कि लोगों तक रिलीज से पहले फिल्म की कम से कम बात पहुंचें। ऐसे में गुजरात हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति संगीता विसेन ने किसी भी तरह से फिल्म की रिलीज पर रोक लगाते हुए एक अंतरिम आदेश पास किया किया है। इस मामले की अगली सुनवाई अब 18 जून को होगी।
फिल्म के बारे में
फिल्म में कथित तौर पर 1862 का समय दिखाया गया है, जो कि एक पीरियड फिल्म है। साल 1862 देश का ऐसा समय था, जब भारत में केवल तीन यूनिवर्सिटीज थीं। रवींद्रनाथ टैगोर एक साल के हो चुके हैं और 1857 का Sepoy Mutiny स्वतंत्रता की ज्वाला को भड़का रहा था। सभी बाधाओं के बावजूद, एक साहसिक व्यक्ति एक ऐतिहासिक कानूनी लड़ाई लड़ता है। ये लड़ाई एक धार्मिक महाराज और गुजराती पत्रकार करसनदास मुलजी के बीच हुई कानूनी लड़ाई थी। ये एक सच्ची कहानी पर आधारित फिल्म है जिसे घटे 160 से अधिक साल हो चुके हैं।
क्या है 1862 महाराज मानहानि केस
करसनदास मुलजी, एक पत्रकार और समाज सुधारक, महिला अधिकारों और सामाजिक सुधार के वकील के तौर पर जाने जाते थे। मुंबई के एलफिंस्टन कॉलेज के एक स्टूडेंट और स्कोलर लीडर दादाभाई नौरोजी के शार्गिद, ने विधवा पुनर्विवाह पर लिखा, उत्पीड़ितों के लिए खड़े हुए और समाज में सुधार के बीज बोए। 1862 के महाराज मानहानि केस में करसनदास मुलजी और महाराज के बीच कानूनी जंग हुई। इस मामले ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा था और जांच को आकर्षित किया। इस केस को कई लोग अब तक की सबसे महत्वपूर्ण कानूनी लड़ाइयों में से एक मानते हैं।
बता दें, महाराज फिल्म की रिलीज से पहले, ‘बॉयकॉट नेटफ्लिक्स’ और ‘बैन महाराज फिल्म’ जैसे हैशटैग एक्स पर खूब ट्रेंड कर रहे हैं।
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