Uttarakhand Holi: उत्तराखंड में अनूठे अंदाज में मनाई जाती है होली, बसंत पंचमी से हो जाती है इसकी शुरुआत
Uttarakhand Holi: उत्तराखंड में अनूठे अंदाज में मनाई जाती है होली, बसंत पंचमी से हो जाती है इसकी शुरुआत
Uttarakhand Holi: होली का त्योहार नजदीक है। इन दिनों सभी पर होली के रंगों का खुमार छाया हुआ है। सभी इस त्योहार का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। होली को हर राज्य में अलग तरीके और अलग अंदाज में मनाया जाता है। आज हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड में मनाई जाने वाली होली के बारे में। इस राज्य में भी बड़े ही शानदार तरीके से होली मनाई जाती है।
रंगों के त्योहार होली को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। उत्तराखंड में तीन दिन की होली मनाई जाती है। खड़ी होली, बैठकी होली, महिलाओं की होली। जो न सिर्फ रंगों के साथ बल्कि गायन, नृत्य और सांस्कृतिक विरासत को अपने अंदर समेटे हुए होती है। बता दें कि कुमाऊं में बसंत पंचमी से ही होली की शुरुआत हो जाती है। आइये जानते हैं की उत्तराखंड के कुमाऊं में मनाई जाने वाली होली के बारे में विस्तार से।
बैठकी होली
बता दें कि बैठकी होली (Holi) उत्तराखंड में मनाई जाती जाती है जो बहुत ही फेमस होती है। ये मुख्य रूप से अल्मोड़ा और नैनीताल के आसपास के इलाकों में मनाई जाती रही है। बैठकी होली बसंत पंचमी के दिन से शुरू हो जाती है। इसमें होली पर आधारित गीत घर की बैठक में राग रागनियों के साथ हारमोनियम और तबले पर गाए जाते हैं। बैठकी होली में आदमी लोग अपना अलग ग्रुप बनाते हैं और महिलाएं अलग ग्रुप बनाती हैं। जो बहुत ही मनमोहक होती है।
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खड़ी होली
बता दें कि बैठकी होली के कुछ दिनों बाद खड़ी होली शुरू होती है। ये होली कुमाऊं के ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक मनाई जाती है। खड़ी होली में गांव के लोग टोपी, कुर्ता और चूड़ीदार पायजामा पहन कर एक जगह एकत्रित होकर होली गीत गाते हैं। इसके साथ ही साथ ढोल-दमाऊ तथा हुड़के की धुनों पर नाचते भी हैं। खड़ी होली के गीत कुमाऊंनी भाषा में होते हैं। आपको बता दें कि होली गाने वाले लोगों को होल्यार कहते हैं, जो कि बारी बारी गांव के प्रत्येक व्यक्ति के घर जाकर होली गाते हैं, और उसकी समृद्धि की कामना करते हैं।
महिला होली
होली की धूम में सभी मदमस्त होते हैं। उत्तराखंड में होली का अलग ही रंग जमता है। जहां महिला होली में प्रत्येक शाम बैठकी होली जैसी ही बैठकें लगती हैं, जिसमें सिर्फ महिलाएं ही भाग लेती हैं। इसके गीत भी महिलाओं पर ही आधारित होते हैं। महिला होली में महिलाएं पकोड़ी, आलू के गुटके, हलवा आदि भी बनाते हैं। इसके अलावा गुड़ कि भेली तोड़ने कि भी परम्परा होती है जिसमें गुड़ कि भेली को तोड़कर सभी लोगों में बाँटा जाता है।
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